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बदायूंः प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन से कुम्हारों के आए अच्छे दिन

प्रदेश में प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने से मिट्टी से बने दीयों की मांग बढ़ गई है. बाजारों में कुम्हारों के हाथों की कारीगरी की सुंदर झलक सजने लगी हैं. प्लास्टिक के बैन होने से जहां मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है. वहीं कुम्हारों के चेहरों पर खुशियां जैसे वापस आ गई हैं.

मिट्टी से बने दीयों की मांग बढ़ी.
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Published : Oct 17, 2019, 6:58 PM IST

बदायूंः जिले में कुम्हारों के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है. दीपावली का त्योहार नजदीक होने पर अचानक से दीये की मांग बढ़ गई है. प्रदेश में प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने से मिट्टी के दीये और फैंसी दीयों की मांग बढ़ गई है. कुम्हार इस बात को लेकर काफी खुश है कि उनकी इस बार की कमाई अच्छी होगी और वह इस बार अच्छे ढंग से दीपावली मना पाएंगे.

मिट्टी से बने दीयों की मांग बढ़ी.

कुल्हड़ की भी बढ़ी मांग
जिले के कुम्हारों का कहना है कि प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होते ही दीयों के साथ कुल्हड़ की भी मांग बढ़ गई है. मांग इतनी ज्यादा है कि पूरा परिवार अब इसी काम में लगा रहता है और पहले के मुकाबले उनका व्यापार काफी बढ़ गया है. इससे वह काफी खुश है. वहीं जिले की एक महिला कुम्हार ने कहा कि पहले जब प्लास्टिक बैन नहीं थी, तब उनका व्यापार बहुत कम चलता था. लोग मिट्टी के बर्तन का उपयोग नहीं करते थे, लेकिन प्लास्टिक के बैन होते ही कुल्हड़ की मांग भी बढ़ गई है. क्योंकि अब चाय वाले प्लास्टिक के कप में चाय नहीं दे रहे हैं, बल्कि कुल्हड़ का प्रयोग कर रहे हैं.

पढे़ं- अयोध्या: 40 गरीब कुम्हारों के लिए 'भगवान' बनकर आए सीएम योगी

बदायूंः जिले में कुम्हारों के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई है. दीपावली का त्योहार नजदीक होने पर अचानक से दीये की मांग बढ़ गई है. प्रदेश में प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने से मिट्टी के दीये और फैंसी दीयों की मांग बढ़ गई है. कुम्हार इस बात को लेकर काफी खुश है कि उनकी इस बार की कमाई अच्छी होगी और वह इस बार अच्छे ढंग से दीपावली मना पाएंगे.

मिट्टी से बने दीयों की मांग बढ़ी.

कुल्हड़ की भी बढ़ी मांग
जिले के कुम्हारों का कहना है कि प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होते ही दीयों के साथ कुल्हड़ की भी मांग बढ़ गई है. मांग इतनी ज्यादा है कि पूरा परिवार अब इसी काम में लगा रहता है और पहले के मुकाबले उनका व्यापार काफी बढ़ गया है. इससे वह काफी खुश है. वहीं जिले की एक महिला कुम्हार ने कहा कि पहले जब प्लास्टिक बैन नहीं थी, तब उनका व्यापार बहुत कम चलता था. लोग मिट्टी के बर्तन का उपयोग नहीं करते थे, लेकिन प्लास्टिक के बैन होते ही कुल्हड़ की मांग भी बढ़ गई है. क्योंकि अब चाय वाले प्लास्टिक के कप में चाय नहीं दे रहे हैं, बल्कि कुल्हड़ का प्रयोग कर रहे हैं.

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Intro:प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने के साथ ही कुम्हारों के अच्छे दिन आ गए है ....दीपावली त्योहार नजदीक होने पर अचानक से दीये की मांग बढ़ गई है ...जिसे मिट्टी के बर्तन के कारीगरों के चेहरे खिल उठे है ...देखिये ये रिपोर्ट ....


Body:मोदी सरकार ने जो अच्छे दिन का वादा किया था वो अब लग रहा है पूरे होने वाले है क्योंकि दीवाली के आते ही कुम्हारों के अच्छे दिन शुरू हो गए है ...इस बार प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने से मिट्टी के दीये और फैंसी दीयों की मांग बढ़ गई है ...कुम्हार इस बात को लेकर काफी खुश है कि उन्हें इस बार अच्छी कमाई होगी और वो इस बार अच्छे ढंग से दीपावली मना पाएंगे...प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होते ही दीयों के साथ कुल्हड़ की भी मांग बढ़ गई है साथ मांग इतनी ज्यादा है कि पूरा परिवार अब इसी काम में लगा रहता है और पहले के मुकाबले उनका व्यापार काफी बढ़ गया है जिसे वो काफी खुश है ...वही मिट्टी की महिला कारीगर का कहना था कि पहले जब प्लास्टिक बैन नहीं थी तब उनका व्यापार बहुत कम चलता था.. लोग मिट्टी के बर्तन का उपयोग नहीं करते थे लेकिन बैन होते ही कुल्हड़ की मांग भी बढ़ गई है क्योंकि अब चाय वाले प्लास्टिक के कप में चाय नहीं दे रहे है बल्कि कुल्हड़ का प्रयोग कर रहे है ...जिसे की उनके व्यापार को काफी फायदा हुआ है ...और उन्हें भी लग रहा है कि अब दीवाली तो अच्छे ढंग से मनाएंगे ही उसके साथ कुछ पैसा भी बचा पाएंगे जो आगे काम आएगा ...


Conclusion:एक बात तो साफ है कि प्लास्टिक और थर्माकोल के बैन होने से कुम्हारों के अच्छे दिन जरूर आ गए है तभी वो काफी खुश है ...
(बाइट- राजकुमारी , मिट्टी के बर्तन की कारीगर)
(बाइट- अरविंद , मिट्टी के बर्तन का कारीगर)
(क्रांन्तिवीर सिंह, 7011197408)
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