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संपत्ति विवाद में की गई थी नागा साधु की हत्या, दो गिरफ्तार - अयोध्या क्राइम न्यूज

अयोध्या में नागा साधु हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा करने का दावा किया है. पुलिस के मुताबिक हत्याकांड में 7 लोग शामिल थे, जिनमें से 5 अभी भी फरार हैं. पूरी प्लानिंग के तहत नागा साधु की हत्या की गई थी.

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दो गिरफ्तार
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Published : Apr 8, 2021, 4:06 AM IST

अयोध्या : 3 अप्रैल की रात अयोध्या के चरण पादुका मंदिर की गोशाला में की गई नागा साधु की हत्या की वारदात से पुलिस ने पर्दा हटा दिया है. पुलिस ने इस मामले में मृतक नागा साधु के दो गुरु भाइयों को गिरफ्तार किया है. वहीं पुलिस का दावा है कि इस पूरी वारदात में 7 लोग शामिल थे, जिनमें से पांच अभी तक फरार चल रहे हैं. मृतक महंत की हत्या की वारदात की साजिश महाशिवरात्रि के पर्व के दिन तैयार की गई थी. इसके बाद हत्यारों ने मृतक महंत की रेकी की थी और उसके बाद पूरी प्लानिंग के साथ चरण पादुका मंदिर की गोशाला में नागा महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी गई.

गुरु भाइयों ने मिलकर की थी महंत की हत्या

एसएसपी शैलेश पांडे ने बताया कि मृतक महंत कन्हैया दास और उनके गुरु भाई गोलू राज उर्फ शशिकांत दास और अंश मिश्रा ने 3 अप्रैल की रात में चरण पादुका मंदिर की गोशाला में सोने गए महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी थी. हत्या के पीछे इन सभी के बीच पुरानी रंजिश सामने आई है, जिसकी पृष्ठभूमि कुछ जमीन और नकद पैसे के बंटवारे को लेकर उपजे विवाद ने तैयार की थी. इसी बात की नाराजगी को लेकर महंत कन्हैया दास का कत्ल किया गया.

दो हत्यारे कर रहे थे कत्ल, 3 कार में बैठकर कर रहे थे पहरेदारी

एसएसपी शैलेश पांडे ने बताया कि वारदात वाली रात शशिकांत दास और अंश मिश्रा ने हनुमानगढ़ी के चरण पादुका मंदिर की गोशाला में पहुंचकर महंत कन्हैया दास की हत्या कर दी थी. जबकि तीन अन्य लोग गोशाला के बाहर इनोवा कार में बैठकर इस बात की निगरानी कर रहे थे कि वारदात को अंजाम देते समय कोई गोशाला में ना पहुंचने पाए. कार में बैठे सहयोगियों को इस बात का विश्वास नहीं था कि शशिकांत दास और अंश मिश्रा कन्हैया दास का कत्ल कर पाएंगे. इसलिए वह इस इंतजार में थे कि अगर अंदर गए दोनों हत्यारे हत्या नहीं कर पाते हैं तो वह खुद जाकर कन्हैया दास की हत्या करेंगे.

मंदिर से जुड़ी संपत्ति पर कब्जे को लेकर बहाया गया खून

इस पूरी वारदात की पृष्ठभूमि आश्रम से जुड़ी जमीन और नकद संपत्ति पर कब्जे को लेकर तैयार हुई थी. मृतक महंत जमीन और मंदिर की संपत्ति पर काबिज था, जबकि इसके अन्य दो गुरु भाई चाहते थे कि पूरी संपत्ति पर उनका अधिकार हो जाए. इस बात को लेकर दोनों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था. पहले भी कई बार महंत कन्हैया दास की हत्या के प्रयास किए गए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बार महंत कन्हैया दास के सितारे गर्दिश में थे और हत्यारे अपनी साजिश में कामयाब रहे. 3 अप्रैल की रात महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी गई. अगले दिन सुबह 5:00 बजे आश्रम के लोगों ने रक्तरंजित शव देखने के बाद पुलिस को सूचना दी. इसके बाद मृतक महंत कन्हैया दास के शिष्य रामानुज दास की तहरीर पर अयोध्या पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया और विवेचना के दौरान वारदात में शामिल दो अभियुक्तों को मोहबरा बाजार से गिरफ्तार किया गया. इनके कब्जे से एक इनोवा कार और वारदात में इस्तेमाल की गई ईंट बरामद हुई है.

पहले भी हो चुकी है ऐसी वारदात

अयोध्या में मौजूद हजारों मंदिरों में गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन होता है और मंदिर पर कब्जे और संपत्ति को हड़पने को लेकर गुरु या गुरु भाई की हत्या का यह पहला मामला नहीं है. अयोध्या में बीते तीन दशक में दर्जन भर से अधिक मामले सामने आए. हालांकि कई वर्षों से साधुओं के बीच इस तरह की घटनाएं कम हो गई थीं. लेकिन एक बार फिर संपत्ति के लालच में खूनी वारदात ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया है.

इसे भी पढ़ें - अयोध्या में संपत्ति विवाद में हनुमानगढ़ी के नागा साधु की हत्या

अयोध्या : 3 अप्रैल की रात अयोध्या के चरण पादुका मंदिर की गोशाला में की गई नागा साधु की हत्या की वारदात से पुलिस ने पर्दा हटा दिया है. पुलिस ने इस मामले में मृतक नागा साधु के दो गुरु भाइयों को गिरफ्तार किया है. वहीं पुलिस का दावा है कि इस पूरी वारदात में 7 लोग शामिल थे, जिनमें से पांच अभी तक फरार चल रहे हैं. मृतक महंत की हत्या की वारदात की साजिश महाशिवरात्रि के पर्व के दिन तैयार की गई थी. इसके बाद हत्यारों ने मृतक महंत की रेकी की थी और उसके बाद पूरी प्लानिंग के साथ चरण पादुका मंदिर की गोशाला में नागा महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी गई.

गुरु भाइयों ने मिलकर की थी महंत की हत्या

एसएसपी शैलेश पांडे ने बताया कि मृतक महंत कन्हैया दास और उनके गुरु भाई गोलू राज उर्फ शशिकांत दास और अंश मिश्रा ने 3 अप्रैल की रात में चरण पादुका मंदिर की गोशाला में सोने गए महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी थी. हत्या के पीछे इन सभी के बीच पुरानी रंजिश सामने आई है, जिसकी पृष्ठभूमि कुछ जमीन और नकद पैसे के बंटवारे को लेकर उपजे विवाद ने तैयार की थी. इसी बात की नाराजगी को लेकर महंत कन्हैया दास का कत्ल किया गया.

दो हत्यारे कर रहे थे कत्ल, 3 कार में बैठकर कर रहे थे पहरेदारी

एसएसपी शैलेश पांडे ने बताया कि वारदात वाली रात शशिकांत दास और अंश मिश्रा ने हनुमानगढ़ी के चरण पादुका मंदिर की गोशाला में पहुंचकर महंत कन्हैया दास की हत्या कर दी थी. जबकि तीन अन्य लोग गोशाला के बाहर इनोवा कार में बैठकर इस बात की निगरानी कर रहे थे कि वारदात को अंजाम देते समय कोई गोशाला में ना पहुंचने पाए. कार में बैठे सहयोगियों को इस बात का विश्वास नहीं था कि शशिकांत दास और अंश मिश्रा कन्हैया दास का कत्ल कर पाएंगे. इसलिए वह इस इंतजार में थे कि अगर अंदर गए दोनों हत्यारे हत्या नहीं कर पाते हैं तो वह खुद जाकर कन्हैया दास की हत्या करेंगे.

मंदिर से जुड़ी संपत्ति पर कब्जे को लेकर बहाया गया खून

इस पूरी वारदात की पृष्ठभूमि आश्रम से जुड़ी जमीन और नकद संपत्ति पर कब्जे को लेकर तैयार हुई थी. मृतक महंत जमीन और मंदिर की संपत्ति पर काबिज था, जबकि इसके अन्य दो गुरु भाई चाहते थे कि पूरी संपत्ति पर उनका अधिकार हो जाए. इस बात को लेकर दोनों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था. पहले भी कई बार महंत कन्हैया दास की हत्या के प्रयास किए गए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बार महंत कन्हैया दास के सितारे गर्दिश में थे और हत्यारे अपनी साजिश में कामयाब रहे. 3 अप्रैल की रात महंत कन्हैया दास की ईंट से कूच कर हत्या कर दी गई. अगले दिन सुबह 5:00 बजे आश्रम के लोगों ने रक्तरंजित शव देखने के बाद पुलिस को सूचना दी. इसके बाद मृतक महंत कन्हैया दास के शिष्य रामानुज दास की तहरीर पर अयोध्या पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया और विवेचना के दौरान वारदात में शामिल दो अभियुक्तों को मोहबरा बाजार से गिरफ्तार किया गया. इनके कब्जे से एक इनोवा कार और वारदात में इस्तेमाल की गई ईंट बरामद हुई है.

पहले भी हो चुकी है ऐसी वारदात

अयोध्या में मौजूद हजारों मंदिरों में गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन होता है और मंदिर पर कब्जे और संपत्ति को हड़पने को लेकर गुरु या गुरु भाई की हत्या का यह पहला मामला नहीं है. अयोध्या में बीते तीन दशक में दर्जन भर से अधिक मामले सामने आए. हालांकि कई वर्षों से साधुओं के बीच इस तरह की घटनाएं कम हो गई थीं. लेकिन एक बार फिर संपत्ति के लालच में खूनी वारदात ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया है.

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