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लोकसभा चुनाव: भाजपा प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य 20,000 वोटों से आगे - धर्मेद्र यादव

बदायूं संसदीय सीट पर सपा के मौजूदा सांसद धर्मेंद्र यादव और भाजपा की डॉ. संघमित्रा मौर्य के बीच कड़ा मुकाबला है. फिलहाल 20,000 वोटों से संघमित्रा मौर्य आगे चल रही हैं.

भाजपा प्रत्याशी डॉ.संघमित्रा मौर्य
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Published : May 23, 2019, 12:33 PM IST

Updated : May 23, 2019, 2:39 PM IST

बदायूं : लोकसभा चुनाव 2019 का आज निर्णायक दिन है. लोकसभा चुनाव 2019 के सात चरणों में हुए चुनाव के वोटों की आज गिनती हो रही है और शाम तक यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि केन्द्र में सरकार बनने की यूपी की क्या भूमिका है. केंद्र में सरकार बनाने के नजरिए से उत्तर-प्रदेश की बड़ी सियासी भूमिका होती है. कारण है कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और इस राज्य की जीत के दम पर कई बार केंद्र में सरकारें बनी हैं.

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भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य.

20,000 वोटों से संघमित्रा आगे चल रही हैं.

बदायूं सीट पर यह हैं प्रत्याशी

1- सपा-बसपा गठबंधन : धर्मेंद्र यादव

2- भाजपा : डॉ. संघमित्रा मौर्य

3- कांग्रेस : सलीम इकबाल शेरवानी

4- भारतीय गदर पार्टी : कृपाशंकर शाक्य

5- कल्याणकारी जनतांत्रिक पार्टी : महेश श्रीवास्तव

6- ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक : कैलाश कुमार मिश्र

7- निर्दलीय : स्वामी पगलानंद

8- निर्दलीय : अतुल कुमार

9- निर्दलीय : हरि सिंह

इस बार भी राजनीतिक दलों के साथ-साथ पूरे देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यूपी में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं और यूपी इस बार केंद्र की सियासत में कितनी बड़ी भूमिका निभा पाता है. इस लोकसभा चुनाव में यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला रहा. यूपी की सियासत में इस लोकसभा चुनाव में वह देखने को मिला जो कई दशक पहले देखने को मिला था. यानी बीजेपी को टक्कर देने और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर केंद्र में अहम भूमिका निभाने के उद्देश्य से मायावती की बसपा और अखिलेश यादव की सपा एक साथ चुनावी मैदान में आई.

जिले में मतदान 23 अप्रैल को तीसरे चरण में ही हो गया था. तब लग रहा था कि मतगणना के लिए महीनेभर का वक्त गुजारना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन एक-एक दिन कर पूरा माह गुजर गया और फैसले की घड़ी आ गई.

जिले में 1239184 पुरुष, 1039413 महिला एवं 83 अन्य यानि कुल 2278680 मतदाता हैं, लेकिन इस बार 56.59 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया है. जिसके पक्ष में अधिक वोट पड़े होंगे वही सरताज बनेगा.

राजनीतिक दलों के पदाधिकारी और समर्थक महीनेभर से बूथवार पड़े वोटों का आंकड़ा लेकर मंथन कर रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा से जुड़े लोगों के अपने-अपने तर्क दिए हैं. 2014 के चुनाव में मिले मतों को आधार मानकर अपना-अपना गणित बैठाते रहे हैं.

चुनावी रैलियों में जुटी भीड़ और स्टार प्रचारकों की सभाओं को भी चुनाव जीतने का आधार बताया जा रहा. यहां से दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके सपा के धर्मेंद्र यादव अगर जीतते हैं कि उनकी जीत की हैट्रिक होगी. अगर भाजपा की संघमित्रा चुनाव जीतती हैं तो उन्हें पहली बार संसद पहुंचने का मौका मिलेगा. सपा और भाजपा दोनों के कार्यालयों पर मतगणना में एजेंटों को अहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं. बहरहाल गुरुवार को मतगणना के दौरान दोपहर तक स्थिति साफ हो जाएगी.

बदायूं : लोकसभा चुनाव 2019 का आज निर्णायक दिन है. लोकसभा चुनाव 2019 के सात चरणों में हुए चुनाव के वोटों की आज गिनती हो रही है और शाम तक यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि केन्द्र में सरकार बनने की यूपी की क्या भूमिका है. केंद्र में सरकार बनाने के नजरिए से उत्तर-प्रदेश की बड़ी सियासी भूमिका होती है. कारण है कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और इस राज्य की जीत के दम पर कई बार केंद्र में सरकारें बनी हैं.

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भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघमित्रा मौर्य.

20,000 वोटों से संघमित्रा आगे चल रही हैं.

बदायूं सीट पर यह हैं प्रत्याशी

1- सपा-बसपा गठबंधन : धर्मेंद्र यादव

2- भाजपा : डॉ. संघमित्रा मौर्य

3- कांग्रेस : सलीम इकबाल शेरवानी

4- भारतीय गदर पार्टी : कृपाशंकर शाक्य

5- कल्याणकारी जनतांत्रिक पार्टी : महेश श्रीवास्तव

6- ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक : कैलाश कुमार मिश्र

7- निर्दलीय : स्वामी पगलानंद

8- निर्दलीय : अतुल कुमार

9- निर्दलीय : हरि सिंह

इस बार भी राजनीतिक दलों के साथ-साथ पूरे देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यूपी में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं और यूपी इस बार केंद्र की सियासत में कितनी बड़ी भूमिका निभा पाता है. इस लोकसभा चुनाव में यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला रहा. यूपी की सियासत में इस लोकसभा चुनाव में वह देखने को मिला जो कई दशक पहले देखने को मिला था. यानी बीजेपी को टक्कर देने और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर केंद्र में अहम भूमिका निभाने के उद्देश्य से मायावती की बसपा और अखिलेश यादव की सपा एक साथ चुनावी मैदान में आई.

जिले में मतदान 23 अप्रैल को तीसरे चरण में ही हो गया था. तब लग रहा था कि मतगणना के लिए महीनेभर का वक्त गुजारना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन एक-एक दिन कर पूरा माह गुजर गया और फैसले की घड़ी आ गई.

जिले में 1239184 पुरुष, 1039413 महिला एवं 83 अन्य यानि कुल 2278680 मतदाता हैं, लेकिन इस बार 56.59 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया है. जिसके पक्ष में अधिक वोट पड़े होंगे वही सरताज बनेगा.

राजनीतिक दलों के पदाधिकारी और समर्थक महीनेभर से बूथवार पड़े वोटों का आंकड़ा लेकर मंथन कर रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा से जुड़े लोगों के अपने-अपने तर्क दिए हैं. 2014 के चुनाव में मिले मतों को आधार मानकर अपना-अपना गणित बैठाते रहे हैं.

चुनावी रैलियों में जुटी भीड़ और स्टार प्रचारकों की सभाओं को भी चुनाव जीतने का आधार बताया जा रहा. यहां से दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके सपा के धर्मेंद्र यादव अगर जीतते हैं कि उनकी जीत की हैट्रिक होगी. अगर भाजपा की संघमित्रा चुनाव जीतती हैं तो उन्हें पहली बार संसद पहुंचने का मौका मिलेगा. सपा और भाजपा दोनों के कार्यालयों पर मतगणना में एजेंटों को अहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं. बहरहाल गुरुवार को मतगणना के दौरान दोपहर तक स्थिति साफ हो जाएगी.

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50120 वोटो से संघमित्रा आगे चल रही हैं.



धर्मेंद्र यादव पीछे


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Last Updated : May 23, 2019, 2:39 PM IST
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