बदायूं: जिले में तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होना है. इसके लिए एक ओर मतदाताओं को मतदान की शपथ दिलाई जा रही है. वहीं प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने भी अपने-अपने नामंकन पत्र दाखिल कर दिये हैं. ऐसे में अब चुनावी वायदे और विरोधियों पर आरोपों का दौर शुरू हो गया है.
बदायूं से कांग्रेस ने पांच बार के सांसद सलीम इकबाल शेरवानी को मैदान में उतारा है. वहीं सपा-बसपा गठबंधन ने दो बार के सांसद धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य पर अपना दांव लगाया है. देखने वाली बात यह होगी कि वादों और आरोपों के बीच बदायूं सीट पर किसका परचम लहराएगा.
जिले का हर मतदाता 23 अप्रैल का इंतजार कर रहा है, जब वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर देश की सरकार बनाने में अपनी भागेदारी सुनिश्चित करेगा. वहीं नामंकन कराने की आखिरी तारीख भी बीत गई. मुख्य पार्टियों में से कांग्रेस, बीजेपी और गठबंधन ने अपने-अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है. साथ ही कई निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमाने को चुनावी मैदान में उतरे हैं.
सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी और वर्तमान में बदायूं से सांसद धर्मेद्र यादव अपने किए गए विकास को इस बार के चुनाव में मुख्य मुद्दा मानते हैं. हालांकि उनके विरोधी अक्सर उन पर तमाम आरोप भी लगाते रहते हैं. उन्होंने नामंकन करवाने के बाद कहा कि अगर हम जीतते हैं तो सबसे पहले अपने अधूरे कामों को पूरा करेंगे. बीजेपी ने जो झूट बोला है उसे लोगों को बताएंगे और हमारी पार्टी ने जो विकास करवाया है उससे लोगों को अवगत कराएंगे.
वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी सलीम इकवाल शेरवानी बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके हैं. इकबाल शेरवानी एक बार कांग्रेस से और चार बार सपा से चुन कर संसद पहुंचे, लेकिन इन पर आरोप लगते रहे हैं कि इन्होंने बदायूं में विकास नहीं कराया. इनका कहना है कि अगर मेरे चाचा या मेरा भाई भी मुख्यमंत्री होता तो मैं बगैर कमीशन लिये ज्यादा विकास करवा देता.
वहीं बीजेपी प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य पहली बार बदायूं से चुनाव लड़ रही हैं. इनके पास अपने बारे में ज्यादा कहने को कुछ नहीं है, लेकिन ये मुलायम सिंह यादव की ओर से मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने के दिये गये आशीर्वाद को अपना चुनावी हथियार बनाये हुए हैं. साथ ही इनका कहना है कि इस बार सबकी जमानत जब्त होने की बात कह रही हैं.