बदायूं : जिले में विधानसभा की कुल 6 सीटें हैं. विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर परचम लहराया था. केवल एक सहसवान विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी जीतने में कामयाब हो पाई थी.
यह जिला कभी पांचाल देश की राजधानी हुआ करता था. वर्तमान में बदायूं जिला रुहेलखंड मंडल में आता है. 13वीं शताब्दी में यह जिला दिल्ली के मुस्लिम राज्य की एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती चौकी था. 1838 में यह जिला मुख्यालय बना. यह जिला अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए हमेशा से पहचाना जाता रहा है.
हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की अक्सर मिसाल पेश करता रहा है. जनपद देश-विदेश में छोटे बड़े सरकार की दरगाह एवं प्राचीन नगला मंदिर और बिरुआवाडी मंदिर के लिए जाना जाता है. यह जिला गंगा और रामगंगा के दुआब पर बसा है.
यह शहर शेरो-शायरी और अदब के लिए भी पहचाना जाता है. शकील बदायूनी जैसे मशहूर नगमा निगार की यह जन्मभूमि है. बदायूं की सरजमी ने उर्दू और हिंदी के कई मशहूर शायरों और कवियों को जन्म दिया है. इसमें डॉ. बृजेंद्र अवस्थी और डॉक्टर उर्मिलेश शंखधर का नाम प्रमुख है.
बदायूं जिला कभी समाजवादियों का गढ़ माना जाता था. 2017 के विधानसभा चुनाव ने इस मिथक को तोड़ दिया. जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 5 सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीतीं. केवल एक सीट पर ही समाजवादी पार्टी का कब्जा बरकरार रहा.
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इस प्रकार भाजपा की वर्तमान सरकार में जिले से 5 विधायक हैं. बात अगर 2012 के विधानसभा चुनाव की की जाए तो उस समय जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 4 पर समाजवादी पार्टी के विधायक थे. 2 सीटें दातागंज और बिल्सी पर बसपा का कब्जा रहा था.
बदायू सदर विधानसभा सीट-115
बदायूं शहर विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या लगभग 3,64,328 है. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के महेश चंद्र गुप्ता प्रदेश सरकार में नगर विकास राज्यमंत्री हैं. वह बदायूं से विधायक हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आबिद रजा को 2017 के चुनाव में लगभग 16000 वोटों से शिकस्त दी थी.विधानसभा चुनाव 2012 में यह सीट समाजवादी पार्टी प्रत्याशी आबिद रजा ने जीती थी. भारतीय जनता पार्टी के महेश चंद्र गुप्ता 2012 में लगभग 15000 वोटों से चुनाव हारे थे.
आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर रोचक मुकाबला होने की संभावना साफ दिखाई पड़ रही है. इस दौरान शहर के प्रमुख मुद्दे भी केंद्र में रहेंगे. इनमें शहर के सुंदरीकरण और चौड़ीकरण के नाम पर लोगों के मकान और दुकान तोड़े जाने का मुद्दा महत्वपूर्ण होगा.
इसे लेकर शहर की जनता पूर्व में आंदोलन भी कर चुकी है. कोरोना कॉल में अव्यवस्था, जिले की टूटी सड़कें, बरसात में जलभराव व अंडरग्राउंड केबल, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और जिले में बढ़ती बंदरों की तादाद जैसे मुद्दे आगामी 2022 के चुनाव में काफी महत्वपूर्ण तरीके से उठाए जाएंगे.
विशेषज्ञों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में बदायूं विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच आमने सामने की टक्कर है. हालांकि बसपा, कांग्रेस, और निर्दलीय प्रत्याशी भी बदायूं सीट पर बड़ा उलटफेर कर सकते हैं.