आजमगढ़: राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी और छन्नू लाल मिश्र की भूमि पर गंगा-जमुनी तहजीब आज भी बरकरार है. सुविधाओं के अभाव, पिछड़ेपन और तमाम परेशानियों के बीच विभिन्न वर्गों के लोग भाइचारे की इस डोर को थामे हुए हैं. इसी भाइचारे को कायम रखने की कवायद में हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को माध्यम बनाया है, लेकिन यह हरिहरपुर घराना प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है. जिस कारण यहां पर संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगीतज्ञ प्रशासन से नाराज हैं. आजमगढ़ का मशहूर हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना है.
खेतों में काम के साथ ही जीवित रखे हैं संगीत की परंपरा
शहर से सटे स्थित हरिहरपुर गांव संगीत के लिहाज से हरिहरपुर घराने के रूप में विख्यात है. इस घराने से संबद्ध कलाकार संगीत के माध्यम से भाइचारे की डोर को ऊंचाइयों पर पहुंचाने में लगे हैं. यहां के बच्चों में संगीत इतना रच-बस गया है कि घर-घर में सुबह-शाम रियाज करते देखे जा सकते हैं.
यहां संगीत आजमगढ़ के दिल में बसा है. काफी छोटी उम्र से ही बच्चे संगीत की अपनी पुरानी विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हैं. युवक खेतों में काम करते हुए भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. सुविधाओं का अभाव है लेकिन लोग निराश कतई नहीं हैं. हरिहरपुर संगीत घराने की यह खासियत है कि यहां संगीत की शिक्षा लेने के लिए हर जाति-धर्म के बच्चे आते हैं, क्योंकि संगीत ही ऐसी विधा है, जो जाति-पात से हटकर गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखती है.
हो रही प्रशासनिक उपेक्षा
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरिहर घराना संगीत संस्था के सचिव व भारत सरकार से रजिस्टर्ड गायक अजय मिश्र ने बताया कि हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है, यह घराना संगीत का कुटुंब है. यहां के संगीतज्ञ सभी विधाओं से जुड़े हुए हैं. वह चाहे शास्त्रीय संगीत हो या फोक. हर विधा में यहां के कलाकार माहिर हैं पर जो पहचान इस घराने को मिलनी चाहिए थी वह पहचान प्रशासन की उपेक्षा के कारण नहीं मिल पा रही है. इसी कारण संगीत के क्षेत्र में अपना नाम आगे करने वाले कलाकार इस घराने को छोड़कर दिल्ली और मुंबई की तरफ रुख कर रहे हैं.
बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद का हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है. छन्नू महाराज भी इसी घराने से ताल्लुक रखते थे, लेकिन यहां से जाने के बाद छन्नू महाराज अपने को बनारस घराने का बताने लगे.
10 वर्ष से हम लोग एक मुहिम चला रहे हैं कि प्रशासन भले ही हम लोगों का सहयोग न करें, लेकिन यहां के जो युवा कलाकार हैं उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं.
-अजय मिश्रा, संगीतज्ञ हरिहरपुर घराना