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"मृतक" ने मांगा एके-47 का लाइसेंस, कहा- जीवित मृतकों की रक्षा के लिए चाहिए लाइसेंस - एके 47 का लाइसेंस

Lal Bihari Mratak : आजमगढ़ के रहने वाले और मृतक संघ के अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में उन्होंने लाइसेंस मांगने की वजह भी बताई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 3:43 PM IST

Updated : Nov 10, 2023, 11:44 AM IST

लाल बिहारी मृतक ने बताया क्यों मांगी है एके-47 राइफल.

आजमगढ़: अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो सभी को याद होगी, जिसमें मुख्य किरदार खुद को जीवित साबित करने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाता है. रील की ये कहानी सच्ची घटना पर आधारित थी. इस फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी मृतक पर आधारित थी. इन्ही लाल बिहारी ने एक संगठन भी बनाया हुआ है.

उसका नाम मृतक संघ है. इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने अब सरकार से एके-47 राइफल के लाइसेंस की मांग की है. उन्होंने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को इस बाबत एक पत्र भी भेजा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि जीवित मृतकों को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी जा रही है. भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के खिलाफ हो रहे संघर्ष के चलते इन जीवित मृतकों की सुरक्षा के लिए इस लाइसेंस की जरूरत है.

लाल बिहारी 18 साल के संघर्ष के बाद हुए थे जीवितः मूलरूप से मुबारकपुर थाना क्षेत्र के अमिलो निवासी लालबिहारी मृतक का जन्म छह मई 1955 को निजामाबाद तहसील के खलीलाबाद गांव में हुआ था. पिता की मौत के बाद ग्राम प्रधान व तहसील स्तरीय अधिकारियों ने उसे मृत घोषित करते हुए उसके पिता की संपत्ति पर चचेरे नाबालिग भाईयों का नाम दर्ज कर दिया. 18 साल तक लाल बिहारी ने सरकारी रिकॉर्ड में खुद को जीवित कराने को लेकर संघर्ष किया. फिर 30 जून 1994 को मुख्य राजस्व अधिकारी व जिलाधिकारी आजमगढ़ ने लाल बिहारी को सरकारी रिकार्ड में जीवित घोषित किया.

चुनाव भी लड़ चुके हैं लाल बिहारीः खुद को जीवित घोषित कराने को लेकर लाल बिहारी ने कई हथकंडे अपनाए. लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी लड़ा. चुनाव लड़ने के साथ ही लाल बिहारी ने मृतक संघ का भी गठन किया, जिसके बैनर तले वह जीवित मृतकों की लड़ाई लड़ने लगे. सैकड़ों की संख्या में जीवित मृतकों को कागजाें में जिंदा कराया. चुनाव लड़ने के दौरान ही लाल बिहारी की प्रसिद्धि देश के साथ ही दुनिया में फैल गई. उनके चुनाव की कवरेज करने के लिए अमेरिका तक से टीम आई थी.

लाल बिहारी पर बनी है फिल्म कागजः इतना ही कागज नाम से लाल बिहारी के जीवन पर फिल्म भी बनी और वर्तमान में एक और फिल्म की स्क्रीप्ट लिखी जा रही है. सरकारी रिकॉर्ड में खुद को मृतक घोषित किए जाने के लिए लाल बिहारी प्रशासनिक अमले को जिम्मेदार मानते हैं. इसके चलते ही उन्होंने सरकार पर 25 करोड़ के मुआवजे का भी दावा किया था. हांलाकि उनके इस दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया.

लाल बिहारी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्रः अब लाल बिहारी मृतक ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर जानमाल की रक्षा व सुरक्षा के लिए एके-47 राइफल का लाइसेंस खुद व अन्य जीवित मृतकों के लिए निर्गत किए जाने की मांग की है. ईटीवी भारत से बात करते हुए लाल बिहारी ने बतायी कि उन्होंने अपने साथ ही दस्तावेजों में मृत सभी लोगों के लिए एके-47 की मांग की है. क्योंकि, जीवित लोगों के लिए तो लाइसेंसी असलहे हैं. इसलिए मृतकों के लिए सरकार कम से कम एक-47 दे, जिससे कि वह अपने जानमाल की रक्षा कर सकें. वह शासन की व्यवस्था से खिन्न हैं. अधिकारी कर्मचारी मिलकर जनता का शोषण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः Court News: लाल बिहारी ‘मृतक’ पर लगाया हाईकोर्ट ने हर्जाना, कहा- काफी समय किया बर्बाद

लाल बिहारी मृतक ने बताया क्यों मांगी है एके-47 राइफल.

आजमगढ़: अभिनेता पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो सभी को याद होगी, जिसमें मुख्य किरदार खुद को जीवित साबित करने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाता है. रील की ये कहानी सच्ची घटना पर आधारित थी. इस फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी मृतक पर आधारित थी. इन्ही लाल बिहारी ने एक संगठन भी बनाया हुआ है.

उसका नाम मृतक संघ है. इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल बिहारी मृतक ने अब सरकार से एके-47 राइफल के लाइसेंस की मांग की है. उन्होंने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को इस बाबत एक पत्र भी भेजा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि जीवित मृतकों को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी जा रही है. भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के खिलाफ हो रहे संघर्ष के चलते इन जीवित मृतकों की सुरक्षा के लिए इस लाइसेंस की जरूरत है.

लाल बिहारी 18 साल के संघर्ष के बाद हुए थे जीवितः मूलरूप से मुबारकपुर थाना क्षेत्र के अमिलो निवासी लालबिहारी मृतक का जन्म छह मई 1955 को निजामाबाद तहसील के खलीलाबाद गांव में हुआ था. पिता की मौत के बाद ग्राम प्रधान व तहसील स्तरीय अधिकारियों ने उसे मृत घोषित करते हुए उसके पिता की संपत्ति पर चचेरे नाबालिग भाईयों का नाम दर्ज कर दिया. 18 साल तक लाल बिहारी ने सरकारी रिकॉर्ड में खुद को जीवित कराने को लेकर संघर्ष किया. फिर 30 जून 1994 को मुख्य राजस्व अधिकारी व जिलाधिकारी आजमगढ़ ने लाल बिहारी को सरकारी रिकार्ड में जीवित घोषित किया.

चुनाव भी लड़ चुके हैं लाल बिहारीः खुद को जीवित घोषित कराने को लेकर लाल बिहारी ने कई हथकंडे अपनाए. लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी लड़ा. चुनाव लड़ने के साथ ही लाल बिहारी ने मृतक संघ का भी गठन किया, जिसके बैनर तले वह जीवित मृतकों की लड़ाई लड़ने लगे. सैकड़ों की संख्या में जीवित मृतकों को कागजाें में जिंदा कराया. चुनाव लड़ने के दौरान ही लाल बिहारी की प्रसिद्धि देश के साथ ही दुनिया में फैल गई. उनके चुनाव की कवरेज करने के लिए अमेरिका तक से टीम आई थी.

लाल बिहारी पर बनी है फिल्म कागजः इतना ही कागज नाम से लाल बिहारी के जीवन पर फिल्म भी बनी और वर्तमान में एक और फिल्म की स्क्रीप्ट लिखी जा रही है. सरकारी रिकॉर्ड में खुद को मृतक घोषित किए जाने के लिए लाल बिहारी प्रशासनिक अमले को जिम्मेदार मानते हैं. इसके चलते ही उन्होंने सरकार पर 25 करोड़ के मुआवजे का भी दावा किया था. हांलाकि उनके इस दावे को कोर्ट ने खारिज कर दिया.

लाल बिहारी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्रः अब लाल बिहारी मृतक ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर जानमाल की रक्षा व सुरक्षा के लिए एके-47 राइफल का लाइसेंस खुद व अन्य जीवित मृतकों के लिए निर्गत किए जाने की मांग की है. ईटीवी भारत से बात करते हुए लाल बिहारी ने बतायी कि उन्होंने अपने साथ ही दस्तावेजों में मृत सभी लोगों के लिए एके-47 की मांग की है. क्योंकि, जीवित लोगों के लिए तो लाइसेंसी असलहे हैं. इसलिए मृतकों के लिए सरकार कम से कम एक-47 दे, जिससे कि वह अपने जानमाल की रक्षा कर सकें. वह शासन की व्यवस्था से खिन्न हैं. अधिकारी कर्मचारी मिलकर जनता का शोषण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः Court News: लाल बिहारी ‘मृतक’ पर लगाया हाईकोर्ट ने हर्जाना, कहा- काफी समय किया बर्बाद

Last Updated : Nov 10, 2023, 11:44 AM IST
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