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प्रशासन की जांच में श्यामलाल निकला भोला का नाम, अब होगा ये काम

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Published : Jan 19, 2021, 3:10 AM IST

डीएम कार्यालय के सामने 'साहब मैं जिंदा हूं, साहब हम आदमी हैं भूत नहीं' लिखी हुई तख्ती लेकर भोला सिंह गुहार लगा रहे थे. जिला अधिकारी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपर जिला अधिकारी के नेतृत्व में जांच कराई थी. इस जांच में कथित भोला का नाम श्याम नारायण निकाला है. जानें कैसे उलझ गया ये मामला...

जिंदा होने का दावा करने वाले भोला.
जिंदा होने का दावा करने वाले भोला.

मिर्जापुर: डीएम कार्यालय के सामने 'साहब मैं जिंदा हूं, साहब हम आदमी हैं भूत नहीं' लिखी हुई तख्ती लेकर भोला सिंह गुहार लगा रहे थे. जिला अधिकारी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपर जिला अधिकारी के नेतृत्व में जांच कराई थी. इस जांच में कथित भोला का नाम श्याम नारायण निकाला है. इसके बाद जांच समिति ने डीएनए टेस्ट कराने का लिया निर्णय है.

टीम के सामने नहीं पहचान सका सगे भाई को
कथित भोला सिंह के मामले में जिला अधिकारी प्रवीण लक्षकार ने अपर जिलाधिकारी वित्त, अपर जिलाधिकारी राजस्व, उप जिलाधिकारी, तहसीलदार सदर की टीम गठित कर जांच के आदेश दिए थे. इस टीम ने जांच के बाद बताया कि भोला सिंह को अमोई गांव ले जाया गया तो वह अपने सगे भाई राजनारायण को नहीं पहचान पाया. न ही गांव के किसी व्यक्ति को पहचान पाया. वह किसी का नाम तक नहीं बता सका.
गांव वालों ने कहा भोला नही श्याम नारायण है

टीम के सामने भोला ऐसे निकला श्याम

कथित भोला ने इसके बाद टीम को बताया कि वह लालगंज तहसील की ग्राम रामपुर खोमर में रहता है. इस पर जांच टीम उसे रामपुर खोमर लेकर गई. वहां पता चला कि उसे भोला के नाम से इस व्यक्ति को कोई नहीं जानता था. वहां इसका नाम श्याम नारायण बताया गया. यहा पर नारायण पुत्र बसंत लाल के नाम से भूमि का बैनामा किया गया है. इसी गांव में उसका ससुराल भी है. लोगों ने गांव में बताया कि श्याम नारायण कोहड्ड नंबर 1 तहसील लालगंज का मूल निवासी हैं. इसके बाद कथित भोला को जांच टीम बताए गए स्थान पर ले गई तो वहां भी उसे भोला के नाम से कोई नहीं जानता था. वहां पर भी सभी ने कथित भोला का नाम श्याम नारायण ही बताया. गांव वालों ने बताया कि इसके भाई राम नरेश को 15 बीघा भूमि नेवासा मिली थी. रामनरेश की मृत्यु के बाद 15 बीघा जमीन भतीजे और इसकी भाभी ने बेच दी. बाद में वही भाभी इसकी पत्नी बनकर मायके रामपुर खोमेर में इसके साथ रहने लगी.

अब भोला का होगा डीएनए टेस्ट
सोमवार को जांच टीम ने जिला अधिकारी को रिपोर्ट दी. इसमें बताया गया है कि कथित भोला की पहचान श्याम नारायण पुत्र बसंत के रूप में हुई है. इसने कथित तौर पर भोला बनकर 2005 में वाद प्रस्तुत किया गया है. यह विचाराधीन है. इस प्रकार कथित भोला के प्रथम दृष्टया श्याम नारायण होने की जानकारी सामने आई है. इसके राज नारायण के सगे भाई होने की पुष्टि के लिए समिति ने डीएनए टेस्ट की संस्तुति की है.

ये है पूरा मामला
सिटी ब्लॉक के अमोई गांव के रहने वाले भोला सिंह पिछले 15 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनका दावा है कि सरकारी फाइलों में उन्हें मृत करार दे दिया गया है. अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह सरकारी कार्यालय और कोर्ट के चक्कर लगा रहे है. शनिवार को डीएम कार्यालय के सामने हाथों में खुद के जिंदा रहने का बैनर लेकर बैठे गए. इसकी जानकारी होने पर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया.भोला सिंह का आरोप है कि उन्हें जीवित रहते हुए राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने मृतक करार दे दिया है. इसके बाद उनके हिस्से की जमीन भाई राज नारायण के नाम कर दी है. शासन और प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

मिर्जापुर: डीएम कार्यालय के सामने 'साहब मैं जिंदा हूं, साहब हम आदमी हैं भूत नहीं' लिखी हुई तख्ती लेकर भोला सिंह गुहार लगा रहे थे. जिला अधिकारी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपर जिला अधिकारी के नेतृत्व में जांच कराई थी. इस जांच में कथित भोला का नाम श्याम नारायण निकाला है. इसके बाद जांच समिति ने डीएनए टेस्ट कराने का लिया निर्णय है.

टीम के सामने नहीं पहचान सका सगे भाई को
कथित भोला सिंह के मामले में जिला अधिकारी प्रवीण लक्षकार ने अपर जिलाधिकारी वित्त, अपर जिलाधिकारी राजस्व, उप जिलाधिकारी, तहसीलदार सदर की टीम गठित कर जांच के आदेश दिए थे. इस टीम ने जांच के बाद बताया कि भोला सिंह को अमोई गांव ले जाया गया तो वह अपने सगे भाई राजनारायण को नहीं पहचान पाया. न ही गांव के किसी व्यक्ति को पहचान पाया. वह किसी का नाम तक नहीं बता सका.
गांव वालों ने कहा भोला नही श्याम नारायण है

टीम के सामने भोला ऐसे निकला श्याम

कथित भोला ने इसके बाद टीम को बताया कि वह लालगंज तहसील की ग्राम रामपुर खोमर में रहता है. इस पर जांच टीम उसे रामपुर खोमर लेकर गई. वहां पता चला कि उसे भोला के नाम से इस व्यक्ति को कोई नहीं जानता था. वहां इसका नाम श्याम नारायण बताया गया. यहा पर नारायण पुत्र बसंत लाल के नाम से भूमि का बैनामा किया गया है. इसी गांव में उसका ससुराल भी है. लोगों ने गांव में बताया कि श्याम नारायण कोहड्ड नंबर 1 तहसील लालगंज का मूल निवासी हैं. इसके बाद कथित भोला को जांच टीम बताए गए स्थान पर ले गई तो वहां भी उसे भोला के नाम से कोई नहीं जानता था. वहां पर भी सभी ने कथित भोला का नाम श्याम नारायण ही बताया. गांव वालों ने बताया कि इसके भाई राम नरेश को 15 बीघा भूमि नेवासा मिली थी. रामनरेश की मृत्यु के बाद 15 बीघा जमीन भतीजे और इसकी भाभी ने बेच दी. बाद में वही भाभी इसकी पत्नी बनकर मायके रामपुर खोमेर में इसके साथ रहने लगी.

अब भोला का होगा डीएनए टेस्ट
सोमवार को जांच टीम ने जिला अधिकारी को रिपोर्ट दी. इसमें बताया गया है कि कथित भोला की पहचान श्याम नारायण पुत्र बसंत के रूप में हुई है. इसने कथित तौर पर भोला बनकर 2005 में वाद प्रस्तुत किया गया है. यह विचाराधीन है. इस प्रकार कथित भोला के प्रथम दृष्टया श्याम नारायण होने की जानकारी सामने आई है. इसके राज नारायण के सगे भाई होने की पुष्टि के लिए समिति ने डीएनए टेस्ट की संस्तुति की है.

ये है पूरा मामला
सिटी ब्लॉक के अमोई गांव के रहने वाले भोला सिंह पिछले 15 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनका दावा है कि सरकारी फाइलों में उन्हें मृत करार दे दिया गया है. अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह सरकारी कार्यालय और कोर्ट के चक्कर लगा रहे है. शनिवार को डीएम कार्यालय के सामने हाथों में खुद के जिंदा रहने का बैनर लेकर बैठे गए. इसकी जानकारी होने पर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया.भोला सिंह का आरोप है कि उन्हें जीवित रहते हुए राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने मृतक करार दे दिया है. इसके बाद उनके हिस्से की जमीन भाई राज नारायण के नाम कर दी है. शासन और प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

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