बागपत: देश में बढ़ते प्रदूषण के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. एक आंकड़े के अनुसार 2019 में पूरे विश्व के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 14 शहर शामिल हैं. ऐसे में बागपत जिले का स्थान देश में 17वें स्थान पर है. सरकार के स्वच्छता अभियान के तमाम वादों के बावजूद भी बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के लिए खतरा बनता जा रहा है. इसके बाद भी जिले के जिम्मेदार अफसर खामोश बैठे हुए हैं. जिले में कंडम वाहन बेशुमार जहरीला धुंआ निकाल रहे हैं. वहीं मिट्टी के बनते गुब्बारे के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
प्रदूषण में 17 वें पायदान पर पहुंचा बागपत
दरअसल, बागपत जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स 260 जाने पर बागपत, देश में 17वें पायदान पर पहुंच गया है. ऐसे स्थिति में अभी तक किसी ने सबक लेना जरूरी नहीं समझा. वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले कारकों को रोकने के लिए, सरकारी तंत्र में कोई पहल नहीं हो रही है. बागपत में भले ही ईंट-भट्ठे की चिमनिओं से धुआं निकलना बंद हो गया हो, लेकिन इसके बाद भी पुराने कंडम वाहन जिलें में दौड़ रहे हैं, और इस कारण से प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
सरकारी तंत्र बने हुए हैं लापरवाह
जिले में चीनी मिल से निकलने वाली महीन राख से भी वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. शहर में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने से शहर में कई गंभीर प्रकार की बीमारियां बढ़ने लगी हैं. प्रदूषण से हार्टअटैक, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. अस्थमा के मरीजों को जिले में सांस लेना दुश्वार हो गया है, लेकिन शहर के आला अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं. प्रदूषण रोकने के लिए जिले में कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है.
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