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CJI गोगोई को इस्तीफे से बचाने वाले वकील उत्सव बैंस की राम मंदिर निर्माण में अहम भूमिका

इस्तीफे से बचने के बाद भी राम जन्मभूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दे पाए पूर्व जस्टिस गोगोई: मिलिए गोगोई को इस्तीफे से बचाने वाले युवा वकील उत्सव बैंस से...

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Published : Aug 4, 2020, 1:38 PM IST

Updated : Aug 5, 2020, 8:24 AM IST

लखनऊ: अयोध्या राम जन्मभूमि मामला वर्षों से राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक एवं धार्मिक विवादों में फंसकर देश का अहम मुद्दा बन गया था. आखिरकार अयोध्या विवाद सुलझने और महत्वपूर्ण फैसला आने के बाद अब 5 अगस्त को 70 एकड़ के राम जन्मभूमि परिसर में भूमि पूजन की तैयारियों चल रही हैं. पूरी अयोध्या को सजाया जा रहा है. ऐसे समय में राम जन्मभूमि विवाद पर दिए गए फैसले को लेकर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को हमेशा याद किया जायेगा.

राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले पक्ष-विपक्ष और कई राजनीतिक दलों में फैसले को लेकर बयानबाजी देखने को मिल रही है, लेकिन किसी जाति विशेष या धर्म के दृष्टिकोण से हटकर देखा जाए तो जन्मभूमि विवाद का फैसला कई मायनों में देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है.

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद सुलझाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी झूठे आरोपों के विवाद में फंस गए थे, जिसके बाद यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया था. इसका एक और पहलू तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उत्सव बैंस ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगाए गए आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था.

एडवोकेट उत्सव बैंस ने सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से चीफ जस्टिस पर लगाए गए आरोपों की साजिश को उजागर करने में अहम भूमिका निभायी थी. यहां तक कि एडवोकेट बैंस ने अपनी फेसबुक पोस्ट में खुलासा किया था कि एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा सीजेआई के खिलाफ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 1.5 करोड़ रुपये लेने के बदले एक मीडिया कॉन्फ्रेंस करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था. बैंस ने खुलासा किया था कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है ताकि परेशान होकर वह इस्तीफा सौंप दें.

जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की थी पीठ
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए एडवोकेट उत्सव बैंस को दायर किए गए शपथ पत्र में दावों को स्पष्ट करने का फरमान सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगाए गए आरोपों को कथित तौर पर साजिश बताए जाने को लेकर एडवोकेट बैंस के दावों की जांच कराने का फैसला लिया.

मामले की जांच के लिए जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा था कि अगर फिक्सर अपने हिसाब से न्यायपालिका के साथ इस प्रकार की छेड़छाड़ करते रहते हैं तो फिर न यह संस्थान और न ही हम लोगों में से कोई भी बच पाएगा.

अब राम जन्मभूमि विवाद का मुद्दा पूर्णतः सुलझ जाने के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा. हालांकि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं भी दाखिल की गईं थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नहीं है. इसके साथ ही सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी गईं थीं.

कौन हैं उत्सव बैंस
हार्वर्ड लॉ स्कूल से पढ़े सुप्रीम कोर्ट के 32 वर्षीय युवा वकील उत्सव बैंस को कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त है. चाहे वह आसाराम यौनशोषण पीड़िता का मामला हो, 1993 के मुम्बई बम धमाके हो या मुम्बई के ही 26/11 हमलों के पीड़ित हों, बिट्टा कराटे और कश्मीरी पंडितों का मामला हो या कठुआ गैंग रेप प्रकरण देश-दुनिया में चर्चित इन सभी मामलों में पीड़ितों के पक्ष में खड़े उत्सव बैंस ने मानवाधिकार मामलों के सरंक्षण में अपनी विशेष पहचान दर्ज कराई है.

लखनऊ: अयोध्या राम जन्मभूमि मामला वर्षों से राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक एवं धार्मिक विवादों में फंसकर देश का अहम मुद्दा बन गया था. आखिरकार अयोध्या विवाद सुलझने और महत्वपूर्ण फैसला आने के बाद अब 5 अगस्त को 70 एकड़ के राम जन्मभूमि परिसर में भूमि पूजन की तैयारियों चल रही हैं. पूरी अयोध्या को सजाया जा रहा है. ऐसे समय में राम जन्मभूमि विवाद पर दिए गए फैसले को लेकर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को हमेशा याद किया जायेगा.

राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले पक्ष-विपक्ष और कई राजनीतिक दलों में फैसले को लेकर बयानबाजी देखने को मिल रही है, लेकिन किसी जाति विशेष या धर्म के दृष्टिकोण से हटकर देखा जाए तो जन्मभूमि विवाद का फैसला कई मायनों में देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है.

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद सुलझाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी झूठे आरोपों के विवाद में फंस गए थे, जिसके बाद यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया था. इसका एक और पहलू तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उत्सव बैंस ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगाए गए आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था.

एडवोकेट उत्सव बैंस ने सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से चीफ जस्टिस पर लगाए गए आरोपों की साजिश को उजागर करने में अहम भूमिका निभायी थी. यहां तक कि एडवोकेट बैंस ने अपनी फेसबुक पोस्ट में खुलासा किया था कि एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा सीजेआई के खिलाफ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 1.5 करोड़ रुपये लेने के बदले एक मीडिया कॉन्फ्रेंस करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था. बैंस ने खुलासा किया था कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची जा रही है ताकि परेशान होकर वह इस्तीफा सौंप दें.

जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की थी पीठ
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए एडवोकेट उत्सव बैंस को दायर किए गए शपथ पत्र में दावों को स्पष्ट करने का फरमान सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगाए गए आरोपों को कथित तौर पर साजिश बताए जाने को लेकर एडवोकेट बैंस के दावों की जांच कराने का फैसला लिया.

मामले की जांच के लिए जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा था कि अगर फिक्सर अपने हिसाब से न्यायपालिका के साथ इस प्रकार की छेड़छाड़ करते रहते हैं तो फिर न यह संस्थान और न ही हम लोगों में से कोई भी बच पाएगा.

अब राम जन्मभूमि विवाद का मुद्दा पूर्णतः सुलझ जाने के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा. हालांकि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं भी दाखिल की गईं थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नहीं है. इसके साथ ही सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी गईं थीं.

कौन हैं उत्सव बैंस
हार्वर्ड लॉ स्कूल से पढ़े सुप्रीम कोर्ट के 32 वर्षीय युवा वकील उत्सव बैंस को कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त है. चाहे वह आसाराम यौनशोषण पीड़िता का मामला हो, 1993 के मुम्बई बम धमाके हो या मुम्बई के ही 26/11 हमलों के पीड़ित हों, बिट्टा कराटे और कश्मीरी पंडितों का मामला हो या कठुआ गैंग रेप प्रकरण देश-दुनिया में चर्चित इन सभी मामलों में पीड़ितों के पक्ष में खड़े उत्सव बैंस ने मानवाधिकार मामलों के सरंक्षण में अपनी विशेष पहचान दर्ज कराई है.

Last Updated : Aug 5, 2020, 8:24 AM IST
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