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आजमगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा 'काला गेहूं'

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में 152 किसानों ने चमत्कारी काले गेहूं की खेती की थी. औषधीय गुणों से भरपूर काले गेहूं की डिमांड भी खूब बनी हुई है. इससे किसानों को खूब मुनाफा हो रहा है.

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Published : Jul 31, 2020, 3:09 PM IST

औषधीय गुणों से भरपूर काला गेहूं
औषधीय गुणों से भरपूर काला गेहूं

आजमगढ़: जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार काला सोना नाम से विख्यात गेहूं का उत्पादन किया. काले गेहूं के उत्पादन की मांग इतनी बढ़ी कि किसानों को इस गेहूं की मुंह मांगी कीमत भी मिली. यही वजह है कि अब किसानों के पास सिर्फ बीज के लिए ही गेहूं बचे हैं बाकी गेहूं बिक गए. इस गेहूं से किसानों को खूब फायदा हुआ है.

देखें रिपोर्ट.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आजमगढ़ के जियापुर के किसान सुनील सिंह ने बताया कि काला गेहूं ब्लड प्रेशर, कैंसर व शुगर की बीमारी में बहुत फायदेमंद है. यही कारण है कि चार बीघे में इस काला गेहूं की खेती की थी. आज 10-15 किलो गेहूं ही बचे हैं बाकी बिक्री हो चुकी है. गेहूं के फायदे के बारे में लोगों को पता चला तो दूर-दूर से लोग इस गेहूं को खरीदने आने लगे. यही कारण है कि गेहूं 2,000 रुपये प्रति कुंतल की दर से बिकता है, लेकिन यह काला गेहूं 4,000 रुपये प्रति कुंतल से अधिक की दर पर बिका.

अधिक की जाएगी खेती
इसका फायदा जनपद में काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों को मिला है. किसान सुनील सिंह ने कहा कि उन्होंने ये फैसला लिया है कि अगली बार इस गेहूं की और अधिक खेती की जाएगी, जिससे अधिक से अधिक मुनाफा हो सके. गांव के लगभग एक दर्जन किसानों ने गेहूं की खेती की थी, सभी किसानों की गेहूं बिक गए.

ये भी पढ़ें- वाराणसी: लमही गांव में आज भी मौजूद हैं मुंशी प्रेमचंद की स्मृतियां

औषधीय गुणों से भरपूर
वहीं इस बारे आजमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केएम सिंह का कहना है कि काला सोना नामक इस गेहूं में पिगमेंट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. इसलिए यह इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत ही मददगार साबित होता है. ह्रदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ाई लड़ने में यह बहुत मददगार साबित होता है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि बायोफोर्टीफाइड होने के कारण इस गेहूं में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होती है.

4000 प्रति कुंतल बिका काला गेहूं
इसके साथ ही एंटीऑक्सीडेंट खनिज लवण व फाइबर की मात्रा भी ज्यादा होती है. इसी वजह से जिन लोगों के पेट भी निकलते हैं, उनके लिए भी यह काफी लाभदायक भी सिद्ध हो रहा है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि जनपद में 152 किसानों ने इस काला गेहूं का उत्पादन किया था. 4,000 प्रति कुंतल से अधिक की दर से इस गेहूं की बिक्री हुई. निश्चित रूप से किसानों की आय दोगुनी करने में यह काला गेहूं काफी मददगार साबित हो रहा है.

ये भी पढ़ें- फतेहपुर के प्रखर ने बनाया 'मिस्टर सैनिटाइजर', बिना छुए ही हाथों को करेगा सैनिटाइज

152 किसानों ने उगाई थी फसल
बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद के 152 किसानों ने काला गेहूं की खेती की थी. इस गेहूं से होने वाले फायदे के बारे में जब लोगों को पता चला तो दूर-दूर से लोग यहां के किसानों से खरीदने गेहूं चले आए. यही कारण है कि इन किसानों के पास 15-20 किलो गेहूं ही बचे हैं. किसानों का कहना है कि जिस तरह से इस काला गेहूं की मांग बढ़ी है. निश्चित रूप से अगली बार इसका और अधिक उत्पादन किया जाएगा, जिससे हम किसानों का अधिक से अधिक मुनाफा हो सके.

आजमगढ़: जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार काला सोना नाम से विख्यात गेहूं का उत्पादन किया. काले गेहूं के उत्पादन की मांग इतनी बढ़ी कि किसानों को इस गेहूं की मुंह मांगी कीमत भी मिली. यही वजह है कि अब किसानों के पास सिर्फ बीज के लिए ही गेहूं बचे हैं बाकी गेहूं बिक गए. इस गेहूं से किसानों को खूब फायदा हुआ है.

देखें रिपोर्ट.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आजमगढ़ के जियापुर के किसान सुनील सिंह ने बताया कि काला गेहूं ब्लड प्रेशर, कैंसर व शुगर की बीमारी में बहुत फायदेमंद है. यही कारण है कि चार बीघे में इस काला गेहूं की खेती की थी. आज 10-15 किलो गेहूं ही बचे हैं बाकी बिक्री हो चुकी है. गेहूं के फायदे के बारे में लोगों को पता चला तो दूर-दूर से लोग इस गेहूं को खरीदने आने लगे. यही कारण है कि गेहूं 2,000 रुपये प्रति कुंतल की दर से बिकता है, लेकिन यह काला गेहूं 4,000 रुपये प्रति कुंतल से अधिक की दर पर बिका.

अधिक की जाएगी खेती
इसका फायदा जनपद में काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों को मिला है. किसान सुनील सिंह ने कहा कि उन्होंने ये फैसला लिया है कि अगली बार इस गेहूं की और अधिक खेती की जाएगी, जिससे अधिक से अधिक मुनाफा हो सके. गांव के लगभग एक दर्जन किसानों ने गेहूं की खेती की थी, सभी किसानों की गेहूं बिक गए.

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औषधीय गुणों से भरपूर
वहीं इस बारे आजमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केएम सिंह का कहना है कि काला सोना नामक इस गेहूं में पिगमेंट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. इसलिए यह इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत ही मददगार साबित होता है. ह्रदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ाई लड़ने में यह बहुत मददगार साबित होता है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि बायोफोर्टीफाइड होने के कारण इस गेहूं में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होती है.

4000 प्रति कुंतल बिका काला गेहूं
इसके साथ ही एंटीऑक्सीडेंट खनिज लवण व फाइबर की मात्रा भी ज्यादा होती है. इसी वजह से जिन लोगों के पेट भी निकलते हैं, उनके लिए भी यह काफी लाभदायक भी सिद्ध हो रहा है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि जनपद में 152 किसानों ने इस काला गेहूं का उत्पादन किया था. 4,000 प्रति कुंतल से अधिक की दर से इस गेहूं की बिक्री हुई. निश्चित रूप से किसानों की आय दोगुनी करने में यह काला गेहूं काफी मददगार साबित हो रहा है.

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152 किसानों ने उगाई थी फसल
बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद के 152 किसानों ने काला गेहूं की खेती की थी. इस गेहूं से होने वाले फायदे के बारे में जब लोगों को पता चला तो दूर-दूर से लोग यहां के किसानों से खरीदने गेहूं चले आए. यही कारण है कि इन किसानों के पास 15-20 किलो गेहूं ही बचे हैं. किसानों का कहना है कि जिस तरह से इस काला गेहूं की मांग बढ़ी है. निश्चित रूप से अगली बार इसका और अधिक उत्पादन किया जाएगा, जिससे हम किसानों का अधिक से अधिक मुनाफा हो सके.

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