आजमगढ़: जिले के देवरांचल में घाघरा नदी पर बने महुला-गढ़वाल बांध से 8 गांव को जोड़ने वाले बेलहिया ढाला पर बना पुल उफनाती धारा में विलीन हो गया. पुल के टूटने से 8 गांव की करीब 25 हजार की आबादी प्रभावित हुई है.
प्रशासन की अनदेखी से बहा पुल
जनपद के उत्तर से होकर गुजरने वाली घाघरा पर बने महुला-गढ़वाल बांध और नदी के बीच सैकड़ों गांव बसे हुए हैं. यह गांव प्रत्येक वर्ष बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. इन्हीं प्रभावित इलाकों में सगड़ी तहसील क्षेत्र के हरैया ब्लॉक में आने वाले बेलहिया ढाला पर बंधे के मुख्य मार्ग से कई गांव को जोड़ने के लिए 2004 में पुल का निर्माण 44 लाख रुपये की लागत से करवाया गया था. पुल में कुल सात पिलर बने थे, जो विगत कई वर्षों से प्रशासन की अनदेखी के कारण क्षतिग्रस्त होते गए. 2017 के बाद इस साल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया और सैकड़ों गांवों को बाढ़ की चपेट में ले लिया. नदी की उफनाती लहरों से पुल के चारों तरफ की मिट्टी धंसने लगी, जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने अधिकारियों से की थी, लेकिन लापरवाही का आलम यह रहा कि पुल नदी की धारा में विलीन हो गया.
20 हजार लोगों की आबादी है प्रभावित
पुल के नदी में बह जाने से कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया, इसमें आराजी अजगरा मगर्वी, झंझनपुर, बगरहवा, सोनौरा, अचल नगर, गरीब दुबे, अचल सिंह का पुरवा, इस्माईलपुर आदि गांव शामिल हैं. पीड़ित गांव के लोगों को उफनाती धारा में नाव से मुख्यमार्ग तक आना पड़ रहा है.
गांव के दिलवर यादव ने बताया कि 2004 में बना यह पुल नदी की धारा में विलीन हो गया है. पुल के गिरने से गांव वालों को काफी दिक्कत हो रही है. उन्हें 10 किलोमीटर दूर से घूम कर आना पड़ रहा है. प्रशासन ने पुल गिरने के बाद नाव की भी व्यवस्था नहीं की है. ग्रामीण खुद प्रधान के सहयोग से नाव की व्यवस्था कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दंश झेल रहे देवरांचल के लोगों ने कई बार स्थायी समाधान निकालने की मांग की. उन्होंने नदी के किनारे एक कंक्रीट का रिंग बांध बनवाने की भी मांग उठाई थी, लेकिन प्रशासन का रवैया लापरवाही भरा ही रहा.