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बहराइच में हाईकोर्ट के आदेश के बाद मजार को हटाया गया - Forest Village Bichiya of Katarniaghat Forest

बहराइच में वन ग्राम बिछिया में स्थापित बादल शाह उर्फ हुजूर बाबा की मजार को पुलिस की मौजूदगी हटाया गया है.

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मजार को हटाया गया
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Published : Sep 3, 2022, 10:20 PM IST

बहराइच : जनपद में वन ग्राम बिछिया में स्थापित बादल शाह उर्फ हुजूर बाबा की मजार को भारी भीड़ की मौजूदगी में शनिवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हटा दिया है. मजार के अस्थि को चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव में दफना दिया गया. इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात रही. बता दें कि प्रशासन द्वारा यह कार्यवाई कोर्ट के आदेश पर की गई है.

जानकारी के मुताबिक कतर्नियाघाट जंगल के वन ग्राम बिछिया में वर्ष 1977 में मुस्लिम समुदाय के संत बाबा बादल साह उर्फ बाबा हुजूर ने बिछिया के जंगल में एक कुटी बनाकर रहना शुरू किया था. उनके अनुयायी उनसे मिलने बहुत दूर-दूर से आने लगे और यह कुटी लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बनता चला गया. इसी बीच छह दिसंबर 2016 को बाबा हुजूर ने अपने प्राण त्याग दिए थे. दूसरे दिन हजारों की भीड़ ने बाबा हुजूर को वन विभाग की जमीन यानी उसी स्थान पर दफन कर दिया, जिस पर वन विभाग ने थाना सुजौली में 23 लोगों को नामजद करते हुए हजारों अन्य पर भी मुकदमा करा दिया था.

यह भी पढ़ें- श्रावस्ती के पूर्व सांसद की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी, कोर्ट ने DIG को लिखा पत्र

बाबा के मानने वाले एक गुट विशेष के अब्बास ने हाईकोर्ट में रिट भी दायर की थी कि वह बाबा हुजूर के अस्थि पंजर को यहां से शिफ्ट कराते हुए वन भूमि से निकालकर कहीं अनुयंत्र ले जाना चाहते है, जिसके उपरांत हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया कि यदि सरकारी भूमि को खाली कराया जा रहा है तो यह उचित है. हाई कोर्ट के आदेश पर एडीएम मनोज कुमार, एडिशनल एसपी अशोक कुमार, सीओ मिहीपूरवा केपी सिंह, एसडीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, डीएफओ कतर्नियाघाट आकाश दीप बधावन के साथ भारी संख्या में पुलिस, पीएससी और वन विभाग की टीम ने बाबा की मजार को खुदवाकर उनके अस्थि पंजर को वादी अब्बास के हवाले कर दिया. वहीं, इस दौरान क्षेत्र वासियों के आस्था और विश्वास को देखते हुए प्रशासन ने उन्हें पड़ोस के बिछिया से चार किलोमीटर दूर बने कब्रिस्तान में दफना दिया गया.

बहराइच : जनपद में वन ग्राम बिछिया में स्थापित बादल शाह उर्फ हुजूर बाबा की मजार को भारी भीड़ की मौजूदगी में शनिवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हटा दिया है. मजार के अस्थि को चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव में दफना दिया गया. इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात रही. बता दें कि प्रशासन द्वारा यह कार्यवाई कोर्ट के आदेश पर की गई है.

जानकारी के मुताबिक कतर्नियाघाट जंगल के वन ग्राम बिछिया में वर्ष 1977 में मुस्लिम समुदाय के संत बाबा बादल साह उर्फ बाबा हुजूर ने बिछिया के जंगल में एक कुटी बनाकर रहना शुरू किया था. उनके अनुयायी उनसे मिलने बहुत दूर-दूर से आने लगे और यह कुटी लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बनता चला गया. इसी बीच छह दिसंबर 2016 को बाबा हुजूर ने अपने प्राण त्याग दिए थे. दूसरे दिन हजारों की भीड़ ने बाबा हुजूर को वन विभाग की जमीन यानी उसी स्थान पर दफन कर दिया, जिस पर वन विभाग ने थाना सुजौली में 23 लोगों को नामजद करते हुए हजारों अन्य पर भी मुकदमा करा दिया था.

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बाबा के मानने वाले एक गुट विशेष के अब्बास ने हाईकोर्ट में रिट भी दायर की थी कि वह बाबा हुजूर के अस्थि पंजर को यहां से शिफ्ट कराते हुए वन भूमि से निकालकर कहीं अनुयंत्र ले जाना चाहते है, जिसके उपरांत हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया कि यदि सरकारी भूमि को खाली कराया जा रहा है तो यह उचित है. हाई कोर्ट के आदेश पर एडीएम मनोज कुमार, एडिशनल एसपी अशोक कुमार, सीओ मिहीपूरवा केपी सिंह, एसडीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, डीएफओ कतर्नियाघाट आकाश दीप बधावन के साथ भारी संख्या में पुलिस, पीएससी और वन विभाग की टीम ने बाबा की मजार को खुदवाकर उनके अस्थि पंजर को वादी अब्बास के हवाले कर दिया. वहीं, इस दौरान क्षेत्र वासियों के आस्था और विश्वास को देखते हुए प्रशासन ने उन्हें पड़ोस के बिछिया से चार किलोमीटर दूर बने कब्रिस्तान में दफना दिया गया.

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