आजमगढ़: जिले से लगभग 6000 किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले भारतीय प्रवासी अब्दुल वाहिद और उस्मान को अपने वतन की मिट्टी की महक मलेशिया से खींच लाई है. यही कारण है कि लगभग 6000 किलोमीटर की यह यात्रा इन दोनों ने बाइक से की है.
अब्दुल वाहिद के पिता का दिल आजमगढ़ में ही बसता था
अब्दुल वाहिद के पिता लगभग 60 वर्ष पूर्व मलेशिया जाकर बस गए थे, लेकिन उनका दिल आजमगढ़ में ही बसता था. यही कारण है कि आज भी अब्दुल वाहिद को अपने वतन की मिट्टी की महक खींच लाती है. इन दोनों प्रवासी भारतीयों की रेसर बाइक को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
प्रवासी भारतीय अब्दुल वाहिद ने दी जानकारी
हमारे पिता आजमगढ़ जनपद के चकिया हुसैनाबाद के रहने वाले थे और लगभग 60 वर्ष पहले मलेशिया में जाकर बस गए. पिता के साथ हम लोग भी अपने वतन आजमगढ़ आते थे. यही कारण है कि आज भी अपने वतन की मिट्टी की महक हमें खींच लाती है. आज भी हम लोग आजमगढ़ आते हैं और यहां पर घूमते टहलते हैं. हम लोग 15 दिन में मलेशिया से थाईलैंड, म्यांमार, इंफाल, मणिपुर बिहार होते हुए 26 नवंबर को आजमगढ़ पहुंचे हैं. इंडिया इज द ग्रेट.
मोहम्मद फैजान ने जानकारी देते हुए कहा
अब्दुल वाहिद और उस्मान हमारे रिश्तेदार लगते हैं और जब भी हम लोग मलेशिया जाते हैं तो इन्हीं के घर पर रुकते हैं. ये लोग कई बार आजमगढ़ आए हैं. लेकिन पहली बार य लोग इतनी लंबी यात्रा बाइक से तय किए हैं. निश्चित रूप से हमारे इन रिश्तेदारों के आने के बाद हम लोगों के घर पर खुशी का माहौल है.
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