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बाबरी मामले में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने वाले करना चाहते हैं माहौल खराब

बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. उसी मामले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है. इकबाल अंसारी ने याचिका दायर करने के खिलाफ रोष जताया है.

बाबरी मामले में पुनरीक्षण याचिका
बाबरी मामले में पुनरीक्षण याचिका
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Published : Jan 9, 2021, 1:31 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 1:59 PM IST

अयोध्याः बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में जिन लोगों ने पुनरीक्षण याचिका दायक की है, वह देश का माहौल खराब करना चाहते हैं. इस समय देश में शांति का माहौल है, जिसे खराब नहीं किया जाना चाहिए. यह बातें कही हैं, बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने. आपको बता दें कि 6 दिसंबर सन 1992 को अयोध्या में हुए विवादित ढांचा ध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. उसी मामले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब और हाजी सैयद अखलाक अहमद ने एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है. पेश है इस मामले में इकबाल अंसारी के साथ ईटीवी की एक्सक्लूसिव बातचीत...

बाबरी मामले में पुनरीक्षण याचिका

लगभग पांच दशक तक अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले में पैरवी करने वाले बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने विवादित ढांचा ध्वंस मामले में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की कड़ी आलोचना की है. इकबाल अंसारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस पुनर्विचार याचिका का मकसद सिर्फ एक नए विवाद को जन्म देना और सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है. जब यह स्पष्ट हो गया है कि उस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था और राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है तो अब फिर से नई याचिका डालने का कोई औचित्य ही नहीं है.

देश का माहौल खराब करना चाहते हैं याचिका डालने वाले लोग
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में विवाद की जो सबसे बड़ी वजह थी, वह समाप्त हो चुकी है. आज अयोध्या ही नहीं पूरे देश के हिंदू-मुस्लिम एक साथ मिलकर देश की तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहे हैं. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, ऐसे में इतने दिन बाद एक बार फिर से बाबरी विध्वंस के प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट में नई पुनर्विचार याचिका दाखिल करना एक बेवकूफी भरा निर्णय है. इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारे वालिद ने लंबे समय तक इस मुकदमे में पैरवी की है. हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया है. यह माना है कि उस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था और वह भगवान रामलला की जन्मभूमि है. पूरे देश का मुस्लिम समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है. ऐसे में फिर से अब एक नए विवाद को जन्म देना कतई सही नहीं है. यह सिर्फ एक सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का माध्यम भर है.

इस्लाम के लिए कुछ करना है तो जर्जर मस्जिदों की कराएं मरम्मत
इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने वाले लोगों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उन्हें मजहब और इस्लाम के लिए कुछ करना है तो अयोध्या में बहुत सी मस्जिदें और मजारें जर्जर हैं. उनकी देखरेख को लेकर कदम बढ़ाया जाना चाहिए. उनकी मरम्मत को लेकर प्रयास किया जाना चाहिए ना कि अयोध्या के उस मसले को फिर से जिंदा किया जाना चाहिए. जो लंबे समय तक हिंदू मुस्लिम के बीच विवाद की एक बड़ी वजह था. इस तरह की याचिका से देश का माहौल खराब होगा. याचिका से हिंदू-मुस्लिम के बीच एक बार फिर से आपसी तनाव बढ़ने की आशंका है. मेरा मानना है कि इस तरह की सोच को बदला जाना चाहिए. देश का आम हिंदू और मुस्लिम अब तरक्की की राह पर आगे जाना चाहता है. अब उसे इस विवाद से कोई लेना देना नहीं है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है और अब यह विवाद भी खत्म हो चुका है.

सीबीआई की विशेष अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में सभी 32 आरोपियों को कर दिया था बरी
आपको बता दें कि 6 दिसंबर सन 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट ने इस मुकदमे के सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. उसी मामले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब और हाजी सैयद अखलाक अहमद ने एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है. आपको बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने फैसले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 32 आरोपियों को बाबरी विध्वंस में शामिल होने के सभी आरोपों से बरी कर दिया था.

अयोध्याः बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में जिन लोगों ने पुनरीक्षण याचिका दायक की है, वह देश का माहौल खराब करना चाहते हैं. इस समय देश में शांति का माहौल है, जिसे खराब नहीं किया जाना चाहिए. यह बातें कही हैं, बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने. आपको बता दें कि 6 दिसंबर सन 1992 को अयोध्या में हुए विवादित ढांचा ध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. उसी मामले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब और हाजी सैयद अखलाक अहमद ने एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है. पेश है इस मामले में इकबाल अंसारी के साथ ईटीवी की एक्सक्लूसिव बातचीत...

बाबरी मामले में पुनरीक्षण याचिका

लगभग पांच दशक तक अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले में पैरवी करने वाले बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने विवादित ढांचा ध्वंस मामले में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की कड़ी आलोचना की है. इकबाल अंसारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस पुनर्विचार याचिका का मकसद सिर्फ एक नए विवाद को जन्म देना और सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है. जब यह स्पष्ट हो गया है कि उस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था और राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है तो अब फिर से नई याचिका डालने का कोई औचित्य ही नहीं है.

देश का माहौल खराब करना चाहते हैं याचिका डालने वाले लोग
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में विवाद की जो सबसे बड़ी वजह थी, वह समाप्त हो चुकी है. आज अयोध्या ही नहीं पूरे देश के हिंदू-मुस्लिम एक साथ मिलकर देश की तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहे हैं. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, ऐसे में इतने दिन बाद एक बार फिर से बाबरी विध्वंस के प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट में नई पुनर्विचार याचिका दाखिल करना एक बेवकूफी भरा निर्णय है. इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारे वालिद ने लंबे समय तक इस मुकदमे में पैरवी की है. हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया है. यह माना है कि उस स्थान पर भगवान राम का मंदिर था और वह भगवान रामलला की जन्मभूमि है. पूरे देश का मुस्लिम समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है. ऐसे में फिर से अब एक नए विवाद को जन्म देना कतई सही नहीं है. यह सिर्फ एक सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का माध्यम भर है.

इस्लाम के लिए कुछ करना है तो जर्जर मस्जिदों की कराएं मरम्मत
इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने वाले लोगों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उन्हें मजहब और इस्लाम के लिए कुछ करना है तो अयोध्या में बहुत सी मस्जिदें और मजारें जर्जर हैं. उनकी देखरेख को लेकर कदम बढ़ाया जाना चाहिए. उनकी मरम्मत को लेकर प्रयास किया जाना चाहिए ना कि अयोध्या के उस मसले को फिर से जिंदा किया जाना चाहिए. जो लंबे समय तक हिंदू मुस्लिम के बीच विवाद की एक बड़ी वजह था. इस तरह की याचिका से देश का माहौल खराब होगा. याचिका से हिंदू-मुस्लिम के बीच एक बार फिर से आपसी तनाव बढ़ने की आशंका है. मेरा मानना है कि इस तरह की सोच को बदला जाना चाहिए. देश का आम हिंदू और मुस्लिम अब तरक्की की राह पर आगे जाना चाहता है. अब उसे इस विवाद से कोई लेना देना नहीं है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है और अब यह विवाद भी खत्म हो चुका है.

सीबीआई की विशेष अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में सभी 32 आरोपियों को कर दिया था बरी
आपको बता दें कि 6 दिसंबर सन 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट ने इस मुकदमे के सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था. उसी मामले को लेकर एक बार फिर से सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाजी महबूब और हाजी सैयद अखलाक अहमद ने एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है. आपको बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने फैसले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 32 आरोपियों को बाबरी विध्वंस में शामिल होने के सभी आरोपों से बरी कर दिया था.

Last Updated : Jan 9, 2021, 1:59 PM IST
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