आजमगढ़: जनपद के दीवानी न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता और मुन्शियों का कहना है कि लॉकडाउन से उनकी हालत मनरेगा मजदूरों से भी बदतर हो गई है. लगभग 2 महीने से चल रहे लॉकडाउन के कारण हम लोगों को खाने पीने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनका कहना है कि सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है.
ईटीवी भारत से वकीलों ने की बातचीत
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अधिवक्ता सुधाकर पांडे का कहना है कि जिस तरीके से लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है, इससे उनका कामकाज बुरी तरह का प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि अदालतें भी खुलनी शुरू हो गई हैं और लगभग 300 वकील आए थे, लेकिन सभी वकीलों को प्रशासन के लोगों ने भगा दिया.
उन्होंने बताया कि जिस तरह से कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से सिर्फ दो तीन वकीलों को ही बुलाया जा रहा है, यह निश्चित रूप से दुखद है, इससे वकीलों की आजीविका बुरी तरीके से प्रभावित हो रही है.
अधिवक्ता शशिकांत पांडे का कहना है कि 4 साल से हम लोग जूनियर अधिवक्ता की प्रैक्टिस कर रहे हैं. सरकार ने हम लोगों के लिए आवाज उठाई थी, लेकिन आवाज दबा दी गई. उन्होंने बताया कि हम लोगों की स्थिति मनरेगा मजदूरों से भी बदतर हो गई है. इन्होंने बताया कि सुबह से इनको प्रशासन की सिर्फ डांट फटकार ही मिल रही है. ऐसे में इनके सामने खाने-पीने का संकट आ गया है.
दीवानी न्यायालय में मुंशी का काम करने वाले रविंद्र यादव का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है, हम लोग परेशान हैं, ना तो मुवक्किल आ रहे हैं और ना ही हम लोगों को पैसे मिल रहे हैं. सबसे दुखद तो यह है कि प्रशासन और सरकार की तरफ से भी हम लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही है, जिसका खामियाजा हमारे साथ हमारे परिवार को भी भुगतना पड़ रहा है.