आजमगढ़ः उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जिले का सियासी पारा चढ़ने लगा है. ऐसे में पार्टियों के साथ प्रत्याशी जातिगत आधार पर जोर आजमाइश में जुट गये हैं.
पंचायत चुनाव में सीटों की स्थिति
2015 में हुए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य की 86 सीटें थी, तो वहीं 2020 के परिसीमन में 2 सीटें घटाकर इसे 84 सीट कर दी गयी. वहीं ग्राम पंचायत की पिछले चुनाव में 1872 सीटें थी, तो उसे नए परिसीमन के आधार पर 14 सीट घटा कर 1858 कर दी गयी है. बात क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) की करें, तो पहले 2,145 सीटें थीं. लेकिन इस बार 41 सीट की कटौती करते हुए इसे 2,104 कर दिया गया है. 2020 के नए परिसीमन के बाद दो जिला पंचायत क्षेत्र और 14 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व खत्म हो गया है.
6 ग्राम पंचायतों की बढ़ी आबादी
आंशिक रूप से नगर पंचायतों में शामिल किये गये गांव को नये परिसीमन के बाद उनके अगल-बगल के गांव में शामिल कर दिया गया. जिसके बाद दो विकास खंडों के 6 ग्राम पंचायतों की आबादी बढ़ गई. जिसमें अजमतगढ़ विकासखंड के दो गांव और कोयलसा विकासखंड के चार गांव शामिल हैं.
इन ग्राम पंचायत और जिला पंचायत का खत्म हुआ अस्तित्व
शासन स्तर से बुढ़नपुर और जहानागंज को नई नगर पंचायत बनाने के बाद जारी हुए परिसीमन में कोयलसा विकासखंड के छपरा सुल्तानपुर और जहानागंज विकासखंड के बरहतिर जगदीशपुर जिला पंचायत सीट को समाप्त कर दिया गया. वहीं समाप्त हुई 14 ग्राम पंचायत जिसमें जहानागंज विकासखंड की रामपुर, चकसहदरिया, बरहतिर जगदीशपुर और मुस्तफाबाद तो कोयलसा विकासखंड की भीलमपुर छपरा, शेरवा, बुढ़नपुर, रायपुर, खुरासिन, रानीपुर ईश्वरपुर पवनी और कोयलसा शामिल है. अजमतगढ़ विकासखंड के दो गांव अजसोना और जमीन मेघई और सठिया ब्लॉक की अमिलो ग्राम पंचायत शामिल है.
इस बार बढ़े चार लाख मतदाता
2015 में हुए पंचायत चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 33 लाख 78 हजार थी. तो वहीं इस बार मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के बाद 2020 में होने वाले पंचायत चुनाव में ये संख्या 37 लाख 85 हज़ार 34 हो गयी है. इस बार कुल 4 लाख 7 हज़ार मतदाता बढ़ गए हैं. जो पहली बार वोट डालेंगे. वहीं 2 लाख 67 हज़ार मतदाताओं के नाम हटाये गए हैं. जबकि 64 हज़ार से ज्यादा नामो में संशोधन हुआ है. 2015 के पंचायत चुनाव में 2 हजार 51 मतदान केंद्र और 5,877 मतदेय स्थल थे. तो वहीं इस बार 2 हज़ार 66 मतदान केंद्र और 6,328 मतदेय स्थल बनाये गए हैं.
पार्टी पर भारी पड़ेगा जातिगत आधार
पंचायत चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन बात आजमगढ़ की करें, तो यहां पार्टी पर जातिगत आधार भारी पड़ेगा. यहां यादव और मुस्लिम फैक्टर हमेशा हावी रहा है. इसलिए यहां जिला पंचायत चुनाव में पार्टी की जगह जाति और स्थानीय समीकरण हावी रहेगा.