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फिल्मों में सहायक निर्देशक का काम कर चुके रामवृक्ष बेच रहे हैं सब्जी - सहायक निर्देशक रामवृक्ष

फिल्मों और सीरियल सहायक निर्देशक काम कर चुके रामवृक्ष इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. रामवृक्ष अपने परिवार का पेट पालने के लिए सब्जी बेच रहे हैं. रामवृक्ष का कहना है कि कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से उनकी यह हालत हो गई.

सब्जी बेचने को मजबूर हैं रामवृक्ष.
सब्जी बेचने को मजबूर हैं रामवृक्ष.
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Published : Oct 2, 2020, 7:18 PM IST

आजमगढ़: कोरोना महामारी के चलते कई कारोबार बंद हुए, लोगों की नौकरियां चली गईं. इससे कई लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. ऐसे में ये लोग छोटे-मोटे काम कर दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल बॉलीवुड में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके रामवृक्ष का. रामवृक्ष ने बालिका वधू, कुछ तो लोग कहेंगे जैसे टीवी सीरियल में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में यूनिट हेड की भी भूमिका निभाई है. लेकिन आज वह दो वक्त की रोटी के लिए सब्जी का ठेगा लगाने को मजबूर हैं.

कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं रामवृक्ष.
कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं रामवृक्ष.

जनपद के निजामाबाद के फरहाबाद गांव के रहने वाले रामवृक्ष 2002 में अपने मित्र साहित्यकार शाहनवाज खान की मदद से मुंबई पहुंचे थे. इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की. पहले लाइट विभाग में काम किया, इसके बाद टीवी प्रोडक्शन में कई अन्य विभागों में भाग्य आजमाया. धीरे-धीरे अनुभव बढ़ा तो निर्देशन में अवसर मिल गया. निर्देशन का काम रामवृक्ष को पसंद आ गया और उन्होंने इसी क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाने का फैसला कर लिया.

सब्जी बेचने को मजबूर हैं रामवृक्ष.
रामवृक्ष ने बताया कि वह कई सीरियल के प्रोडक्शन में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने एपिसोड डायरेक्टर, यूनिट डायरेक्टर का काम भी किया है. रामवृक्ष बताते हैं कि उन्होंने 'बालिका वधु' जैसे हिट सीरियल में बतौर यूनिट डायरेक्टर काम किया. इसके बाद रामवृक्ष को 'इस प्यार को क्या नाम दूं', कुछ तो लोग कहेंगे, हमार सौतन-हमार सहेली, झटपट-चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी जैसे धारावाहिकों में भी काम करने का अवसर मिला. इंडस्ट्री में इनके काम की सराहना हुई तो फिल्मों में भी अवसर मिला.
फिल्मों में सहायक निर्देशक का काम कर चुके हैं रामवृक्ष.
फिल्मों में सहायक निर्देशक का काम कर चुके हैं रामवृक्ष.
लॉकडाउन के बाद हुए बेरोजगार

रामवृक्ष ने यशपाल शर्मा, मिलिंद गुणाजी, राजपाल यादव, रणदीप हुडा, सुनील शेट्टी की फिल्मों के निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशन के तौर पर काम किया. आने वाले दिनों में रामवृक्ष के पास एक भोजपुरी और एक हिन्दी फिल्म का काम है. वे कहते हैं कि अब वह इसी पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से यह प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. प्रोड्यूसर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
भोजपुरी फिल्मों के साथ भी जुड़े रहे.
भोजपुरी फिल्मों के साथ भी जुड़े रहे.
सब्जी के कारोबार से चल रहा गुजारा

आजमगढ़ शहर के हरबंशपुर में डीएम आवास के आस-पास सड़क के किनारे आपको रामवृक्ष ठेले पर सब्जी बेचते दिख जाएंगे. उन्होंने बताया कि वह बचपन में अपने पिता के साथ सब्जी के कारोबार में मदद करते थे. इसलिए यह काम उन्हें सबसे बेहतर लगा, वे अपने काम से संतुष्ट हैं.

आजमगढ़: कोरोना महामारी के चलते कई कारोबार बंद हुए, लोगों की नौकरियां चली गईं. इससे कई लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. ऐसे में ये लोग छोटे-मोटे काम कर दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल बॉलीवुड में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके रामवृक्ष का. रामवृक्ष ने बालिका वधू, कुछ तो लोग कहेंगे जैसे टीवी सीरियल में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में यूनिट हेड की भी भूमिका निभाई है. लेकिन आज वह दो वक्त की रोटी के लिए सब्जी का ठेगा लगाने को मजबूर हैं.

कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं रामवृक्ष.
कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं रामवृक्ष.

जनपद के निजामाबाद के फरहाबाद गांव के रहने वाले रामवृक्ष 2002 में अपने मित्र साहित्यकार शाहनवाज खान की मदद से मुंबई पहुंचे थे. इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की. पहले लाइट विभाग में काम किया, इसके बाद टीवी प्रोडक्शन में कई अन्य विभागों में भाग्य आजमाया. धीरे-धीरे अनुभव बढ़ा तो निर्देशन में अवसर मिल गया. निर्देशन का काम रामवृक्ष को पसंद आ गया और उन्होंने इसी क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाने का फैसला कर लिया.

सब्जी बेचने को मजबूर हैं रामवृक्ष.
रामवृक्ष ने बताया कि वह कई सीरियल के प्रोडक्शन में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने एपिसोड डायरेक्टर, यूनिट डायरेक्टर का काम भी किया है. रामवृक्ष बताते हैं कि उन्होंने 'बालिका वधु' जैसे हिट सीरियल में बतौर यूनिट डायरेक्टर काम किया. इसके बाद रामवृक्ष को 'इस प्यार को क्या नाम दूं', कुछ तो लोग कहेंगे, हमार सौतन-हमार सहेली, झटपट-चटपट, सलाम जिंदगी, हमारी देवरानी, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, पूरब पश्चिम, जूनियर जी जैसे धारावाहिकों में भी काम करने का अवसर मिला. इंडस्ट्री में इनके काम की सराहना हुई तो फिल्मों में भी अवसर मिला.
फिल्मों में सहायक निर्देशक का काम कर चुके हैं रामवृक्ष.
फिल्मों में सहायक निर्देशक का काम कर चुके हैं रामवृक्ष.
लॉकडाउन के बाद हुए बेरोजगार

रामवृक्ष ने यशपाल शर्मा, मिलिंद गुणाजी, राजपाल यादव, रणदीप हुडा, सुनील शेट्टी की फिल्मों के निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशन के तौर पर काम किया. आने वाले दिनों में रामवृक्ष के पास एक भोजपुरी और एक हिन्दी फिल्म का काम है. वे कहते हैं कि अब वह इसी पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से यह प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. प्रोड्यूसर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
भोजपुरी फिल्मों के साथ भी जुड़े रहे.
भोजपुरी फिल्मों के साथ भी जुड़े रहे.
सब्जी के कारोबार से चल रहा गुजारा

आजमगढ़ शहर के हरबंशपुर में डीएम आवास के आस-पास सड़क के किनारे आपको रामवृक्ष ठेले पर सब्जी बेचते दिख जाएंगे. उन्होंने बताया कि वह बचपन में अपने पिता के साथ सब्जी के कारोबार में मदद करते थे. इसलिए यह काम उन्हें सबसे बेहतर लगा, वे अपने काम से संतुष्ट हैं.
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