आजमगढ़: महिला दिवस पर जहां पूरे देश में महिलाओं के सम्मान में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं. वहीं आजमगढ़ की रहने वाली कक्षा नौ की छात्रा और बॉक्सिंग प्लेयर अर्शिचा त्रिपाठी देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखती हैं. मैरी कॉम की फिल्म से मिली संघर्ष की प्रेरणा को अर्शिचा ने ईटीवी भारत से साझा किया.
ईटीवी भारत से अपने संघर्ष को साझा करते हुए आजमगढ़ की बॉक्सिंग प्लेयर अर्चिशा त्रिपाठी ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में जब वह समर कैंप करने गईं तो वहां उन्हें इस खेल के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला. अर्चिशा ने बताया कि मन में कुछ कर गुजरने की चाह थी, इस वजह से इस खेल में रुचि बढ़ने लगी. अपनी मेहनत और लगन की बदौलत अर्चिशा ने आजमगढ़ में कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया.
प्रतिदिन लगभग सात घंटे की प्रैक्टिस करने वाली अर्चिशा ने बताया कि मेरे लिए यह राह आसान नहीं थी. वर्ष 2018 में नेशनल लेवल पर किक बॉक्सिंग में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में गोल्ड मेडल जीता. जनवरी 2019 में हरियाणा के हिसार में पेंचिंग स्लाट में जम्मू-कश्मीर को हराकर गोल्ड मेडल जीता. इसके अतिरिक्त 2013 में कराटे में भी डिस्ट्रिक्टऔर स्टेट लेवल पर खिताब जीता है.
मैरीकॉम को अपना आदर्श मानने वाली अर्चिशा त्रिपाठी का कहना है कि जब उन्होंने मैरीकॉम पर फिल्म बनी देखी तो उन्हें मैरीकॉम के संघर्ष के बारे में जानकारी हुई, जिससे उन्हें काफी प्रेरणा मिली. अर्चिशा ने कहा कि मैं भी मैरीकॉम की तरह अपने देश के लिए कुछ करना चाहती हूं. बेटी की इस सफलता पर मां सुषमा ने ईटीवी भारत को बताया कि अर्चिशा सुबह चार बजे ही प्रैक्टिस के लिए उठकर मुझे जगाती थी. इसकी सफलता पर आज मुझे इतनी खुशी मिली है, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं.
बताते चलें कि कक्षा नौ में पढ़ने वाली अर्चिशा त्रिपाठी किक बॉक्सिंग, पेंचिंग स्लॉट और कराटे में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं. उनकी सफलता का यह सफर इतना आसान नहीं था. अर्चिशा का यह सफर अन्य लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो किसी अभाव के कारण अपनी प्रतिभा से पीछे रह जाती हैं. आज जनपद की बहुत सी लड़कियां अर्चिशा त्रिपाठी को अपना रोल मॉडल मानती हैं.