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UP Assembly Election 2022: बदायूं की बिल्सी में नहीं बदले हाल, आज भी रोडवेज और बाईपास की ताक

आज भी बदायूं का बिल्सी विधानसभा क्षेत्र अपनी पुरानी समस्याओं से जूझ रहा है. हर बार यहां चुनाव के दौरान सियासी दलों के प्रत्याशी आते हैं और वादे कर चले जाते हैं. लेकिन किसी ने भी यहां की समस्याओं पर गौर नहीं किया. यहां तक कि बसपा सुप्रीमो मायावती भी इस सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं. बावजूद इसके आज भी रोडवेज और बाईपास यहां के लोगों के लिए दूर की कौड़ी बनी हुई है.

बदायूं की बिल्सी में नहीं बदले हाल
बदायूं की बिल्सी में नहीं बदले हाल
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Published : Sep 27, 2021, 8:33 AM IST

Updated : Sep 27, 2021, 1:40 PM IST

बदायूं: बदायूं जनपद (Badaun) की बिल्सी (114) विधानसभा सीट (Bilsi Assembly) अचानक से उस समय सुर्खियों में आई, जब 1996 में बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने यहां से चुनाव लड़ा और जीतने के बाद उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया. दरअसल, मायावती दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ी थी. यही कारण था कि उन्होंने चुनाव जीतने के बाद बिल्सी को छोड़ हरोंदा का प्रतिनिधित्व किया.

हालांकि, बसपा सुप्रीमो ने बिल्सी से करीब 2500 वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन यहां से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने बिल्सी को छोड़ सहारनपुर की हरोंदा सीट का प्रतिनिधित्व चुना.

इधर, उनके यहां से इस्तीफा देने के बाद दोबारा चुनाव हुए, जिसमें बसपा के भोला शंकर मौर्य ने जीत दर्ज की, जिन्हें तत्कालीन बसपा सरकार में साइंस एंड टेक्नालॉजी मिनिस्टर बनाया गया था.

बदायूं की बिल्सी में नहीं बदले हाल

इसे भी पढ़ें - योगी मंत्रिमंडल में शामिल हुए 7 नए चेहरे, सभी के बारे में जानें

वहीं, 2012 के परिसीमन से पहले बिल्सी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. लेकिन बाद में अनारक्षित हो गई और इस सीट पर 2017 की मोदी लहर में भाजपा के आरके शर्मा ने जीत दर्ज की.

क्षेत्र की जातीय समीकरण

इस सीट पर सबसे अधिक 15 फीसद मुस्लिम हैं तो अपर कास्ट 18 फीसद, यादव 6 फीसद, ठाकुर 11 फीसद और मौर्या 11 फीसद हैं. अगर जातिगत नजरिए से इस विधानसभा क्षेत्र को देखें तो इस सीट पर शाक्य, मुस्लिम, ठाकुर, और दलित वोटरों की संख्या में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. बिल्सी विधानसभा में कुल मतों की संख्या करीब 3,43,612 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग 1,87,376 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,56,223 है.

क्षेत्र की समस्याएं

यह क्षेत्र हमेशा से ही कनेक्टिविटी की समस्या से जूझता रहा है. यहां के लोगों की प्रमुख मांग रोडवेज डिपो की रही है, क्योंकि शाम ढलने के बाद यहां से कहीं और जाने को बस या फिर अन्य साधनों की कोई व्यवस्था नहीं होती है.

इसे भी पढ़ें - Assembly Election 2022 : बसपा के गढ़ में किसानों के मुद्दे को ढाल बनाकर चुनावी जंग में कूदेगी सपा

हर चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी यहां रोडवेज का डिपो स्थापित करने की बात तो करते आए हैं, लेकिन आज तक समस्या जस की तस है. मौजूदा आलम यह है कि यहां के लोगों को बाहर जाने को या तो बदायूं आना पड़ता है या फिर पड़ोसी कस्बों में जाकर बस पकड़नी पड़ती है.

रात 8 बजे के बाद यहां से कोई भी रोडवेज की सेवा नहीं है. यूं तो बिल्सी बदायूं बिजनौर राजमार्ग पर पड़ता है. लेकिन न तो बिल्सी होकर बदायूं से कोई बस बिजनौर जाती है और न ही बिजनौर से कोई बस बिल्सी होकर बदायूं आती है.

क्षेत्र में केवल एक ही डिग्री कॉलेज है. इसमें केवल बीए कोर्स है. अन्य कोर्सिज के लिए छात्रों को बरेली, दिल्ली या किसी दूसरे प्रांत में पढ़ने जाना पड़ता है. गन्ना किसानों की भी कई समस्याएं हैं, जिनमें से भुगतान न होना भी एक बड़ी समस्या है.

वहीं, आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो इस बार बिल्सी विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक होगा, जिसमें भाजपा, सपा और बसपा अपने वोटों के आधार पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं. वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी और निर्दलीय कोई भी पार्टी यहां खेल बिगाड़ का काम कर सकते हैं.

बदायूं: बदायूं जनपद (Badaun) की बिल्सी (114) विधानसभा सीट (Bilsi Assembly) अचानक से उस समय सुर्खियों में आई, जब 1996 में बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने यहां से चुनाव लड़ा और जीतने के बाद उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया. दरअसल, मायावती दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ी थी. यही कारण था कि उन्होंने चुनाव जीतने के बाद बिल्सी को छोड़ हरोंदा का प्रतिनिधित्व किया.

हालांकि, बसपा सुप्रीमो ने बिल्सी से करीब 2500 वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन यहां से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने बिल्सी को छोड़ सहारनपुर की हरोंदा सीट का प्रतिनिधित्व चुना.

इधर, उनके यहां से इस्तीफा देने के बाद दोबारा चुनाव हुए, जिसमें बसपा के भोला शंकर मौर्य ने जीत दर्ज की, जिन्हें तत्कालीन बसपा सरकार में साइंस एंड टेक्नालॉजी मिनिस्टर बनाया गया था.

बदायूं की बिल्सी में नहीं बदले हाल

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वहीं, 2012 के परिसीमन से पहले बिल्सी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. लेकिन बाद में अनारक्षित हो गई और इस सीट पर 2017 की मोदी लहर में भाजपा के आरके शर्मा ने जीत दर्ज की.

क्षेत्र की जातीय समीकरण

इस सीट पर सबसे अधिक 15 फीसद मुस्लिम हैं तो अपर कास्ट 18 फीसद, यादव 6 फीसद, ठाकुर 11 फीसद और मौर्या 11 फीसद हैं. अगर जातिगत नजरिए से इस विधानसभा क्षेत्र को देखें तो इस सीट पर शाक्य, मुस्लिम, ठाकुर, और दलित वोटरों की संख्या में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. बिल्सी विधानसभा में कुल मतों की संख्या करीब 3,43,612 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग 1,87,376 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,56,223 है.

क्षेत्र की समस्याएं

यह क्षेत्र हमेशा से ही कनेक्टिविटी की समस्या से जूझता रहा है. यहां के लोगों की प्रमुख मांग रोडवेज डिपो की रही है, क्योंकि शाम ढलने के बाद यहां से कहीं और जाने को बस या फिर अन्य साधनों की कोई व्यवस्था नहीं होती है.

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हर चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी यहां रोडवेज का डिपो स्थापित करने की बात तो करते आए हैं, लेकिन आज तक समस्या जस की तस है. मौजूदा आलम यह है कि यहां के लोगों को बाहर जाने को या तो बदायूं आना पड़ता है या फिर पड़ोसी कस्बों में जाकर बस पकड़नी पड़ती है.

रात 8 बजे के बाद यहां से कोई भी रोडवेज की सेवा नहीं है. यूं तो बिल्सी बदायूं बिजनौर राजमार्ग पर पड़ता है. लेकिन न तो बिल्सी होकर बदायूं से कोई बस बिजनौर जाती है और न ही बिजनौर से कोई बस बिल्सी होकर बदायूं आती है.

क्षेत्र में केवल एक ही डिग्री कॉलेज है. इसमें केवल बीए कोर्स है. अन्य कोर्सिज के लिए छात्रों को बरेली, दिल्ली या किसी दूसरे प्रांत में पढ़ने जाना पड़ता है. गन्ना किसानों की भी कई समस्याएं हैं, जिनमें से भुगतान न होना भी एक बड़ी समस्या है.

वहीं, आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो इस बार बिल्सी विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक होगा, जिसमें भाजपा, सपा और बसपा अपने वोटों के आधार पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं. वहीं, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी और निर्दलीय कोई भी पार्टी यहां खेल बिगाड़ का काम कर सकते हैं.

Last Updated : Sep 27, 2021, 1:40 PM IST
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