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फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है, तो कभी गम: जमीयत उलेमा हिंद

उत्तर प्रदेश के कानपुर में जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक उसामा कासमी ने अयोध्या फैसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट मुल्क की सबसे बड़ी अदालत है. फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम होता है.

जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने अयोध्या फैसले पर दिया बयान.
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Published : Nov 10, 2019, 8:06 PM IST

कानपुर: सालों से चल रहा देश का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम विवाद अब समाप्त हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित भूमि रामलला के नाम कर दी है, जिसका सभी वर्गों ने स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद औद्योगिक नगरी कानपुर में शांतिपूर्ण माहौल है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने अयोध्या फैसले पर दिया बयान.

फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम
जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक उसामा कासमी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मुल्क की सबसे बड़ी अदालत है. फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम होता है, लेकिन फैसला सब मानते हैं.

हिन्दू- मुस्लिम इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न करे पैदा
सुप्रीम कोर्ट ने एक बात और साफ कर दी कि कानून के एतबार से काम चलता है. आस्था किसी कि भी हो सकती है, लेकिन कोर्ट के जो फैसले होते है वो कानून के मुताबिक होते है आस्था के मुताबिक नहीं. यह मुल्क के मुस्तकबिल के लिए बहुत बेहतर चीज है. तमाम मुल्क वासियों को चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान, इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न पैदा हो. हजारों साल से हम जिस तरह से एकता और मोहब्बत से रहते आए है वैसे ही रहे. हमारा मुल्क मजबूत होकर तरक्की करे, जिससे अमन और शान्ति कायम रहे.

इसे भी पढ़ें- रामालय न्यास को सरकार दे राम मंदिर बनाने का अधिकार: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ओवैसी के बयान पर दिया जवाब
ओवैसी के बयान पर जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे मौके पर कोई ऐसी बात जिससे कोई आपसी भाई-चारे में फर्क आए, दरार पड़े ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. वो बात ठीक है कि जज्बात है गम है लेकिन ऐसे बयानों से बचा जाए तो ज्यादा अच्छा है.

कानपुर: सालों से चल रहा देश का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम विवाद अब समाप्त हो गया है. उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित भूमि रामलला के नाम कर दी है, जिसका सभी वर्गों ने स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद औद्योगिक नगरी कानपुर में शांतिपूर्ण माहौल है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है.

जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने अयोध्या फैसले पर दिया बयान.

फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम
जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक उसामा कासमी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मुल्क की सबसे बड़ी अदालत है. फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है कभी गम होता है, लेकिन फैसला सब मानते हैं.

हिन्दू- मुस्लिम इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न करे पैदा
सुप्रीम कोर्ट ने एक बात और साफ कर दी कि कानून के एतबार से काम चलता है. आस्था किसी कि भी हो सकती है, लेकिन कोर्ट के जो फैसले होते है वो कानून के मुताबिक होते है आस्था के मुताबिक नहीं. यह मुल्क के मुस्तकबिल के लिए बहुत बेहतर चीज है. तमाम मुल्क वासियों को चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान, इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न पैदा हो. हजारों साल से हम जिस तरह से एकता और मोहब्बत से रहते आए है वैसे ही रहे. हमारा मुल्क मजबूत होकर तरक्की करे, जिससे अमन और शान्ति कायम रहे.

इसे भी पढ़ें- रामालय न्यास को सरकार दे राम मंदिर बनाने का अधिकार: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

ओवैसी के बयान पर दिया जवाब
ओवैसी के बयान पर जमीयत उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे मौके पर कोई ऐसी बात जिससे कोई आपसी भाई-चारे में फर्क आए, दरार पड़े ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. वो बात ठीक है कि जज्बात है गम है लेकिन ऐसे बयानों से बचा जाए तो ज्यादा अच्छा है.

Intro:कानपुर :- फैसला आने के बाद कभी खुशी होती है ,कभी गम लेकिन फैसला सब मानते है :- मौलाना मतीनुल हक़ उसमा कासमी

490 सालो से चल रहा देश का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम विवाद अब समाप्त हो गया है | उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या की विवादित भूमि रामलला के नाम कर दी है,जिसका सभी वर्गों ने स्वागत किया है |  सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद औधोगिक नगरी कानपुर में शांतिपूर्ण माहौल है | मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रो में भी शान्ति का माहौल है  | मुस्लिम समुदाय के लोगो ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है | 





Body:उत्तर प्रदेश जमीयत उल्मा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक़ उसमा कासमी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मुल्क की सबसे बड़ी अदालत है | फैसला आने के बाद कभी ख़ुशी होती है कभी गम होता है,लेकिन फैसला सब मानते है | उनका कहना है कि जैसा फैसला चाहते थे वैसा नहीं आया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बात बहुत वाजिब कही कि वंहा मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई इसके सबूत नहीं मिले | इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कम से कम हमको इस मामले में बरी कर दिया कि हमने कोई मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई अलबत्ता नीचे कुछ आसार ऐसे मिले इससे पहले कोई चीज थी |


सुप्रीम कोर्ट ने एक बात और साफ कर दी कि कानून के एतबार से काम चलता है | आस्था किसी कि भी हो सकती है,लेकिन कोर्ट के जो फैसले होते है वो कानून के मुताबिक होते है आस्था के मुताबिक नहीं | यह मुल्क के मुस्तकबिल के लिए बहुत बेहतर चीज है | उसके साथ-साथ एक बात सामने हुई है,कि अब फैसला हो गया है | तमाम मुल्क वाशियो को चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान,इस फैसले की वजह से आपस में कोई दरार न पैदा हो | हजारो साल से हम जिस तरह से एकता और मोहब्बत से रहते आए है वैसे ही रहे | हमारा मुल्क मजबूत होकर तरक्की करे, जिससे अमन और शान्ति कायम रहे यह हम सबकी मुस्तक़र जरुरत है | उन्होंने उम्मीद जताई है कि मुल्क में अमनो-अमान के सिलसिले में इस फैसले के आड़े नहीं आएंगे | 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पर्सनल ला बोर्ड ने रिव्यू पर जाने की बात कहने पर उन्होंने कहा कि यह बड़ो की बात है वो जैसा फैसला करेंगे उसको माना जाएगा |  कानूनी एतबार से ऐसी कोई बात नहीं है, उन्होंने कोई गैर कानूनी बात नहीं कही,अगर कानून इसकी इजाजत देता है और वो अपील करते है तो यह क़ानूनी बात होगी | इसलिए वो क्या फैसला करते है,लेकिन अमन का क़याम और आपसी भाई-चारे का क़याम बहुत जरुरी है | बहुत से केसो में कानूनी लड़ाई होती रहती है,लेकिन कोई ऐसा काम जो कानून से बाहर हो अपने हाथ में कानून नहीं लेना चाहिए | 





Conclusion:ओवैसी के बयान पर जमीयत उल्मा के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे मौके पर कोई ऐसी बात जिससे कोई आपसी भाई-चारे में फर्क आए,दरार पड़े ऐसे बयान नहीं देने चाहिए | वो बात ठीक है कि जज्बात है गम है,लेकिन ऐसे बयानों से बचा जाए तो ज्यादा अच्छा है | 

बाईट -  मौलाना मतीनुल हक़ उसमा कासमी ( अध्यक्ष_उत्तर प्रदेश जमीयत उल्मा हिन्द)


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