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Ram Mandir Ayodhya : नेपाल के बाद अब कर्नाटक से अयोध्या पहुंची दो शिलाएं, बनेगी भगवान श्रीराम की मूर्ति

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Published : Feb 15, 2023, 3:17 PM IST

अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर में स्थापित की जाने वाली भगवान श्रीराम की प्रतिमा को लेकर पत्थरों की चयन प्रक्रिया जारी है. नेपाल के बाद अब कर्नाटक के मैसूर से भी दो अलग-अलग तरह की शिलाएं अयोध्या पहुंची हैं.

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भगवान श्रीराम की प्रतिमा के लिए मैसूर से शिलाएं लायी गईं.

अयोध्याः भगवान रामलला के भव्य मंदिर में लगायी जानी वाली भगवान श्रीराम की अचल प्रतिमा को लेकर पत्थरों की चयन प्रक्रिया पर विचार-विमर्श का दौर जारी है. नेपाल के काली गंडकी नदी से लायी गयी देव शिला को पूजन के बाद अयोध्या के रामसेवक पुरम में रखा गया है. अब इसी क्रम में कर्नाटक के मैसूर से भी दो अलग-अलग तरह की शिलाएं अयोध्या पहुंची हैं, जिसमें एक श्याम रंग की है तो दूसरी अंदर से पीले रंग की है.

इन शिलाओं को भी रामसेवक पुरम में देव शिलाओं के पास में ही रखा गया है. मूर्ति के स्वरूप आकार प्रकार को लेकर मूर्तिकला के विशेषज्ञ लगातार मंथन कर रहे हैं. वहीं, भगवान के विग्रह के लिए भी पवित्र शिलाओं के परीक्षण और चयन की प्रक्रिया सतत चालू है. कर्नाटक के मैसूर से पूजित दो शिलाएं मंगलवार को अयोध्या पहुंची हैं. इसमें एक शिला श्याम रंग की है तो दूसरी अंदर से पीले रंग की है. देव शिलाओं के परीक्षण का भी कार्य शुरू कर दिया गया है. वास्तु वैज्ञानिक शिलाओं का परीक्षण कर रहे हैं.

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने बताया कि 2 देव शिला नेपाल के काली गंडकी नदी से अयोध्या लायी गयी थी, जो रामसेवक पुरम में रखी हैं. अब कर्नाटक के मैसूर से भी दो शिलाएं लाई गई हैं, जिनको रामसेवक पुरम में रखा गया है. सभी शिलाओं को इकट्ठा रखा जा रहा है. मूर्तिकला के विशेषज्ञ मूर्तिकार इन पत्थरों का अपने मानक पर परीक्षण करके मूर्ति निर्माण के आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे.

राजेंद्र सिंह पंकज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अभी और भी पत्थर आएंगे और सभी पत्थरो में सबसे बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाले पत्थरों का चयन किया जाएगा. यह आखरी पत्थर नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि जो भी पत्थर आ रहे हैं सभी का प्रयोग किया जाएगा.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भारत में जहां-जहां भी इस तरह के पत्थर उपलब्ध हैं उन सब को मंगाया जा रहा है. चंपत राय के मुताबिक यह जरूरी नहीं है कि जिन पत्थरों को मंगाया गया है, उन्हीं से मूर्तियां बन जाए. ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि पत्थरों पर टाकी लगने के बाद मूर्तिकला के विशेषज्ञ ही तय करेंगे कि उस पत्थर से मूर्ति बन सकती है या नहीं. सभी पत्थरों को एकत्रित करने के बाद मूर्ति रचना करने वाले मूर्ति कारों को दिखाया जाएगा. मूर्तिकला के विशेषज्ञों के स्वीकृति के बाद ही भगवान रामलला की मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.

पढ़ेंः Ayodhya News: रामसेवकपुरम में 51 वैदिक आचार्यों ने शालिग्राम शिलाओं का कराया पूजन

भगवान श्रीराम की प्रतिमा के लिए मैसूर से शिलाएं लायी गईं.

अयोध्याः भगवान रामलला के भव्य मंदिर में लगायी जानी वाली भगवान श्रीराम की अचल प्रतिमा को लेकर पत्थरों की चयन प्रक्रिया पर विचार-विमर्श का दौर जारी है. नेपाल के काली गंडकी नदी से लायी गयी देव शिला को पूजन के बाद अयोध्या के रामसेवक पुरम में रखा गया है. अब इसी क्रम में कर्नाटक के मैसूर से भी दो अलग-अलग तरह की शिलाएं अयोध्या पहुंची हैं, जिसमें एक श्याम रंग की है तो दूसरी अंदर से पीले रंग की है.

इन शिलाओं को भी रामसेवक पुरम में देव शिलाओं के पास में ही रखा गया है. मूर्ति के स्वरूप आकार प्रकार को लेकर मूर्तिकला के विशेषज्ञ लगातार मंथन कर रहे हैं. वहीं, भगवान के विग्रह के लिए भी पवित्र शिलाओं के परीक्षण और चयन की प्रक्रिया सतत चालू है. कर्नाटक के मैसूर से पूजित दो शिलाएं मंगलवार को अयोध्या पहुंची हैं. इसमें एक शिला श्याम रंग की है तो दूसरी अंदर से पीले रंग की है. देव शिलाओं के परीक्षण का भी कार्य शुरू कर दिया गया है. वास्तु वैज्ञानिक शिलाओं का परीक्षण कर रहे हैं.

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने बताया कि 2 देव शिला नेपाल के काली गंडकी नदी से अयोध्या लायी गयी थी, जो रामसेवक पुरम में रखी हैं. अब कर्नाटक के मैसूर से भी दो शिलाएं लाई गई हैं, जिनको रामसेवक पुरम में रखा गया है. सभी शिलाओं को इकट्ठा रखा जा रहा है. मूर्तिकला के विशेषज्ञ मूर्तिकार इन पत्थरों का अपने मानक पर परीक्षण करके मूर्ति निर्माण के आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे.

राजेंद्र सिंह पंकज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अभी और भी पत्थर आएंगे और सभी पत्थरो में सबसे बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाले पत्थरों का चयन किया जाएगा. यह आखरी पत्थर नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि जो भी पत्थर आ रहे हैं सभी का प्रयोग किया जाएगा.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भारत में जहां-जहां भी इस तरह के पत्थर उपलब्ध हैं उन सब को मंगाया जा रहा है. चंपत राय के मुताबिक यह जरूरी नहीं है कि जिन पत्थरों को मंगाया गया है, उन्हीं से मूर्तियां बन जाए. ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि पत्थरों पर टाकी लगने के बाद मूर्तिकला के विशेषज्ञ ही तय करेंगे कि उस पत्थर से मूर्ति बन सकती है या नहीं. सभी पत्थरों को एकत्रित करने के बाद मूर्ति रचना करने वाले मूर्ति कारों को दिखाया जाएगा. मूर्तिकला के विशेषज्ञों के स्वीकृति के बाद ही भगवान रामलला की मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.

पढ़ेंः Ayodhya News: रामसेवकपुरम में 51 वैदिक आचार्यों ने शालिग्राम शिलाओं का कराया पूजन

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