बहराइच: कश्मीर के पुंछ में सरहद के पास सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए 14 पंजाब रेजीमेंट के जवान सरबजीत सिंह का रविवार को राजकीय सम्मान के साथ उनके गांव सिक्खनपुरवा में अंतिम संस्कार किया गया. इस मौके पर उमड़ी भीड़ शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंची थी.
भीड़ ने शहीद के सम्मान में जब तक सूरज चांद रहेगा, सरबजीत सिंह का नाम रहेगा के नारे लगाए. 13 अक्टूबर को कश्मीर में पुंछ के पास सेना के जवान सरबजीत सिंह शहीद हो गए थे. इसके बाद 15 अक्टूबर की रात को शहीद का पार्थिव शरीर सिक्खनपुरवा लाया गया. रविवार सुबह फैजाबाद से आई आर्मी बटालियन ने शहीद को सलामी दी. कश्मीर से देर रात पहुंचे सरबजीत सिंह के पार्थिव शरीर देखते ही पिता सरदार सुरेंद्र सिंह, मां शंकुतला कौर, भाई महेन्द्र सिंह, सतवन सिंह, बहन गुरप्रीत कौर, प्रीतो कौर, सिम्मी कौर और तमाम रिश्तेदार बिलख पड़े.
रिश्तेदारों ने उन्हें बमुश्किल संभाला मां, पिता, बहन और भाइयों के अंतिम दर्शन करने के बाद तमाम लोगों ने शहीद के अंतिम दर्शन किये. भारी जनसैलाब के बीच शहीद सैनिक की अंतिम यात्रा शुरू हुई. घर के पास ही बने अंत्येष्टि स्थल पर भी शहीद के पार्थिव शरीर के हजारों लोगों ने अंतिम दर्शन किये. गांव के पास ही सेना के जवानों से शहीद को सलामी दी. बैंड की मातमी धुन के बीच उन्हें अंतिम विदाई दी गई.
सेना ने शहीद के पार्थिव शरीर पर लिपटा तिरंगा सम्मान पूर्वक शहीद के पिता सरदार सुरेंद्र सिंह और मां शकुंतला कौर को सौंपा. पिता सरदार सुरेंद्र सिंह ने शहीद को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार स्थल पर सरबजीत सिंह की मां परमजीत कौर, परिवार और रिश्तेदार की महिलाओं का करुण क्रंदन सुनकर लोगों की आंखें भर आईं.
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सरबजीत सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही वहां पहले से मौजूद भारी भीड़ शहिद हुए सैनिक के अंतिम दर्शन करने की होड़ मच गई. पार्थिव शरीर घर के पास स्थित गुरूद्वारा के समीप रखा गया. मां शंकुतला कौर ने सबसे पहले शहिद बेटे को सलामी दी.
शहीद सरबजीत सिंह के अन्तिम दर्शन के लिए भारतीय कुस्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, अरुण वीर सिंह, करनवीर सिंह, दिलीप वर्मा, प्रज्ञा त्रिपाठी, निशंक त्रिपाठी, गौरव वर्मा, राजेश निगम, आलोक अग्रवाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे.
शहीद सरबजीत सिंह में देश सेवा का जुनून था. सेना में भर्ती के लिए तैयारी कर रहे साथी सुरज सोनी ने बताया कि सरबजीत गांव से रोज 12 किलोमीटर की दूरी तय करके रिसिया गल्ला मंडी में दौड़ लगाने और व्यायाम करने के लिए आते थे. उसकी मेहनत और लगन किसी को भी रोमांचित कर सकती थी.
2018 में फर्रुखाबाद में आयोजित भर्ती का किस्सा सुनाते हुए सरबजीत के मित्र बाबागंज निवासी शुभम सिंह, राजापुर निवासी मोहम्मद दाऊद खां, लक्ष्मणपुर निवासी वैभव सिंह और सहज राम ने बताया कि हम सभी सरबजीत के साथ 2018 में फर्रुखाबाद में हो रही सेना की भर्ती के लिए जा रहे थे. उन्नाव और कन्नौज के बीच यहां भर्ती होनी थी. इस बीच ट्रेन में सभी लोग सो गए. अचानक जब उन्नाव से ट्रेन आगे बढ़ी तो नींद खुल गई, लेकिन ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली थी. जिस पर सरबजीत ने कहा कि मुझे यह भर्ती देखनी है और यह कहते हुए ट्रेन से छलांग लगा दी और फर्रुखाबाद की भर्ती में शामिल हुए जिस दौरान इसका चयन सेना में हो गया.
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