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'आत्मनिर्भर भारत में चित्रकला का भी बड़ा योगदान' - बहराइच किसान पीजी कॉलेज

बहराइच स्थित किसान पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में गुरुवार को प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मौजूद महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव मेजर डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में चित्रकला का भी बड़ा योगदान है.

आत्मनिर्भर भारत मे चित्रकला का भी बड़ा योगदान
आत्मनिर्भर भारत मे चित्रकला का भी बड़ा योगदान
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Published : Mar 12, 2021, 1:30 PM IST

बहराइच: जिले के किसान पीजी कॉलेज के चित्रकला परिषद की ओर से निबंध प्रतियोगिता और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव मेजर डॉ. एसपी सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि इस गांव में जन्मजात कला प्रतिभाएं बिखरी पड़ी हैं. इन कलाओं को मात्र उचित मार्गदर्शन और ट्रेनिंग की आवश्यकता है.

निबंध प्रतियोगिता का विषय था
मेजर डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि महाविद्यालय में बीते सालों से चित्रकला का अध्ययन स्नातक स्तर पर शुरू हो गया है. चित्रकला में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राएं इसका लाभ उठा रहे हैं. यहां अध्ययन करके विद्यार्थी अपनी प्रतिभा को बड़ा आधार दे सकते हैं. कहा कि इस आधुनिक युग के आत्मनिर्भर भारत में चित्रकला का भी बड़ी योगदान है.

'सुनियोजित और आत्मनिर्भर बनने में चित्रकला की भूमिका' विषय को निबंध प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया. इस पर छात्र-छात्राओं ने विजुअल आर्ट, स्कल्पचर आर्ट में टाइपोग्राफी, म्यूरल कला, टेक्सटाइल कला की प्रदर्शनी लगाकर आत्मनिर्भर होने का परिचय भी दिया. इस प्रतियोगिता में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा आरती को प्रथम स्थान, बीए प्रथम वर्ष की सौम्या व बीए द्वितीय वर्ष के दिनेश को द्वितीय स्थान मिला है. साथ ही बीए द्वितीय वर्ष की तायबा और बीए प्रथम वर्ष के निधि उपाध्याय को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ.

इस प्रतियोगिता का संचालन चित्रकला की विभागाध्यक्षा डॉ. सविता वर्मा ने किया. प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में प्राचीन इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति रस्तोगी, गृह विज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. तस्लीम फातिमा जैदी और समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर साधना सिंह शामिल थीं.

बहराइच: जिले के किसान पीजी कॉलेज के चित्रकला परिषद की ओर से निबंध प्रतियोगिता और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव मेजर डॉ. एसपी सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि इस गांव में जन्मजात कला प्रतिभाएं बिखरी पड़ी हैं. इन कलाओं को मात्र उचित मार्गदर्शन और ट्रेनिंग की आवश्यकता है.

निबंध प्रतियोगिता का विषय था
मेजर डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि महाविद्यालय में बीते सालों से चित्रकला का अध्ययन स्नातक स्तर पर शुरू हो गया है. चित्रकला में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राएं इसका लाभ उठा रहे हैं. यहां अध्ययन करके विद्यार्थी अपनी प्रतिभा को बड़ा आधार दे सकते हैं. कहा कि इस आधुनिक युग के आत्मनिर्भर भारत में चित्रकला का भी बड़ी योगदान है.

'सुनियोजित और आत्मनिर्भर बनने में चित्रकला की भूमिका' विषय को निबंध प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया. इस पर छात्र-छात्राओं ने विजुअल आर्ट, स्कल्पचर आर्ट में टाइपोग्राफी, म्यूरल कला, टेक्सटाइल कला की प्रदर्शनी लगाकर आत्मनिर्भर होने का परिचय भी दिया. इस प्रतियोगिता में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा आरती को प्रथम स्थान, बीए प्रथम वर्ष की सौम्या व बीए द्वितीय वर्ष के दिनेश को द्वितीय स्थान मिला है. साथ ही बीए द्वितीय वर्ष की तायबा और बीए प्रथम वर्ष के निधि उपाध्याय को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ.

इस प्रतियोगिता का संचालन चित्रकला की विभागाध्यक्षा डॉ. सविता वर्मा ने किया. प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में प्राचीन इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति रस्तोगी, गृह विज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. तस्लीम फातिमा जैदी और समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर साधना सिंह शामिल थीं.

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