बागपत: जिले में मिनी बलूचिस्तान कहे जाने वाले बिलोचपुरा गांव में सरकार की तमाम सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिल रही हैं. इस गांव का इतिहास बहुत ही पुराना है. यह क्रांतिकारी गांव भी कहा जाता है. कहते हैं कि आजादी के समय इसी गांव से असलहा और बारूद गया था. आजादी के बाद सरकार ने इस गांव पर ध्यान ही नहीं दिया.
देश का मिनी बलूचिस्तान
- जिले का बिलोचपुरा गांव जिसे मिनी बलूचिस्तान के नाम से जाना जाता है.
- पंद्रहवीं शताब्दी में बलूचिस्तान से गांव के लोगों के पूर्वज गुजरात के रास्ते हिंदुस्तान आए थे.
- बलूच आज भी जिले के बिलोचपुरा गांव में रह रहे हैं. इस गांव की लगभग 15 हजार आबादी है.
गांव के लोगों ने सरकार की तरफ से नहीं मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताया. हमारी स्थिति और बदतर होती जा रही है. यहां लड़कियों के लिए स्कूल नहीं है. अस्पताल है लेकिन डॉक्टर नहीं हैं. पानी की टंकी लगी हुई है पर वह कई सालों से खराब है. जिससे गर्मी के समय गांव में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हम सरकार के बीच में फंस गए हैं. सरकार हमारा उपयोग करती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिलती है.
-ग्रामीण, बिलोचपुरा