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अपनी कब्र खोद रहे साधु ने अफसरों के आश्वासन पर जिंदा समाधि लेने का निर्णय लिया वापस

बाराबंकी में जिला प्रशासन के समझाने के बाद साधु ने जिंदा समाधि लेने के फैसले को वापस ले लिया है. वहीं, एसडीएम न जल्द ही साधु के प्रकरण के निस्तारण की बात कही है.

आश्वासन पर साधु ने टाला जिन्दा समाधि का प्लान
आश्वासन पर साधु ने टाला जिन्दा समाधि का प्लान
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 10:23 PM IST

अफसरों के आश्वासन पर साधु ने टाला जिन्दा समाधि का प्लान

बाराबंकी: जनपद में 5 दिन पहले एक साधु ने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दिया था. वहीं, साधु ने अपनी कब्र भी खोद ली थी, जिससे हड़कंप मच गया था. लेकिन, गुरुवार को एसडीएम और सीओ के आश्वासन के बाद साधु ने समाधि लेने का फैसला वापस ले लिया है.

गौरतलब है कि 19 अगस्त को रामसनेही घाट तहसील के भवनियपुर मजरे किठैया गांव में स्थित रामजानकी मठ के महात्मा मुकुंद पूरी ने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दे दिया था. यही नहीं इसके लिए उन्होंने बाकायदा समाधि खोदनी भी शुरू कर दी. साधु मुकुंदपुरी ने लिखित रूप से प्रशासन को चिट्ठी लिखकर कहा था कि अगर 30 अगस्त तक उनका प्रकरण निस्तारित नहीं किया जाता है तो वह 1 सितंबर को जिंदा समाधि ले लेंगे. इसपर सूचना पर पहुंचे अधिकारियों ने साधु मुकुंद पुरी को समझाने का प्रयास किया. उन्हें आश्वासन भी दिया कि उनके प्रकरण को शीघ्र निस्तारित कर दिया जाएगा. लेकिन, साधु मुकुंदपुरी अपने अल्टीमेटम को वापस लेने को राजी नहीं हुए. इस बीच प्रशासन लगातार उनको आश्वस्त करता रहा. आखिरकार गुरुवार को महात्मा मुकुंदपुरी ने प्रशासन की बात मान ली और उन्होंने समाधि लेने का निर्णय वापस ले लिया.

क्या है मामला: साधु मुकुंदपुरी के मुताबिक मठ की तमाम भूमि आसपास के 4-5 गांवों में है. आरोप है कि महंत राजेश्वर पूरी चेला चैतनयपुरी ने मुकुंदपुरी के हक में वर्ष 2003 में एक पंजीकृत वसीयतनामा किया था, लेकिन गांव के ही कुछ लोगों ने मठ की जमीन का फर्जी ढंग से बैनामा करा लिया और उसे बेच दिया. जिसका वाद विचाराधीन है. बावजूद इसके विपक्षी लोग उस भूमि में जबरन दखलंदाजी कर उनको परेशान करते हैं. साधु मुकुंदपुरी का दावा है कि वह पिछले कई वर्षों से इसकी पैरवी कर रहे हैं. मठ की जमीन बचाने के लिए वे पहले भी 08 महीने तक अन्न त्याग चुके हैं. तहसील प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाई. लेकिन जब इंसाफ नहीं मिला तो उन्होंने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दे दिया. गुरुवार को एसडीएम रामसनेही घाट राम आसरे वर्मा और सीओ जटा शंकर मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर महात्मा को आश्वस्त किया. एसडीएम ने बताया कि भूमि का प्रकरण न्यायालय तहसीलदार की कोर्ट में चल रहा है. इस मामले का निस्तारण जल्द से जल्द कराया जाएगा.

यह भी पढे़ं: मठ के महात्मा ने खोदी अपनी कब्र, जानिए क्यों जिंदा समाधि लेने की दी धमकी

यह भी पढ़ें: आगरा में बुकर प्राइज अवार्डी गीतांजलि श्री का सम्मान समारोह निरस्त, जानें क्या है विवाद

अफसरों के आश्वासन पर साधु ने टाला जिन्दा समाधि का प्लान

बाराबंकी: जनपद में 5 दिन पहले एक साधु ने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दिया था. वहीं, साधु ने अपनी कब्र भी खोद ली थी, जिससे हड़कंप मच गया था. लेकिन, गुरुवार को एसडीएम और सीओ के आश्वासन के बाद साधु ने समाधि लेने का फैसला वापस ले लिया है.

गौरतलब है कि 19 अगस्त को रामसनेही घाट तहसील के भवनियपुर मजरे किठैया गांव में स्थित रामजानकी मठ के महात्मा मुकुंद पूरी ने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दे दिया था. यही नहीं इसके लिए उन्होंने बाकायदा समाधि खोदनी भी शुरू कर दी. साधु मुकुंदपुरी ने लिखित रूप से प्रशासन को चिट्ठी लिखकर कहा था कि अगर 30 अगस्त तक उनका प्रकरण निस्तारित नहीं किया जाता है तो वह 1 सितंबर को जिंदा समाधि ले लेंगे. इसपर सूचना पर पहुंचे अधिकारियों ने साधु मुकुंद पुरी को समझाने का प्रयास किया. उन्हें आश्वासन भी दिया कि उनके प्रकरण को शीघ्र निस्तारित कर दिया जाएगा. लेकिन, साधु मुकुंदपुरी अपने अल्टीमेटम को वापस लेने को राजी नहीं हुए. इस बीच प्रशासन लगातार उनको आश्वस्त करता रहा. आखिरकार गुरुवार को महात्मा मुकुंदपुरी ने प्रशासन की बात मान ली और उन्होंने समाधि लेने का निर्णय वापस ले लिया.

क्या है मामला: साधु मुकुंदपुरी के मुताबिक मठ की तमाम भूमि आसपास के 4-5 गांवों में है. आरोप है कि महंत राजेश्वर पूरी चेला चैतनयपुरी ने मुकुंदपुरी के हक में वर्ष 2003 में एक पंजीकृत वसीयतनामा किया था, लेकिन गांव के ही कुछ लोगों ने मठ की जमीन का फर्जी ढंग से बैनामा करा लिया और उसे बेच दिया. जिसका वाद विचाराधीन है. बावजूद इसके विपक्षी लोग उस भूमि में जबरन दखलंदाजी कर उनको परेशान करते हैं. साधु मुकुंदपुरी का दावा है कि वह पिछले कई वर्षों से इसकी पैरवी कर रहे हैं. मठ की जमीन बचाने के लिए वे पहले भी 08 महीने तक अन्न त्याग चुके हैं. तहसील प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक गुहार लगाई. लेकिन जब इंसाफ नहीं मिला तो उन्होंने जिंदा समाधि लेने का अल्टीमेटम दे दिया. गुरुवार को एसडीएम रामसनेही घाट राम आसरे वर्मा और सीओ जटा शंकर मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर महात्मा को आश्वस्त किया. एसडीएम ने बताया कि भूमि का प्रकरण न्यायालय तहसीलदार की कोर्ट में चल रहा है. इस मामले का निस्तारण जल्द से जल्द कराया जाएगा.

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