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बागपत : भारत का मिनी बलूचिस्तान, यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित

बागपत जिले का बिलोचपुरा गांव जिसे मिनी बलूचिस्तान भी कहते हैं आज भी इस गांव के लोग सरकार की तमाम मूलभूत सुविधाएं से वंचित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हम सरकार के बीच में फंस गए हैं. सरकार हमारा उपयोग करती है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिलती है.

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Published : Apr 17, 2019, 8:47 PM IST

ग्रामीणों से बात करते हुए.

बागपत: जिले में मिनी बलूचिस्तान कहे जाने वाले बिलोचपुरा गांव में सरकार की तमाम सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिल रही हैं. इस गांव का इतिहास बहुत ही पुराना है. यह क्रांतिकारी गांव भी कहा जाता है. कहते हैं कि आजादी के समय इसी गांव से असलहा और बारूद गया था. आजादी के बाद सरकार ने इस गांव पर ध्यान ही नहीं दिया.

ग्रामीणों से बात करता संवाददाता.


देश का मिनी बलूचिस्तान

  • जिले का बिलोचपुरा गांव जिसे मिनी बलूचिस्तान के नाम से जाना जाता है.
  • पंद्रहवीं शताब्दी में बलूचिस्तान से गांव के लोगों के पूर्वज गुजरात के रास्ते हिंदुस्तान आए थे.
  • बलूच आज भी जिले के बिलोचपुरा गांव में रह रहे हैं. इस गांव की लगभग 15 हजार आबादी है.

गांव के लोगों ने सरकार की तरफ से नहीं मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताया. हमारी स्थिति और बदतर होती जा रही है. यहां लड़कियों के लिए स्कूल नहीं है. अस्पताल है लेकिन डॉक्टर नहीं हैं. पानी की टंकी लगी हुई है पर वह कई सालों से खराब है. जिससे गर्मी के समय गांव में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हम सरकार के बीच में फंस गए हैं. सरकार हमारा उपयोग करती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिलती है.

-ग्रामीण, बिलोचपुरा

बागपत: जिले में मिनी बलूचिस्तान कहे जाने वाले बिलोचपुरा गांव में सरकार की तमाम सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिल रही हैं. इस गांव का इतिहास बहुत ही पुराना है. यह क्रांतिकारी गांव भी कहा जाता है. कहते हैं कि आजादी के समय इसी गांव से असलहा और बारूद गया था. आजादी के बाद सरकार ने इस गांव पर ध्यान ही नहीं दिया.

ग्रामीणों से बात करता संवाददाता.


देश का मिनी बलूचिस्तान

  • जिले का बिलोचपुरा गांव जिसे मिनी बलूचिस्तान के नाम से जाना जाता है.
  • पंद्रहवीं शताब्दी में बलूचिस्तान से गांव के लोगों के पूर्वज गुजरात के रास्ते हिंदुस्तान आए थे.
  • बलूच आज भी जिले के बिलोचपुरा गांव में रह रहे हैं. इस गांव की लगभग 15 हजार आबादी है.

गांव के लोगों ने सरकार की तरफ से नहीं मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताया. हमारी स्थिति और बदतर होती जा रही है. यहां लड़कियों के लिए स्कूल नहीं है. अस्पताल है लेकिन डॉक्टर नहीं हैं. पानी की टंकी लगी हुई है पर वह कई सालों से खराब है. जिससे गर्मी के समय गांव में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हम सरकार के बीच में फंस गए हैं. सरकार हमारा उपयोग करती है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिलती है.

-ग्रामीण, बिलोचपुरा

Intro:बागपत में मनी बलूचिस्तान से ना जाने जाने वाला बिलोचपुरा गांव में सरकार द्वारा कई तमाम सुविधाएं यहां के लोगो को नहीं मिल रही हैं। इस गांव का इतिहास बहुत ही पुराना रह चुका है यह गांव क्रांतिकारी गांव भी कहा जाता है कहते हैं इस आजादी के समय इसी गांव से असला बारूद गया था। आजादी के बाद सरकार ने इस काम पर ध्यान नहीं दिया।


Body:बागपत जिले में एक गांव जिसे हम मिनी बलूचिस्तान के नाम से भी जानते है। पंद्रहवीं शताब्दी में आए थे पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रदेश में बागपत जिले में बलूचिस्तान से उनके पूर्वज गुजरात के रास्ते हिंदुस्तान आए थे। जिसके बाद बलूच आज भी बागपत के बिलोचपुरा गांव में रह रहे हैं। बिलोचपुरा गांव के लगभग 15 हज़ार आबादी है वहीं ईटीवी भारत में इस गांव की स्थिति जानने के लिए पहुंचे तो वहां के लोगों ने अपनी कई मूलभूत सुविधाओं को बताया जो सरकार की तरफ से नही मिल रही है। हमारी स्थिति और बदतर होती जा रही है। यह ना तो लड़कियों के लिए स्कूल है अगर अस्पताल है तो यहां पर डॉक्टर नहीं है पशु अस्पताल में डॉक्टर आते नहीं है पानी की टंकी लगी हुई है पर वह कई सालों से खराब है जिससे गर्मी के समय गांव में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। कुछ बलूचओं का कहना है कि हम सरकार के बीच में फस गए हैं सरकार हमारा उपयोग करती है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिलती।


Conclusion:
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