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बहराइच: मशरूम उत्पादन के लिए किसानों को किया गया प्रशिक्षित - उत्तर प्रदेश समाचार

बहराइच में प्रवासी श्रमिकों और किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. रोजगार सृजन के लिए सभागार में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की जा रही है.

trained for mushroom production
कार्यक्रम में 35 कृषक और प्रवासी श्रमिक भाग ले रहे हैं
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Published : Jul 30, 2020, 1:50 PM IST

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए 28 से 30 जुलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की जा रही है. कार्यक्रम के पहले दिन प्रवासी श्रमिकों को मशरूम उत्पादन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई. इस अवसर पर तमाम लोग मौजूद रहे.

प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के प्राध्यापक और प्रभारी अधिकारी डॉ. एम.पी. सिंह ने बताया कि तराई क्षेत्र में मशरूम की खेती से रोजगार सृजित करने के बेहतर अवसर हैं. मशरूम की खेती की शुरुआत 12 गुणा 12 आकार के छप्पर या कमरे में की जा सकती है. मशरूम उत्पादन से प्रतिमाह लगभग 50 हजार रुपये की शुद्व आय प्राप्त की जा सकती है.

उन्होंने बताया कि माह मई-जून को छोडत्रकर शेष माहों में मशरूम की खेती की जा सकती है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक डॉ. आर.के. पाण्डेय, वैज्ञानिक रेनू आर्या, मुख्य अतिथि जिला उद्यान अधिकारी पारसनाथ मौजूद रहे. कार्यक्रम में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए 35 कृषक और प्रवासी श्रमिक भाग ले रहे हैं. तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन और प्रमाण पत्र वितरण 30 जुलाई 2020 को किया जाएगा.

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए 28 से 30 जुलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की जा रही है. कार्यक्रम के पहले दिन प्रवासी श्रमिकों को मशरूम उत्पादन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई. इस अवसर पर तमाम लोग मौजूद रहे.

प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के प्राध्यापक और प्रभारी अधिकारी डॉ. एम.पी. सिंह ने बताया कि तराई क्षेत्र में मशरूम की खेती से रोजगार सृजित करने के बेहतर अवसर हैं. मशरूम की खेती की शुरुआत 12 गुणा 12 आकार के छप्पर या कमरे में की जा सकती है. मशरूम उत्पादन से प्रतिमाह लगभग 50 हजार रुपये की शुद्व आय प्राप्त की जा सकती है.

उन्होंने बताया कि माह मई-जून को छोडत्रकर शेष माहों में मशरूम की खेती की जा सकती है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक डॉ. आर.के. पाण्डेय, वैज्ञानिक रेनू आर्या, मुख्य अतिथि जिला उद्यान अधिकारी पारसनाथ मौजूद रहे. कार्यक्रम में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए 35 कृषक और प्रवासी श्रमिक भाग ले रहे हैं. तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन और प्रमाण पत्र वितरण 30 जुलाई 2020 को किया जाएगा.

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