आजमगढ़ः बसपा सरकार में शहरी गरीबों को आवास मुहैया कराने की मुहिम खुद आवंटन की मोहताज हो गई है. शहरी गरीबों को आवास मुहैया कराने के लिए बड़े पैमाने पर कांशीराम आवास बनाए गए थे. लेकिन दस वर्षों बाद भी आवास के लिए पात्र लोग खुले आसमान के नीचे पड़े हैं. करोड़ो रुपये की लागत से बने आवासों में 500 से ज्यादा कमरे खाली पड़े हैं. यही नहीं दो विभाग गरीबों को आवास देने के बजाय एक-दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगाने में ही व्यस्त हैं.
वर्ष 2011-12 में कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना को तत्कालीन बसपा सरकार में मंजूरी मिली थी. मुबारकपुर नगर पालिका के गजहड़ा में 460 और नगर पंचायत मेंहनगर के देवरिया में 240 सहित कुल 700 आवास बनाने लिए 18.90 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई थी. निर्माण के लिए 75 फीसदी धनराशि भी जारी हो गई थी. कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद ने कार्य शुरू करा दिया, इसके बाद सरकार बदली तो 18 करोड़ 90 लाख रुपये की इस परियोजना का शेष 90 लाख रुपया निदेशालय को वापस करना पड़ा था.
वहीं, 18 करोड़ रुपये में दोनों स्थानों पर आवास के सभी आंतरिक कार्य तो करा दिए गए, लेकिन बाहरी कार्य पानी की टंकी, जलनिकासी के लिए ड्रेनेज और बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो सकी. गरीब डूडा और प्रशानिक अधिकारियों के कार्यालय के लगातार चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन दस वर्षों बाद भी लगभग 500 आवास खाली रहने के बाद भी गरीबों को आवास का आवंटन नहीं किया जा रहा है.
पढ़ेंः लखनऊ में भीषण गर्मी के चलते फिर से बढ़ी बिजली की डिमांड
दस सालों से गरीब छत के लिए मोहताज है और अधिकारी एक-दूसरे विभाग पर इसका दोष मढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधिशाषी अभियंता का इंजीनियर अंजनी गौतम ने बताया कि भवन बनकर तैयार हो गया है. हमने नगर पालिका को इसके लिए प्रेषित कर दिया है और डूडा को लिस्ट भी सौंप दी है. इसमें कुछ बाहरी कार्य बाकी हैं. जिसमें बिजली, पानी आदि कार्य मद से कराए जाने हैं, लेकिन कई वर्षों से इस मद में धनराशि ही नहीं आ रही है. फिर भी करीब 218 भवन आवंटित कर दिये गए हैं. वहीं डूडा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिजली, पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण आवासों का आवंटन नहीं किया गया है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप