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बागपत में धरने पर बैठे किसानों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को खून से लिखा खत

बागपत में दिल्ली देहरादून इकॉनोमिक कॉरिडोर निर्माण में कमियों को लेकर लगातार किसान आंदोलन जारी है. धरने पर बैठे सात किसानों ने आज खून से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की है.

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किसान धरना
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Published : Sep 4, 2022, 10:20 PM IST

बागपतः जिले में दिल्ली देहरादून इकॉनोमिक कॉरिडोर निर्माण में कमियों को लेकर टीकरी गांव के जंगल मे चल रहे किसानों का धरना 53 वें दिन भी जारी रहा. धरने पर बैठे सात किसानों ने आज अपने खून से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की है.

टीकरी गांव के जंगल में चल रहे प्रोजेक्ट में किसानों को मुआवजा दिया जाए. यह कॉरिडोर किशनपुर बराल पुसार मार्ग हस्तिनापुर-मेरठ छपरौली से होता हुआ हरियाणा को जोड़ता है उस पर कट दिया जाए. मांग की गई कि पुनर्वास व पुर्नस्थापन का आवार्ड बनाया जाए और किसानों को भी एक कॉपी दिलाई जाए. रकबा दुरुस्तीकरण एनएचएआई द्वारा की गई पैमाइश का आवार्ड, सिंचाई नाली की व्यवस्था, खड़ी फसल एवं नष्ट की गई फसल का मुआवजा, पेड़ एवं नलकूप का दोबारा मूल्यांकन कराया जाए.

किसान नेताओं ने उठाई यह मांग.

पढ़ेंः एमएसपी गारंटी कानून लागू नहीं हुआ तो किसान फिर से करेंगे आंदोलनः राकेश टिकैत

हाईवे के लिए मुआवजा एक समान होना चाहिए. अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग मुआवजा तय किया गया है, जो गलत है. किसानों ने बताया कि आज उन्होंने अपने खून से पत्र लिखा है और उनका धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता.

पढ़ेंः लखीमपुर खीरी में किसानों का 75 घंटे का धरना शुरू, मेधा पाटकर बोलीं अपने वादों से मुकर रही मोदी सरकार

बागपतः जिले में दिल्ली देहरादून इकॉनोमिक कॉरिडोर निर्माण में कमियों को लेकर टीकरी गांव के जंगल मे चल रहे किसानों का धरना 53 वें दिन भी जारी रहा. धरने पर बैठे सात किसानों ने आज अपने खून से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की है.

टीकरी गांव के जंगल में चल रहे प्रोजेक्ट में किसानों को मुआवजा दिया जाए. यह कॉरिडोर किशनपुर बराल पुसार मार्ग हस्तिनापुर-मेरठ छपरौली से होता हुआ हरियाणा को जोड़ता है उस पर कट दिया जाए. मांग की गई कि पुनर्वास व पुर्नस्थापन का आवार्ड बनाया जाए और किसानों को भी एक कॉपी दिलाई जाए. रकबा दुरुस्तीकरण एनएचएआई द्वारा की गई पैमाइश का आवार्ड, सिंचाई नाली की व्यवस्था, खड़ी फसल एवं नष्ट की गई फसल का मुआवजा, पेड़ एवं नलकूप का दोबारा मूल्यांकन कराया जाए.

किसान नेताओं ने उठाई यह मांग.

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हाईवे के लिए मुआवजा एक समान होना चाहिए. अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग मुआवजा तय किया गया है, जो गलत है. किसानों ने बताया कि आज उन्होंने अपने खून से पत्र लिखा है और उनका धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता.

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