आजमगढः 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़े निरहुआ ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें 'कोई हरा नहीं सकता. मैं ईश्वर का लिखा लेख भी मिटा सकता हूं.' इसके बाद चुनाव परिणाम सामने आए थे. उस चुनाव में निरहुआ को दो लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, सोशल मीडिया पर भी उन्हें खूब ट्रोल किया गया था. उनसे हार के बाद यूजर्स ने पूछा था निरहुआ का हाल बा.
2022 के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जब निरहुआ को फिर से प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने अपने नामांकन की शुरुआत ही पीले चंदन के साथ भगवान के मंदिर से की. वह अत्यंत धार्मिक भाव के साथ आजमगढ़ की बात करते नजर आए. कई लोगों को निरहुआ का यह नया रूप अविश्वसनीय लगा. वहीं, कई ने इसे निरहुआ का परिवर्तन माना. इस बार के चुनाव में निरहुआ ने पिछले चुनाव की गलतिय़ों से सीख लेते हुए कोई भी ऐसा बयान नहीं दिया जिससे जनभावना प्रभावित हो सके.
चुनाव के दौरान निरहुआ कभी गेरूए वस्त्रों में नजर आए तो कभी पीले वस्त्रों में. वह गले में गेरूआ गमछा भी लगातार डाले रहे. वह जनता के बीच में अपनी धार्मिक छवि की छाप छोड़ने में कामयाब रहे. कभी ईश्वर के लेख को चुनौती देने वाले निरहुआ का यह परिवर्तन हर किसी को पसंद आया. इसका परिणाम यह रहा कि वह ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने में कामयाब रहे. इस बार वह आजमगढ़ में अखिलेश यादव का किला ध्वस्त करने में कामयाब रहे.
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