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बदायूं की जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा, मुस्लिम पक्ष बोले- 840 साल पुरानी है मस्जिद

ज्ञानवापी में शिवलिंग होने के दावे के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है. इसको लेकर एक याचिका भी सिविल कोर्ट में दायर की गई है, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है. मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि जामा मस्जिद लगभग 840 साल पुरानी मुस्लिम पक्ष की इबादत गाह है.

बदायूं की जामा मस्जिद.
बदायूं की जामा मस्जिद.
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Published : Sep 3, 2022, 8:07 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 1:06 PM IST

बदायूं: मथुरा और काशी के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद के मालिकाना हक के लिए कोर्ट में एक वाद दाखिल किया गया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन फर्स्ट के यहां वाद दाखिल किया गया है, जिसमें जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर बताया गया है, जिसके साक्ष्य भी कोर्ट में प्रस्तुत किए गए हैं कोर्ट ने इस मामले में अब अगली तारीख 15 सितंबर लगा दी है. जिसके बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों में हड़कंप देखने को मिल रहा है. मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि जामा मस्जिद लगभग 840 साल पुरानी मुस्लिम पक्ष की इबादत गाह है.

जानकारी देते वादी मुकेश पटेल और वकील.

सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सोथा के जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है. इसको लेकर सिविल जज के यहां पर वाद दायर किया गया है. यह वाद मुकेश पटेल जो हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक हैं. उन्होंने कोर्ट में कई साक्ष्य उपलब्ध कराते हुए प्रस्तुत किया है, जिसमें जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर बताया गया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ने अब इस केस की सुनवाई 15 सितंबर को तय की है.

वहीं कोर्ट ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है. याचिका में पहले पक्षकार स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव महाराज बनाए गए हैं. जबकि इनके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल,वकील अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश ,डाक्टर अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा ने कोर्ट में दावा किया है. इसके मुताबिक उन्होंने जामा मस्जिद को राजा महीपाल का किला व नीलकंठ महादेव का मंदिर होने की बात अदालत में दाखिल याचिका में रखी है.

इस केस में ऐतिहासिक पुस्तकों में मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के जिक्र का हवाला दिया गया है. वहीं सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित कराई जाने वाली पुस्तक में दिए गए इतिहास में भी इस तथ्य के होने का तर्क रखा है. वहीं, देश पर आक्रमण करने वाले राजाओं के इतिहास के बारे में जानकारियों समेत कई अन्य तथ्य प्रेषित किए हैं. पूरे मामले पर मुकेश पटेल ने कहा कि बदायूं में भगवान महादेव के मंदिर को तोड़ा गया था. उसके बाद वहां जामा मस्जिद बनाई गई इसको लेकर मुकेश पटेल ने ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ बात भी की.

मामले पर एडवोकेट वेद प्रकाश साहू ने कहा कि हमारा मुकदमा भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद के नाम से सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में दाखिल हुआ, जिसमें 15 सितंबर सुनवाई की तिथि लगाई गई है.

840 साल पुरानी है मस्जिद: मुस्लिम पक्ष
इंतजामिया कमेटी के मेंबर और मुस्लिम पक्ष के वकील असरार अहमद का कहना है कि यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है और न ही उन लोगों ने मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल किया है. कोर्ट ने केस में 15 तारीख लगा दी है. मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था जबकि दूसरे पक्ष ने कहा है कि इसका निर्माण मुगल आक्रांताओं ने करवाया है. कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है जिसमें यह पता चल सके कि यहां मंदिर था.

जानकारी देते मुस्लिम पक्ष के वकील और इतिहासकार.

इतिहासकार और शायर डॉक्टर मुजाहिद नाज का कहना है कि 12वीं ईसवी में गुलाम वंश के राजा अल्तमश ने इस मस्जिद को अपनी बेटी रजिया सुल्ताना की पैदाइश के मौके पर बनवाया था. यह मस्जिद लगभग 840 साल पुरानी है और उसी मजबूती के साथ आज भी खड़ी हुई है. हिंदू पक्ष का दावा बिल्कुल झूठा है. यह सब सियासी फायदा उठाने के लिए और हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए किया जा रहा है एक खास तबके को इस पूरे प्रकरण के द्वारा परेशान किया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं- ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में फैसले से पहले जानिए कोर्ट में किसने क्या रखीं दलीलें

बदायूं: मथुरा और काशी के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद के मालिकाना हक के लिए कोर्ट में एक वाद दाखिल किया गया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन फर्स्ट के यहां वाद दाखिल किया गया है, जिसमें जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर बताया गया है, जिसके साक्ष्य भी कोर्ट में प्रस्तुत किए गए हैं कोर्ट ने इस मामले में अब अगली तारीख 15 सितंबर लगा दी है. जिसके बाद मुस्लिम पक्ष के लोगों में हड़कंप देखने को मिल रहा है. मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना है कि जामा मस्जिद लगभग 840 साल पुरानी मुस्लिम पक्ष की इबादत गाह है.

जानकारी देते वादी मुकेश पटेल और वकील.

सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सोथा के जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है. इसको लेकर सिविल जज के यहां पर वाद दायर किया गया है. यह वाद मुकेश पटेल जो हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक हैं. उन्होंने कोर्ट में कई साक्ष्य उपलब्ध कराते हुए प्रस्तुत किया है, जिसमें जामा मस्जिद को नीलकंठ महादेव का मंदिर बताया गया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ने अब इस केस की सुनवाई 15 सितंबर को तय की है.

वहीं कोर्ट ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है. याचिका में पहले पक्षकार स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव महाराज बनाए गए हैं. जबकि इनके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल,वकील अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश ,डाक्टर अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा ने कोर्ट में दावा किया है. इसके मुताबिक उन्होंने जामा मस्जिद को राजा महीपाल का किला व नीलकंठ महादेव का मंदिर होने की बात अदालत में दाखिल याचिका में रखी है.

इस केस में ऐतिहासिक पुस्तकों में मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के जिक्र का हवाला दिया गया है. वहीं सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित कराई जाने वाली पुस्तक में दिए गए इतिहास में भी इस तथ्य के होने का तर्क रखा है. वहीं, देश पर आक्रमण करने वाले राजाओं के इतिहास के बारे में जानकारियों समेत कई अन्य तथ्य प्रेषित किए हैं. पूरे मामले पर मुकेश पटेल ने कहा कि बदायूं में भगवान महादेव के मंदिर को तोड़ा गया था. उसके बाद वहां जामा मस्जिद बनाई गई इसको लेकर मुकेश पटेल ने ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ बात भी की.

मामले पर एडवोकेट वेद प्रकाश साहू ने कहा कि हमारा मुकदमा भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद के नाम से सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में दाखिल हुआ, जिसमें 15 सितंबर सुनवाई की तिथि लगाई गई है.

840 साल पुरानी है मस्जिद: मुस्लिम पक्ष
इंतजामिया कमेटी के मेंबर और मुस्लिम पक्ष के वकील असरार अहमद का कहना है कि यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है और न ही उन लोगों ने मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल किया है. कोर्ट ने केस में 15 तारीख लगा दी है. मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था जबकि दूसरे पक्ष ने कहा है कि इसका निर्माण मुगल आक्रांताओं ने करवाया है. कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है जिसमें यह पता चल सके कि यहां मंदिर था.

जानकारी देते मुस्लिम पक्ष के वकील और इतिहासकार.

इतिहासकार और शायर डॉक्टर मुजाहिद नाज का कहना है कि 12वीं ईसवी में गुलाम वंश के राजा अल्तमश ने इस मस्जिद को अपनी बेटी रजिया सुल्ताना की पैदाइश के मौके पर बनवाया था. यह मस्जिद लगभग 840 साल पुरानी है और उसी मजबूती के साथ आज भी खड़ी हुई है. हिंदू पक्ष का दावा बिल्कुल झूठा है. यह सब सियासी फायदा उठाने के लिए और हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए किया जा रहा है एक खास तबके को इस पूरे प्रकरण के द्वारा परेशान किया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं- ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में फैसले से पहले जानिए कोर्ट में किसने क्या रखीं दलीलें

Last Updated : Sep 3, 2022, 1:06 PM IST
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