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बदायूं: दातागंज के पूर्व विधायक सिनोद शाक्य BSP से निष्कासित

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Published : Oct 2, 2020, 9:36 AM IST

यूपी के बदायूं जिले के दातागंज विधानसभा से दो बार बसपा से विधायक रहे सिनोद शाक्य उर्फ दीपू को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.

दातागंज के पूर्व विधायक सिनोद शक्या.
दातागंज के पूर्व विधायक सिनोद शक्या.

बदायूं: विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां पार्टी लाइन के इतर जा रहे नेताओं पर कार्रवाई भी कर रही हैं. इनमें पहला नाम बदायूं के दातागंज से दो बार विधायक रहे सिनोद शाक्य का जुड़ा है, जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बीएसपी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

बता दें कि सिनोद शाक्य बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं और उनकी पत्नी सुनीता शाक्य लोकसभा आंवला से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकी हैं. इस बार लोकसभा 2019 में गठबंधन होने की वजह से बसपा का टिकट रुचि वीरा को मिला था. कहा जा रहा है तभी से सिनोद शाक्य का मन बसपा से बदला और वे पार्टी से दूर होते गए.

कहा जा रहा है कि पत्नी को टिकट न मिलने से पूर्व विधायक नाराज जरूर थे, लेकिन वे पार्टी को नहीं छोड़ना चाहते थे. यही वजह है कि वे लोकसभा चुनाव के बाद भी पार्टी में बने रहे. लेकिन बसपा जिलाध्यक्ष लखन सिंह ने सिनोद शाक्य को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

बदायूं: विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां पार्टी लाइन के इतर जा रहे नेताओं पर कार्रवाई भी कर रही हैं. इनमें पहला नाम बदायूं के दातागंज से दो बार विधायक रहे सिनोद शाक्य का जुड़ा है, जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बीएसपी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

बता दें कि सिनोद शाक्य बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं और उनकी पत्नी सुनीता शाक्य लोकसभा आंवला से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुकी हैं. इस बार लोकसभा 2019 में गठबंधन होने की वजह से बसपा का टिकट रुचि वीरा को मिला था. कहा जा रहा है तभी से सिनोद शाक्य का मन बसपा से बदला और वे पार्टी से दूर होते गए.

कहा जा रहा है कि पत्नी को टिकट न मिलने से पूर्व विधायक नाराज जरूर थे, लेकिन वे पार्टी को नहीं छोड़ना चाहते थे. यही वजह है कि वे लोकसभा चुनाव के बाद भी पार्टी में बने रहे. लेकिन बसपा जिलाध्यक्ष लखन सिंह ने सिनोद शाक्य को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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