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आजमगढ़: 600 वर्ष पुराना है शास्त्रीय संगीत का हरिहरपुर घराना...

यूपी के आजमगढ़ में 600 वर्ष पुराना शास्त्रीय संगीत का हरिहरपुर घराना संगीत के लिए जनपद ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपना विशिष्ट स्थान रखता है, लेकिन अब यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है. प्रशासन द्वारा पर्याप्त सहयोग न मिल पाने के कारण इस घराने के संगीत साधक अब दिल्ली-मुंबई जाने को मजबूर हैं.

हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को बनाया माध्यम.
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Published : Sep 17, 2019, 9:47 AM IST

आजमगढ़: राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी और छन्नू लाल मिश्र की भूमि पर गंगा-जमुनी तहजीब आज भी बरकरार है. सुविधाओं के अभाव, पिछड़ेपन और तमाम परेशानियों के बीच विभिन्न वर्गों के लोग भाइचारे की इस डोर को थामे हुए हैं. इसी भाइचारे को कायम रखने की कवायद में हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को माध्यम बनाया है, लेकिन यह हरिहरपुर घराना प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है. जिस कारण यहां पर संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगीतज्ञ प्रशासन से नाराज हैं. आजमगढ़ का मशहूर हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना है.

हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को बनाया माध्यम.

खेतों में काम के साथ ही जीवित रखे हैं संगीत की परंपरा

शहर से सटे स्थित हरिहरपुर गांव संगीत के लिहाज से हरिहरपुर घराने के रूप में विख्यात है. इस घराने से संबद्ध कलाकार संगीत के माध्यम से भाइचारे की डोर को ऊंचाइयों पर पहुंचाने में लगे हैं. यहां के बच्चों में संगीत इतना रच-बस गया है कि घर-घर में सुबह-शाम रियाज करते देखे जा सकते हैं.

यहां संगीत आजमगढ़ के दिल में बसा है. काफी छोटी उम्र से ही बच्चे संगीत की अपनी पुरानी विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हैं. युवक खेतों में काम करते हुए भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. सुविधाओं का अभाव है लेकिन लोग निराश कतई नहीं हैं. हरिहरपुर संगीत घराने की यह खासियत है कि यहां संगीत की शिक्षा लेने के लिए हर जाति-धर्म के बच्चे आते हैं, क्योंकि संगीत ही ऐसी विधा है, जो जाति-पात से हटकर गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखती है.

हो रही प्रशासनिक उपेक्षा
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरिहर घराना संगीत संस्था के सचिव व भारत सरकार से रजिस्टर्ड गायक अजय मिश्र ने बताया कि हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है, यह घराना संगीत का कुटुंब है. यहां के संगीतज्ञ सभी विधाओं से जुड़े हुए हैं. वह चाहे शास्त्रीय संगीत हो या फोक. हर विधा में यहां के कलाकार माहिर हैं पर जो पहचान इस घराने को मिलनी चाहिए थी वह पहचान प्रशासन की उपेक्षा के कारण नहीं मिल पा रही है. इसी कारण संगीत के क्षेत्र में अपना नाम आगे करने वाले कलाकार इस घराने को छोड़कर दिल्ली और मुंबई की तरफ रुख कर रहे हैं.

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद का हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है. छन्नू महाराज भी इसी घराने से ताल्लुक रखते थे, लेकिन यहां से जाने के बाद छन्नू महाराज अपने को बनारस घराने का बताने लगे.

10 वर्ष से हम लोग एक मुहिम चला रहे हैं कि प्रशासन भले ही हम लोगों का सहयोग न करें, लेकिन यहां के जो युवा कलाकार हैं उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं.
-अजय मिश्रा, संगीतज्ञ हरिहरपुर घराना

आजमगढ़: राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी और छन्नू लाल मिश्र की भूमि पर गंगा-जमुनी तहजीब आज भी बरकरार है. सुविधाओं के अभाव, पिछड़ेपन और तमाम परेशानियों के बीच विभिन्न वर्गों के लोग भाइचारे की इस डोर को थामे हुए हैं. इसी भाइचारे को कायम रखने की कवायद में हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को माध्यम बनाया है, लेकिन यह हरिहरपुर घराना प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है. जिस कारण यहां पर संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगीतज्ञ प्रशासन से नाराज हैं. आजमगढ़ का मशहूर हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना है.

हरिहरपुर घराने के कलाकारों ने संगीत को बनाया माध्यम.

खेतों में काम के साथ ही जीवित रखे हैं संगीत की परंपरा

शहर से सटे स्थित हरिहरपुर गांव संगीत के लिहाज से हरिहरपुर घराने के रूप में विख्यात है. इस घराने से संबद्ध कलाकार संगीत के माध्यम से भाइचारे की डोर को ऊंचाइयों पर पहुंचाने में लगे हैं. यहां के बच्चों में संगीत इतना रच-बस गया है कि घर-घर में सुबह-शाम रियाज करते देखे जा सकते हैं.

यहां संगीत आजमगढ़ के दिल में बसा है. काफी छोटी उम्र से ही बच्चे संगीत की अपनी पुरानी विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हैं. युवक खेतों में काम करते हुए भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. सुविधाओं का अभाव है लेकिन लोग निराश कतई नहीं हैं. हरिहरपुर संगीत घराने की यह खासियत है कि यहां संगीत की शिक्षा लेने के लिए हर जाति-धर्म के बच्चे आते हैं, क्योंकि संगीत ही ऐसी विधा है, जो जाति-पात से हटकर गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखती है.

हो रही प्रशासनिक उपेक्षा
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरिहर घराना संगीत संस्था के सचिव व भारत सरकार से रजिस्टर्ड गायक अजय मिश्र ने बताया कि हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है, यह घराना संगीत का कुटुंब है. यहां के संगीतज्ञ सभी विधाओं से जुड़े हुए हैं. वह चाहे शास्त्रीय संगीत हो या फोक. हर विधा में यहां के कलाकार माहिर हैं पर जो पहचान इस घराने को मिलनी चाहिए थी वह पहचान प्रशासन की उपेक्षा के कारण नहीं मिल पा रही है. इसी कारण संगीत के क्षेत्र में अपना नाम आगे करने वाले कलाकार इस घराने को छोड़कर दिल्ली और मुंबई की तरफ रुख कर रहे हैं.

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद का हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है. छन्नू महाराज भी इसी घराने से ताल्लुक रखते थे, लेकिन यहां से जाने के बाद छन्नू महाराज अपने को बनारस घराने का बताने लगे.

10 वर्ष से हम लोग एक मुहिम चला रहे हैं कि प्रशासन भले ही हम लोगों का सहयोग न करें, लेकिन यहां के जो युवा कलाकार हैं उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं.
-अजय मिश्रा, संगीतज्ञ हरिहरपुर घराना

Intro:anchor: आजमगढ़। शास्त्रीय व सुगम संगीत का सबसे पुराना हरिहरपुर घराना प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है जिसके कारण यहां पर संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले संगीतज्ञ प्रशासन से नाराज हैं। आजमगढ़ का मशहूर हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना है।


Body:वीओ: 1 ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरिहरपुर घराने के संगीतज्ञ अजय मिश्रा का कहना है कि हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घर आना है या घर आना संगीत का कुटुंब है या हर सुबह शाम यहां के बच्चे संगीत के क्षेत्र में अपनी रियाज करते हैं जिसे देखने के लिए देश ही नहीं दुनिया से लोग आते हैं। यहां के संगीतज्ञ सभी विधाओं से जुड़े हुए हैं वह चाहे शास्त्रीय संगीत हो या शुभम या फोक हो। हर विधा में यहां के कलाकार माहिर हैं पर जो पहचान इस घराने को मिलनी चाहिए थी वह पहचान प्रशासन की उपेक्षा के कारण नहीं मिल पा रहे हैं और ना ही सहयोग में पा रहा है इसी कारण संगीत के क्षेत्र में अपना नाम आगे करने वाले कलाकार इस घराने को छोड़कर दिल्ली व मुंबई की तरफ रुख कर रहे हैं। संगीतज्ञ अजय मिश्रा का कहना है कि 10 वर्ष से हम लोग एक मुहिम चला रहे हैं कि प्रशासन भले ही हम लोगों का सहयोग ना करें लेकिन यहां के जो युवा कलाकार हैं उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं। शास्त्रीय संगीत में ही अपना कैरियर सामान्य वाले आयुष मिश्रा का कहना है कि गांव के बच्चे सुबह शाम संगीत की साधना करते हैं आयुष का कहना है कि यहां पैदा होने वाले बच्चे के मुंह से सबसे पहले श शब्द का उच्चारण होता है।


Conclusion:बाइट: अजय मिश्रा संगीतज्ञ हरिहरपुर घराना
बाइट: आयुष मिश्रा संगीत साधक
अजय कुमार मिश्र आजमगढ़ 9453766900

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद का हरिहरपुर घराना 600 वर्ष से अधिक पुराना घराना है छन्नू महाराज भी इसी घराने से ताल्लुक रखते थे लेकिन यहां से जाने के बाद छन्नू महाराज अपने को बनारस घराने का बताने लगे।
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