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कृषि कानून के विरोध में किसानों का अनोखा प्रदर्शन

यूपी के बागपत जिले में नए कृषि कानून के विरोध में किसानों ने अनोखा प्रदर्शन किया. किसानों ने अपने चेहरे पर अडाणी, अंबानी व तीनों कृषि कानून के पोस्टर लगा उन्हें गोला-लाठी (पैरों के नीचे लाठी में हाथ बांधकर) दी.

किसानों का प्रदर्शन.
किसानों का प्रदर्शन.
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Published : Jan 23, 2021, 7:01 AM IST

बागपत: बड़ौत के राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी पर चल रहा किसानों का धरना 34वें दिन भी जारी रहा. किसानों ने अपने चेहरे पर अडाणी, अंबानी व तीनों कृषि कानून के पोस्टर लगा उन्हें गोला-लाठी (पैरों के नीचे लाठी में हाथ बांधकर) दी.


दिल्ली में गाजीपुर व सिंघु बॉर्डर की तर्ज पर यूपी में किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन बड़ौत में ही चल रहा है. धरने पर किसानों द्वारा नित नए तरीकों के माध्यम से सरकार को कड़ी चेतावनी देने का भी काम किया जा रहा है. किसानों ने अपने चेहरों पर अडाणी, अंबानी व तीनों कृषि कानूनों के प्रतीक पोस्टर लगाकर गोला-लाठी देने का डेमो दिया.

किसानों का कहना था कि देशी भाषा में गोला-लाठी का मतलब होता है कि सजा देना जोकि पूर्व के समय में पंचायत द्वारा लिए निर्णय के बाद संबंधित व्यक्ति को दी जाती थी. अब समय आ गया है जब यह गोला-लाठी उसी तरह से सरकार को दी जाएगी. किसानों कहना था कि कानून वापसी होने तक वे अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे.


इसे भी पढे़ं- किसान देश का अन्नदाता और राजा है: उस्मान अली पाशा

बागपत: बड़ौत के राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी पर चल रहा किसानों का धरना 34वें दिन भी जारी रहा. किसानों ने अपने चेहरे पर अडाणी, अंबानी व तीनों कृषि कानून के पोस्टर लगा उन्हें गोला-लाठी (पैरों के नीचे लाठी में हाथ बांधकर) दी.


दिल्ली में गाजीपुर व सिंघु बॉर्डर की तर्ज पर यूपी में किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन बड़ौत में ही चल रहा है. धरने पर किसानों द्वारा नित नए तरीकों के माध्यम से सरकार को कड़ी चेतावनी देने का भी काम किया जा रहा है. किसानों ने अपने चेहरों पर अडाणी, अंबानी व तीनों कृषि कानूनों के प्रतीक पोस्टर लगाकर गोला-लाठी देने का डेमो दिया.

किसानों का कहना था कि देशी भाषा में गोला-लाठी का मतलब होता है कि सजा देना जोकि पूर्व के समय में पंचायत द्वारा लिए निर्णय के बाद संबंधित व्यक्ति को दी जाती थी. अब समय आ गया है जब यह गोला-लाठी उसी तरह से सरकार को दी जाएगी. किसानों कहना था कि कानून वापसी होने तक वे अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे.


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