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जानिए छठ महापर्व पर 'कोसी दीया' का क्या है विशेष महत्व - छठ पूजा 2019

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सूर्य की उपासना का पर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं शनिवार को डूबते सूर्य को महिलाएं अर्घ्य देंगी और रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं इसे संपन्न करेंगी.

छठ पर्व में 'कोसी दीया' का विशेष महत्व.
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Published : Nov 2, 2019, 1:40 PM IST

आजमगढ़: जिले में सूर्य की उपासना का पर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां शनिवार को डूबते सूर्य को महिलाएं अर्घ्य देंगी. साथ ही रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इसे संपन्न करेंगी. ऐसे में इस महापर्व में 'कोसी दिया' का अपना अलग ही महत्व है.

जानकारी देते संवाददाता.


4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई चीजों का अपना अलग महत्व होता है. महिलाएं इसमें विभिन्न प्रकार के फलों को सूर्य और छठ देवी को अर्पित करती हैं. इसी के साथ ही इसमें एक प्रकार का दीया, जिसे 'कोसी' कहा जाता है, इसका बड़ा महत्व है. इस दीये को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब किसी महिला की कोई मांगी हुई मुराद पूरी होती है, तो वह इसे भरती है. इसमें ऊपर 6 छोटी दीये, जबकि नीचे एक बड़ी दीया होती है, जिसमें महिलाएं फल और अन्य सामग्री रखकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती है.

ये भी पढ़ें- छठ पूजा: जल में अर्घ्य देने से धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिलता है लाभ, जानिए कैसे


व्रती महिलाओं की मानें तो मान्यता है कि जब कोई मांगी हुई मुराद पूरी होती हैं तो वे इसमें अलग-अलग तरह के फल और अन्य सामग्री भरकर उगते हुए सूर्य को अर्पित करती हैं और अर्घ्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती हैं.

आजमगढ़: जिले में सूर्य की उपासना का पर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां शनिवार को डूबते सूर्य को महिलाएं अर्घ्य देंगी. साथ ही रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इसे संपन्न करेंगी. ऐसे में इस महापर्व में 'कोसी दिया' का अपना अलग ही महत्व है.

जानकारी देते संवाददाता.


4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई चीजों का अपना अलग महत्व होता है. महिलाएं इसमें विभिन्न प्रकार के फलों को सूर्य और छठ देवी को अर्पित करती हैं. इसी के साथ ही इसमें एक प्रकार का दीया, जिसे 'कोसी' कहा जाता है, इसका बड़ा महत्व है. इस दीये को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब किसी महिला की कोई मांगी हुई मुराद पूरी होती है, तो वह इसे भरती है. इसमें ऊपर 6 छोटी दीये, जबकि नीचे एक बड़ी दीया होती है, जिसमें महिलाएं फल और अन्य सामग्री रखकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती है.

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व्रती महिलाओं की मानें तो मान्यता है कि जब कोई मांगी हुई मुराद पूरी होती हैं तो वे इसमें अलग-अलग तरह के फल और अन्य सामग्री भरकर उगते हुए सूर्य को अर्पित करती हैं और अर्घ्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती हैं.

Intro:एंकर- सूर्य की उपासना का पर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है जिसमें आज डूबते सूर्य को महिलाएं अर्थ देंगी वहीं कल उगते सूर्य को अर्ध्य इसका समापन करेंगे ऐसे में इस महापर्व में कोसी दिया का अपना अलग ही महत्व है।


Body:वीवो1- 4 दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में कई चीजों का अपना अलग महत्व होता है महिलाएं इसमें विभिन्न प्रकार के फलों को सूर्य व छठ देवी को अर्पित करती हैं इसी के साथ ही इसमें एक प्रकार की दिया होती है जिसको "कोसी" कहा जाता है इस दिया कि ऐसी मान्यता है कि जब किसी महिला की कोई मांगी हुई मुराद पूरी होती है तो वह इसे भर्ती है इसमें ऊपर 6 छोटी दिया होती हैं और नीचे एक बड़ी दिया होती है जिस में महिलाएं फल थोकवा रख उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती है। वीवो2- व्रती महिला रीना सिंह ने बताया कि स्कूटी दिए कि मानता है कि जब कोई मुरादें पूरी होती हैं तो वह लोग इसमें तमाम तरीके के फल को भरकर उगते हुए सूर्य को अर्पित करते हैं। अपनी मुरादें पूरी होने पर उन्हें धन्यवाद देते है। वही मीना देवी ने बताया कि जब डूबते हुए सूर्य को अर्घ देने महिलाएं जाती हैं तो इस दिए को पड़ती हैं और इस दिए को चलाकर अगले दिन सुबह सूर्य को अर्ध्य देने के बाद नदी में प्रवाहित कर देती है।


Conclusion:इसलिए ही छठ महापर्व में कोसी दिए का अपना अलग महत्व है बिना कोसी दिए के कोई भी महिलाएं छठ का पर्व नही करती है। प्रत्युष सिंह 7571094826
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