अयोध्याः रेलवे स्टेशन से एक किलो मीटर दूर बड़ी छावनी से दक्षिण की ओर 'स्वर्ण खंड कुंड' मौजूद है, जिसका जिक्र बाल्मीकि रामायण और स्कन्द पुराण के अयोध्या महात्म्य में बताया गया है. स्वर्ण खंड कुंड मंदिर के उत्तराधिकारी रत्नेश दास ने बताया कि जब महाराजा रघु ने विश्व को जीतने के बाद विश्वजीत यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी सारी स्वर्ण मुद्राएं और धन को गरीब, याचकों और ब्राम्हणों को दान कर दिया था.
यज्ञ के बाद कौत्सकी उनके यहां आए बोले राजन मुझे अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए स्वर्ण मुद्राएं चाहिए, लेकिन आप ने सब कुछ दान कर दिया तो मुझे अब क्या दान करेंगे ? तब महाराजा रघु ने कहा आज रात्रि यहीं विश्राम कीजिए हम कुछ उपाय करते हैं. इसके बाद महाराजा रघु ने अपने सेनापति और अपने मंत्रियों से चर्चा की और उन्होंने धन संपदा के स्वामी कुबेर पर आक्रमण करने की योजना बनाकर आक्रमण करने का आदेश दिया.
कुबेर को जैसे यह खबर मिली महाराजा रघु हमारे ऊपर आक्रमण करेंगे तो उन्होंने उसी रात महाराज रघु के यज्ञ के समीप इस कुंड में स्वर्ण मुद्राओं की बारिश कर दी. इस बारिश में करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं आ गईं, जिसे सुबह महाराजा रघु ने कौत्सकी को देने के लिए कहा. इसके बाद ईश्वर रूपी बालक भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ.
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