आजमगढ़: प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होती है. यह कर दिखाया है आजमगढ़ जनपद के देवपार गांव निवासी धनंजय यादव ने. धनंजय के पिता टेलरिंग का काम करते हैं. घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. इसके बावजूद भी अभाव में रहकर किस तरह से धनंजय ने अपनी मेहनत से अंडर 14 क्रिकेट टीम में कप्तान बने हैं. इससे पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है.
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ईटीवी भारत से बातचीत में धनंजय की मां मीला यादव ने कहा पहले तो हम लोग बेटे को खेलने से रोकते थे,लेकिन जब देखा कि बेटा नहीं मान रहा है. इसिलिए हम लोगों ने भी उसे खेलने दिया और आज जब बेटे का चयन कप्तान के रूप में हुआ. निश्चित रूप से हम बहुत खुश हैं और हम चाहते हैं कि मेरा बेटा पूरे देश का नाम रोशन करें. पिता हरेंद्र यादव ने बताया कि हमने तो अपने जीवन में क्रिकेट के बल्ले को नहीं छुआ है. लेकिन जिस तरह से बेटे ने सफलता हासिल की है क्या हम लोगों के लिए बहुत गर्व की बात है.
उन्होंने बताया कि बेटा बचपन से ही क्रिकेट खेलता था. पहले तो हम लोग मना कर देते लेकिन जब उसकी रोज लगातार क्रिकेट में रहे तो फिर सहयोग करने लगे. दर्जी का काम करने वाले पिता हरेंद्र यादव ने बताया कि हम अपने सीमित संसाधनों से कितना कुछ अपने बेटे को दे सकते थे दिए और आज जब बेटा कप्तान के रूप में चयनित किया गया है निश्चित रूप से हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया.
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