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हिमाचल HC ने बागपत के डीएम और एसपी को थमाया अवमानना नोटिस, कहा- 25 अगस्त तक हों पेश

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Published : Aug 2, 2021, 8:23 PM IST

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के डीएम व एसपी को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि सुनवाई की अगली तारीख पर अदालतों की अवमानना के संदर्भ में दोनों अधिकारियों की निजी उपस्थिति की आवश्यकता वाले नोटिस जारी करें. न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के लिए आदेश की प्रति फैक्स द्वारा डीजीपी तथा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को ई-मेल द्वारा भेजने के आदेश जारी किए हैं.

हिमाचल HC
हिमाचल HC

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले साल पारित आदेश की अनुपालना न करने पर यूपी के बागपत के डीएम व एसपी को अवमानना नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने पिछले साल जून को एक आदेश पारित किया था. उस आदेश की अनुपालना न करने पर ये अवमानना नोटिस जारी किया गया है. इन दोनों को 25 अगस्त को निजी तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष पेश होना पड़ेगा.

हिमाचल उच्च न्यायालय ने 29 जून 2020 को एक याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को 21 दिनों की अवधि के लिए पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था. उसके बाद नाहन जेल के एसपी ने बागपत यूपी के मजिस्ट्रेट एवं पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करने की मंजूरी मांगी. बागपत के अधिकारियों ने ये मंजूरी देने से इनकार किया.

हाई कोर्ट ने हैरानी जताई कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त आदेश पर अमल नहीं किया गया है. इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि बागपत के जिलाधिकारी और बागपत के पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करने से इंकार कर कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया है.

मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करने के लिए मामला प्रदेश पुलिस विभाग ने उत्तर प्रदेश के संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत के समक्ष उठाया था. उन्होंने न्यायालय के आदेशों के बावजूद अभी भी यह सुनिश्चित नहीं किया है कि याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा किया जाए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था चूंकि याचिकाकर्ता बिजरोले, तहसील बड़ौत, जिला बागपत (यू.पी.) का निवासी है, इसलिए उसे अपने निजी मुचलके के अलावा, अपनी मां या अपने परिवार के किसी करीबी सदस्य का जमानती के तौर पर बांड पेश करना होगा. कोर्ट ने 21 दिनों की पैरोल की समाप्ति पर, याचिकाकर्ता को जेल अधीक्षक, मॉडल सेंट्रल जेल नाहन, जिला सिरमौर के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश जारी किए थे.

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि याचिकाकर्ता पैरोल आदेश की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है और/या कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करता है, तो पैरोल रद्द की जा सकती है. इसे उसके समान भविष्य के अनुप्रयोगों पर विचार करने के लिए एक नकारात्मक कारक के रूप में भी माना जाएगा. मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, बागपत दोनों ही जानबूझकर हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए रिहा नहीं करने के दोषी हैं.

हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि सुनवाई की अगली तारीख पर अदालतों की अवमानना के संदर्भ में दोनों अधिकारियों की निजी उपस्थिति की आवश्यकता वाले नोटिस जारी करें. न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के लिए आदेश की प्रति फैक्स द्वारा डीजीपी तथा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को ई-मेल द्वारा भेजने के आदेश जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें: कड़ी सुरक्षा के बीच हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुरू, पहली बार ड्रोन कैमरे से निगरानी

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले साल पारित आदेश की अनुपालना न करने पर यूपी के बागपत के डीएम व एसपी को अवमानना नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने पिछले साल जून को एक आदेश पारित किया था. उस आदेश की अनुपालना न करने पर ये अवमानना नोटिस जारी किया गया है. इन दोनों को 25 अगस्त को निजी तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष पेश होना पड़ेगा.

हिमाचल उच्च न्यायालय ने 29 जून 2020 को एक याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को 21 दिनों की अवधि के लिए पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था. उसके बाद नाहन जेल के एसपी ने बागपत यूपी के मजिस्ट्रेट एवं पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करने की मंजूरी मांगी. बागपत के अधिकारियों ने ये मंजूरी देने से इनकार किया.

हाई कोर्ट ने हैरानी जताई कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त आदेश पर अमल नहीं किया गया है. इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि बागपत के जिलाधिकारी और बागपत के पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करने से इंकार कर कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया है.

मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पाया कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करने के लिए मामला प्रदेश पुलिस विभाग ने उत्तर प्रदेश के संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक बागपत के समक्ष उठाया था. उन्होंने न्यायालय के आदेशों के बावजूद अभी भी यह सुनिश्चित नहीं किया है कि याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा किया जाए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था चूंकि याचिकाकर्ता बिजरोले, तहसील बड़ौत, जिला बागपत (यू.पी.) का निवासी है, इसलिए उसे अपने निजी मुचलके के अलावा, अपनी मां या अपने परिवार के किसी करीबी सदस्य का जमानती के तौर पर बांड पेश करना होगा. कोर्ट ने 21 दिनों की पैरोल की समाप्ति पर, याचिकाकर्ता को जेल अधीक्षक, मॉडल सेंट्रल जेल नाहन, जिला सिरमौर के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश जारी किए थे.

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि याचिकाकर्ता पैरोल आदेश की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है और/या कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करता है, तो पैरोल रद्द की जा सकती है. इसे उसके समान भविष्य के अनुप्रयोगों पर विचार करने के लिए एक नकारात्मक कारक के रूप में भी माना जाएगा. मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, बागपत दोनों ही जानबूझकर हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए रिहा नहीं करने के दोषी हैं.

हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि सुनवाई की अगली तारीख पर अदालतों की अवमानना के संदर्भ में दोनों अधिकारियों की निजी उपस्थिति की आवश्यकता वाले नोटिस जारी करें. न्यायालय के आदेशों की अनुपालना के लिए आदेश की प्रति फैक्स द्वारा डीजीपी तथा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को ई-मेल द्वारा भेजने के आदेश जारी किए हैं.

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