कानपुर: सालों से चल रहा देश का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम विवाद अब समाप्त हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित भूमि रामलला के नाम कर दी है, जिसका सभी वर्गों ने स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद औद्योगिक नगरी कानपुर में शांतिपूर्ण माहौल है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.
फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम
जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक उसामा कासमी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मुल्क की सबसे बड़ी अदालत है. फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम होता है, लेकिन फैसला सब मानते हैं.
हिन्दू- मुस्लिम इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न करे पैदा
सुप्रीम कोर्ट ने एक बात और साफ कर दी कि कानून के एतबार से काम चलता है. आस्था किसी कि भी हो सकती है, लेकिन कोर्ट के जो फैसले होते है वो कानून के मुताबिक होते है आस्था के मुताबिक नहीं. यह मुल्क के मुस्तकबिल के लिए बहुत बेहतर चीज है. तमाम मुल्क वासियों को चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान, इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न पैदा हो. हजारों साल से हम जिस तरह से एकता और मोहब्बत से रहते आए है वैसे ही रहे. हमारा मुल्क मजबूत होकर तरक्की करे, जिससे अमन और शान्ति कायम रहे.
इसे भी पढ़ें- रामालय न्यास को सरकार दे राम मंदिर बनाने का अधिकार: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
ओवैसी के बयान पर दिया जवाब
ओवैसी के बयान पर जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे मौके पर कोई ऐसी बात जिससे कोई आपसी भाई-चारे में फर्क आए, दरार पड़े ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. वो बात ठीक है कि जज्बात है गम है लेकिन ऐसे बयानों से बचा जाए तो ज्यादा अच्छा है.