बहराइच: पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम मनोज कुमार मिश्र द्वितीय ने पति को दोषी करार दिया है. इसके साथ ही दोषी पति को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने दोषी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
बता दें कि कैसरगंज थाना क्षेत्र के गुथिया निवासी इंद्रदेव सिंह ने अपनी पुत्री की शादी पयागपुर थाना क्षेत्र के इमलियागंज नयापुरवा के रहने वाले प्रताप बहादुर सिंह के साथ 9 जुलाई 2000 को की थी. इंद्रदेव ने अपने सामर्थ्य के अनुसार दहेज भी दिया था. इसके बाद भी व्यापार करने के लिए 4 लाख रुपये की मांग ससुराल पक्ष कर रहा था. ससुराल पक्ष और पति प्रताप बहादुर सिंह लगातार मायके से पैसे लाने के लिए दबाव बनाते रहे. जिससे तंग होकर रीता सिंह ने 3 जनवरी 2004 को अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. रीता सिंह की मौत के बाद परिजनों ने पति प्रताप बहादुर सिंह समेत ससुराल पक्ष पर मुकदमा दर्ज कराया था. जिसकी लगातार विवेचान चल रही थी.अपर शासकीय अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि इस प्रकरण में आरोपी सास हेमकुमारी की मुकदमा चलने के दौरान मौत हो गई, जिस कारण उनका मुकदमा समाप्त कर दिया गया.
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अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम में बुधवार को सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता एवं बचाव पक्ष ने अपनी-अपनी दलील दी. दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रताप बहादुर सिंह को दोषी पाया. इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए प्रताप बहादुर को 10 वर्ष कैद के साथ 25 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. इसके बाद दोषी को काे वारंट बनाकर जेल रवाना किया गया.