बहराइच: प्रसिद्ध सैयद सलार मसूद गाजी की दरगाह पर देशभर से लोग जियारत करने आते हैं. बीमार और तमाम तरीके से परेशान लोग दरगाह में आकर हाजिरी लगाते हैं. बरेली के रहने वाले मोहम्मद शरीफ बीते एक साल में दरगाह में रहकर जियारत कर रहे थे. 4 फरवरी को उनकी मौत हो गई.
दरगाह कमेटी के लोगों पर आरोप है कि कोई भी उनका हाल पूछने नहीं आया और न ही मृतक के लिए कोई व्यवस्था की. शव को जब बरेली पहुंचाने की बात आई तब दरगाह कमेटी ने पल्ला झाड़ लिया. मृतक शरीफ के परिजन दर-दर एंबुलेंस के लिए भटकते रहे, जबकि दरगाह कमेटी में दरगाह वक्फ बोर्ड द्वारा दो एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. उसके बावजूद भी दरगाह कमेटी ने कोई मदद नहीं की. मृतक के परिजनों को परेशान देखकर स्थानीय निवासियों ने उनकी मदद की और बाहर से गाड़ी बुलवाकर शव को बरेली भेजने का इंतजाम करवाया.
बड़े-बड़े दावे करने वाली दरगाह शरीफ वक्फ बोर्ड कमेटी के दावे खोखले होते दिखाई पड़ रहे हैं. यही हाल यहां पर अन्य व्यवस्थाओं का भी है. न तो यहां पर सफाई की व्यवस्था सही है और न तो पानी की. लोग अपना घर छोड़कर बहराइच की दरगाह शरीफ जियारत करने आते है. उनकी सुरक्षा के भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. कुछ दिन ही पहले श्रावस्ती जिले से जियारत करने आए परिवार की 6 साल की मासूम के साथ दरिंदगी का प्रयास करते हुए उसका कत्ल कर दिया गया.
दरगाह शरीफ के सभासद मेराज हाशमी का कहना है की दरगाह कमेटी के अध्यक्ष शमशाद अहमद ने शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए साफ-साफ मना कर दिया. उनका यह भी कहना है कि दरगाह कमेटी अपनी मनमानी करती है और जायरीनों को कोई भी व्यवस्था देने में असमर्थ है.