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बागपत: खतरे में पड़ा देश भर में प्रसिद्ध जौहरी गांव का चक्की उद्योग - mill industry

बागपत के जौहरी गांव में स्थापित चक्की उद्योग अब समाप्त होता नजर आ रहा है. चक्की निर्माताओं का कहना है कि जीएसटी, पेट्रोल के बढ़ते दाम और घरों में मीटर लगने से लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में चक्की उद्योग घटता ही जा रहा है.

खतरे में पड़ा चक्की उद्योग.
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Published : May 29, 2019, 3:12 PM IST

बागपत: जिले का जौहरी गांव अपनी चक्कियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. इस गांव में देश भर के कई जगहों से लोग चक्की लेने के लिए आते हैं. यहां की चक्कियों की खास बात उनकी अच्छी गुणवत्ता का होना है. वहीं अब चक्की उद्योग काफी नुकसान में चल रहा है. चक्की निर्माताओं का कहना है कि देश में जीएसटी लगने से चक्की उद्योग पर काफी फर्क पड़ा है, जिससे अब चक्कियों का निर्माण दिन-प्रतिदिन घटता ही जा रहा है.

खतरे में पड़ा चक्की उद्योग.

क्या है जौहरी गांव की खासियत

⦁ बागपत का जौहरी गांव शूटर दादी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस गांव का चक्की उद्योग भी अपने आप में एक खास अहमियत रखता है.
⦁ करीब 50 साल से यहां बनने वाली चक्कियां देशभर में प्रसिद्ध हैं.
⦁ यहां कई तरह की चक्कियां बनाई जाती हैं, जिनमें घरेलू से लेकर उद्योग करने तक के लिए चक्की तैयार की जाती है.
⦁ यहां की चक्कियों में लगने वाला पत्थर उच्च गुणवत्ता का होता है, जो इन चक्कियों को खास बनाता है.

चक्की उद्योग की क्या है समस्या
⦁ जीएसटी लागू होने की वजह से पत्थर महंगा हो गया है.
⦁ घरों में मीटर लगने की वजह से बिजली का बिल ज्यादा आता है.
⦁ पेट्रोल के दाम बढ़ने की वजह से राजस्थान से आने वाले पत्थरों के दाम भी बढ़ गए.
⦁ महीने में 30-40 बिकने वाली चक्कियां अब मात्र 4 या 5 ही बिक पाती हैं.

जीएसटी लगने से पत्थर महंगा हो गया है, इस कारण चक्की के भी दाम बढ़ गए हैं, जिससे अब कोई चक्की लेना उचित नहीं समझता. पहले एक महीने में लगभग 30 से 40 चक्कियों की बिक्री हो जाती थी, लेकिन अब महीने में मुश्किल से 4 से 5 चक्कियां ही बिक पाती हैं. इस कारण चक्की उद्योग दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है.

-फिरोज, चक्की निर्माता

बागपत: जिले का जौहरी गांव अपनी चक्कियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. इस गांव में देश भर के कई जगहों से लोग चक्की लेने के लिए आते हैं. यहां की चक्कियों की खास बात उनकी अच्छी गुणवत्ता का होना है. वहीं अब चक्की उद्योग काफी नुकसान में चल रहा है. चक्की निर्माताओं का कहना है कि देश में जीएसटी लगने से चक्की उद्योग पर काफी फर्क पड़ा है, जिससे अब चक्कियों का निर्माण दिन-प्रतिदिन घटता ही जा रहा है.

खतरे में पड़ा चक्की उद्योग.

क्या है जौहरी गांव की खासियत

⦁ बागपत का जौहरी गांव शूटर दादी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस गांव का चक्की उद्योग भी अपने आप में एक खास अहमियत रखता है.
⦁ करीब 50 साल से यहां बनने वाली चक्कियां देशभर में प्रसिद्ध हैं.
⦁ यहां कई तरह की चक्कियां बनाई जाती हैं, जिनमें घरेलू से लेकर उद्योग करने तक के लिए चक्की तैयार की जाती है.
⦁ यहां की चक्कियों में लगने वाला पत्थर उच्च गुणवत्ता का होता है, जो इन चक्कियों को खास बनाता है.

चक्की उद्योग की क्या है समस्या
⦁ जीएसटी लागू होने की वजह से पत्थर महंगा हो गया है.
⦁ घरों में मीटर लगने की वजह से बिजली का बिल ज्यादा आता है.
⦁ पेट्रोल के दाम बढ़ने की वजह से राजस्थान से आने वाले पत्थरों के दाम भी बढ़ गए.
⦁ महीने में 30-40 बिकने वाली चक्कियां अब मात्र 4 या 5 ही बिक पाती हैं.

जीएसटी लगने से पत्थर महंगा हो गया है, इस कारण चक्की के भी दाम बढ़ गए हैं, जिससे अब कोई चक्की लेना उचित नहीं समझता. पहले एक महीने में लगभग 30 से 40 चक्कियों की बिक्री हो जाती थी, लेकिन अब महीने में मुश्किल से 4 से 5 चक्कियां ही बिक पाती हैं. इस कारण चक्की उद्योग दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है.

-फिरोज, चक्की निर्माता

Intro:बागपत जौहरी गांव अपने चक्की ओं थे के लिए देशभर में विश्व प्रसिद्ध है इस गांव में देश में कई जगह से लोग चक्की लेने के लिए आते हैं। यहां की चक्की बहुत ही प्रसिद्ध और अच्छी गुणवत्ता में बनाई जाती है। लेकिन अब चक्की उद्योग के करती निर्माण कर्ताओं का कहना है। देश में जीएसटी लगने से चक्की उद्योग पर काफी फर्क पड़ा है जिससे अब चक्की ओ का निर्माण दिन-प्रतिदिन घटता ही जा रहा है






Body:बागपत का जौहरी गांव जो शूटरों दादी के नाम से जाना जाता है लेकिन इस गांव को एक और खासियत है यह गांव चक्की उद्योग केंद्र के लिए भी देशभर में 50 साल से प्रशिद्ध है। यहां पर कई प्रकार की चकिया बनाई जाती है। जो घरेलू , उद्योग के लिए कई प्रकार की यहां पर चक्की तैयार की जाती है। यहां पर बनने वाली चक्की बहुत ही अच्छी किस्म की बनती है चक्की ओं में लगने वाला पत्थर उच्च गुणवत्ता का लगाया जाता। गांव में कई तरीके की शक्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन अधिकतर चौकियों का निर्माण घरेलू उपयोग वाली चक्की ओं का होता है। चक्की निर्माण कर्ताओं का कहना है कि जीएसटी लगने से पत्थर महंगा हो गया है इस कारण चक्की के भी दाम बढ़ गए हैं जिससे अब कोई चक्की लेना उचित नहीं समझता। पहले लोग 1 महीने में लगभग 30 से 40 चक्कीया बिक्री हो जाती थी लेकिन अब महीने मुश्किल से 4 से 5 ही बिक्री होती हैं। इस कारण चक्की उद्योग दिन प्रतिदिन घटाई जा रहा है।







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