आजमगढ़: जनपद में श्रमिकों के बच्चों के लिए संचालित बिहान बालक आवासीय विद्यालय और बिहार आवासीय बालिका विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति कैदियों से भी बदतर हो गई है. इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को न तो भोजन मिलता है और न ही ड्रेस. यहां पढ़ने वाले बच्चे बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रदेश सरकार के श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री रघुराज सिंह ने कहा कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति बद से बदतर है. इन्हें कैदियों से भी बदतर स्थिति में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को न तो पानी और न ही दोपहर का भोजन मिल रहा है. इनके लिए जल की व्यवस्था भी नहीं है और न रजाई की.
राज्यमंत्री ने कहा कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को भोजन के नाम पर लाई चना दिया जा रहा है, जिससे यहां के बच्चे बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं. यहां पर पढ़ने वाले कई बच्चों को चर्म रोग भी हुआ है. बच्चों को न तो इलाज मिला है और न ही सरकार द्वारा दिए जा रहे संसाधन.
प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने उद्यमिता विकास संस्थान एनजीओ को ब्लैक लिस्टेड करते हुए इसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा कर जेल भेजने का भी निर्देश दिया. साथ ही इन दोनों विद्यालयों की जिम्मेदारी उप श्रम आयुक्त रोशनलाल को सौंपी.
आजमगढ़ जनपद के हीरा पट्टी में श्रमिकों की बालिकाओं का विद्यालय चलता है, जबकि लक्ष्य रामपुर में बालकों का विद्यालय चलता है. 100 पंजीकरण वाले विद्यालय में मात्र 14 बच्चे उपस्थित रहे और इस विद्यालय में इतनी ही स्टाफ भी है. 80 लाख रुपये सरकार से मदद लेने वाले इस विद्यालय की ऐसी हालत देखकर राज्यमंत्री का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और सबसे खास बात यह है कि इस बिल्डिंग का एक लाख रुपये प्रति महीने किराया भी दिया जा रहा है.
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मंत्री ने उद्यमिता विकास संस्थान के साथ वार्डन और अन्य स्टाफ पर एफआईआर दर्ज कराकर उन्हें जेल भेजने का निर्देश दिया. मंत्री के इस औचक निरीक्षण से अधिकारियों और कर्मचारियों में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा.