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यहां रावण की पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद - ravan worship on dussehra

उत्तर प्रदेश के बदायूं के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर है. यहां रावण की विधिवत पूजा होती है. मान्यता है कि इस मंदिर में विजय दशमी के दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

रावण मंदिर.
रावण मंदिर.
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Published : Oct 15, 2021, 1:35 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 2:00 PM IST

बदायूं: भगवान राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में राम को नायक माना जाता है. जिले में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की विधिवत पूजा होती है. दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

साहूकारा मोहल्ले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर

बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में रावण की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है. रावण की यह प्रतिमा भगवान शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. कहा जाता है कि रावण परम ज्ञानी था. वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और इसीलिए वह सीता जी का हरण करके ले गया. इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण की पूजा करते हैं.

पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद

इस मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है. इसलिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं. कहते हैं कि जिन लोगों की शादी होने में रुकावट आ रही होती है, वह यहां आकर विजय दशमी के दिन मन्नत मांगें तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है.

आज भी हैं रावण के उपासक

देश के अलग-अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो, लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है. लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रवृत्ति के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं.

इसे भी पढ़ें- Dashanan Ravan Mandir: देश का एक ऐसा मंदिर जो केवल दशहरे पर खुलता है, लोग करते हैं रावण की पूजा

बदायूं: भगवान राम के द्वारा रावण वध को दशहरे के पर्व के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में राम को नायक माना जाता है. जिले में रावण का एक मंदिर है जहां रावण की विधिवत पूजा होती है. दशहरे के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस दिन शादी की मन्नत मांगने वालों की मुराद जल्द पूरी होती है.

साहूकारा मोहल्ले में स्थित है रावण का प्राचीन मंदिर

बदायूं शहर के साहूकारा मोहल्ले में रावण का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में रावण की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है. रावण की यह प्रतिमा भगवान शिव की तरफ आराधना करते हुए दिखाई गई है. इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था. कहा जाता है कि रावण परम ज्ञानी था. वह जानता था कि सीता माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और इसीलिए वह सीता जी का हरण करके ले गया. इस तर्क को मानने वाले आज भी रावण की पूजा करते हैं.

पूजा करने से पूरी होती है शादी की मुराद

इस मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है. इसलिए दशहरे पर श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और रावण की विधिवत पूजा करते हैं. कहते हैं कि जिन लोगों की शादी होने में रुकावट आ रही होती है, वह यहां आकर विजय दशमी के दिन मन्नत मांगें तो उनकी मुराद बहुत जल्दी पूरी होती है.

आज भी हैं रावण के उपासक

देश के अलग-अलग प्रान्तों में पूजा भले ही अलग अलग तरीके से होती हो, लेकिन पूजा देवत्व गुणों की ही होती है. रावण के मंदिर की स्थापना के क्या कारण थे यह कहना मुश्किल है. लेकिन जिस रावण का हर वर्ष आसुरी प्रवृत्ति के कारण दहन किया जाता है उस रावण के उपासक आज भी हैं.

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Last Updated : Oct 15, 2021, 2:00 PM IST
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