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बदायूं: विजयदशमी के दिन शमी वृक्ष और नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना होता है शुभ

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Published : Oct 8, 2019, 6:51 PM IST

विजयदशमी का त्योहार हिन्दु धर्मों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक है. वहीं यह माना जाता है कि इस दिन किए गए हर काम में सफलता मिलती है.

विजयदशमी पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक माना जाता है.

बदायूं: विजयदशमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे हिंदू धर्म में इस त्योहार की बहुत मान्यता है. आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने लंका पर विजय पाई थी, इसलिए विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. वहीं जिले के उसावा ब्लाक परिसर में मनकामेश्वर मंदिर पर विजयदशमी के पर्व पर श्रद्धालुओं ने श्री राम जानकी के दर्शन करके कन्या भोज कराया.

विजयदशमी पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक माना जाता है.
दशहरा का महत्‍व दशहरा का धार्मिक महत्‍व तो है ही, लेकिन यह त्‍योहार आज भी बेहद प्रासंगिक है. यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक है. आज भी कई बुराइयों के रूप में रावण जिंदा है. यह त्‍योहार हमें हर साल याद दिलाता है कि हम बुराई रूपी रावण का नाश करके ही जीवन को बेहतर बना सकते हैं. महंगाई, भ्रष्‍टाचार, व्‍यभिचार, बेईमानी, यौन हिंसा और यौन शोषण जैसी तमाम ऐसी बुराइयां हैं जो आज भी अपना अट्टहास कर मानवता और सभ्‍य समाज को चुनौती दे रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम दशहरा के दिन इनको जड़ से खत्‍म करने का संकल्‍प लें. तभी हम सही मायनों में दशहरा की महत्ता को समझ पाएंगे.

इसे भी पढ़ें- हवाई जहाज पर बैठा रावण बना आकर्षण का केंद्र, लोग बोले- सीधा भेजा जाएगा पाकिस्तान

दशहरा के दिन पूजा की परंपरा
दशहरा का विजय मुहूर्त सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है. मान्‍यता है कि शत्रु पर विजय प्राप्‍त करने के लिए इसी समय निकलना चाहिए. विजय मुहूर्त में गाड़ी, इलेक्‍ट्रॉनिक सामान, आभूषण और वस्‍त्र खरीदना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस मुहूर्त में कोई भी नया काम किया जाए तो सफलता अवश्‍य मिलती है. इस दिन शस्‍त्र पूजा के साथ ही शमी के पेड़ की पूजा की जाती है. साथ ही रावण दहन के बाद थोड़ी सी राख को घर में रखना शुभ माना जाता है.

विजयदशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन और शमी वृक्ष के दर्शन शुभ माने जाते हैं. आज के दिन हवन करने से सिद्धियां बढ़ती हैं. यह बहुत पवित्र और शुभ त्योहार माना जाता है. इस पर कोई भी कार्य करो तो उस पर विजय अवश्य होती है.
-स्वामी ओम दास

बदायूं: विजयदशमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे हिंदू धर्म में इस त्योहार की बहुत मान्यता है. आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने लंका पर विजय पाई थी, इसलिए विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. वहीं जिले के उसावा ब्लाक परिसर में मनकामेश्वर मंदिर पर विजयदशमी के पर्व पर श्रद्धालुओं ने श्री राम जानकी के दर्शन करके कन्या भोज कराया.

विजयदशमी पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक माना जाता है.
दशहरा का महत्‍व दशहरा का धार्मिक महत्‍व तो है ही, लेकिन यह त्‍योहार आज भी बेहद प्रासंगिक है. यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक है. आज भी कई बुराइयों के रूप में रावण जिंदा है. यह त्‍योहार हमें हर साल याद दिलाता है कि हम बुराई रूपी रावण का नाश करके ही जीवन को बेहतर बना सकते हैं. महंगाई, भ्रष्‍टाचार, व्‍यभिचार, बेईमानी, यौन हिंसा और यौन शोषण जैसी तमाम ऐसी बुराइयां हैं जो आज भी अपना अट्टहास कर मानवता और सभ्‍य समाज को चुनौती दे रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम दशहरा के दिन इनको जड़ से खत्‍म करने का संकल्‍प लें. तभी हम सही मायनों में दशहरा की महत्ता को समझ पाएंगे.

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दशहरा के दिन पूजा की परंपरा
दशहरा का विजय मुहूर्त सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है. मान्‍यता है कि शत्रु पर विजय प्राप्‍त करने के लिए इसी समय निकलना चाहिए. विजय मुहूर्त में गाड़ी, इलेक्‍ट्रॉनिक सामान, आभूषण और वस्‍त्र खरीदना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस मुहूर्त में कोई भी नया काम किया जाए तो सफलता अवश्‍य मिलती है. इस दिन शस्‍त्र पूजा के साथ ही शमी के पेड़ की पूजा की जाती है. साथ ही रावण दहन के बाद थोड़ी सी राख को घर में रखना शुभ माना जाता है.

विजयदशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन और शमी वृक्ष के दर्शन शुभ माने जाते हैं. आज के दिन हवन करने से सिद्धियां बढ़ती हैं. यह बहुत पवित्र और शुभ त्योहार माना जाता है. इस पर कोई भी कार्य करो तो उस पर विजय अवश्य होती है.
-स्वामी ओम दास

Intro:बदायूँ: विजयदशमी के दिन शमी बृक्ष,नीलकंठ पक्षी के दर्शन शुभBody:बदायूँ: विजयदशमी के दिन शमी बृक्ष,नीलकंठ पक्षी के दर्शन शुभ

बदायूँ: जनपद के उसावा ब्लाक परिसर में मनकामेश्वर मंदिर पर विजयदशमी के पर्व पर श्रद्धालु श्री राम जानकी के दर्शन करके, कन्या भोज भी कराया गया। विजयदशमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है हमारे हिंदू धर्म में इस त्यौहार की बहुत मानता है दशहरे के मौके पर दसों दिशाओं से खुली रहती हैं सभी तरफ का आवागमन शुभ माना जाता है आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने लंका पर विजय पाई थी इसलिए विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है

दशहरा का महत्‍व 
दशहरा का धार्मिक महत्‍व तो है ही लेकिन यह त्‍योहार आज भी बेहद प्रासंगिक है. यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई का प्रतीक है. आज भी कई बुराइयों के रूप में रावण जिंदा है. यह त्‍योहार हमें हर साल याद दिलाता है कि हम बुराई रूपी रावण का नाश करके ही जीवन को बेहतर बना सकते हैं. महंगाई, भ्रष्‍टाचार, व्‍यभिचार, बेईमानी, हिंसा, भेदभाव, ईर्ष्‍या-द्वेष, पर्यावरण प्रदूषण, यौन हिंसा और यौन शोषण जैसी तमाम ऐसी बुराइयां हैं जो आज भी अपना अट्टाहस कर मानवता और सभ्‍य समाज को चुनौती दे रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम दशहरा के दिन इनको जड़ से खत्‍म करने का संकल्‍प लें. तभी हम सही मायनों में दशहरा की महत्ता को समझ पाएंगे.

दशहरा के दिन पूजा की परंपरा 
दशहरा का विजय मुहूर्त सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है. मान्‍यता है कि शत्रु पर विजय प्राप्‍त करने के लिए इसी समय निकलना चाहिए. विजय मुहूर्त में गाड़ी, इलेक्‍ट्रॉनिक सामान, आभूषण और वस्‍त्र खरीदना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस मुहूर्त में कोई भी नया काम किया जाए तो सफलता अवश्‍य मिलती है. इस दिन शस्‍त्र पूजा के साथ ही शमी के पेड़ की पूजा की जाती है. साथ ही रावण दहन के बाद थोड़ी सी राख को घर में रखना शुभ माना जाता है.


स्वामी ओम दास ने बताया विजयदशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन शमी वृक्ष के दर्शन शुभ माने जाते हैं आज के दिन हवन करने से सिद्धियां सिद्धियां बढ़ती हैं पवित्र और शुभ त्योहार माना जाता है इस पर कोई भी कार्य करो तो उस पर विजय अवश्य होती हैConclusion:विजयदशमी 2019 :
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Bit-1स्वामी ओम दास
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Hemant kumar
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