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चांदी के झूले में झूल रहे हैं रामलला सरकार, देखने के लिए उमड़ रहे लाखों श्रद्धालु - चांदी के पालने में विराजमान रामलला सरकार

अयोध्या में सावन मेले को (sawan mela celebrated in ayodhya) धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, चांदी के झूले में रामलला सरकार को झुलाया जा रहा है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.

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अयोध्या में सावन मेले की धूम
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Published : Aug 8, 2022, 3:41 PM IST

अयोध्या: सावन के पवित्र महीने में देशभर में भगवान शिव के मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. वहीं, राम नगरी अयोध्या में सावन झूला मेले (sawan mela celebrated in ayodhya) की धूम मची हुई है. अयोध्या के करीब 6 हजार से अधिक मंदिरों में युगल सरकार को झूला झुलाने (Ramlala Sarkar Swung in silver cradle) के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई है.

जानकारी देते विश्व हिंदू परिषद प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा

मंदिरों में कजरी गीतों के माध्यम से भगवान राम और सीता मां को प्रसन्न करने का प्रयास श्रद्धालु लगातार कर रहे हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली राम जन्मभूमि परिसर में भी झूले पर विराजमान रामलला का नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. चांदी के पालने में विराजमान रामलला सरकार की सेवा में कजरी गीतों की भेंट अर्पित की जा रही है. राम लला की आरती में न सिर्फ उनके भक्तजन शामिल होते हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी भी हाथ जोड़े इस पुनीत अवसर पर ड्यूटी करने के साथ ही आस्था भी अर्जित कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सावन का अंतिम सोमवार: बाबा विश्वनाथ मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़, बोल बम के जयकारों से गूंजी काशी


रामलला सरकार की सेवा के लिए मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास सेवा पूजा अर्चना नियमित रूप से कर रहे हैं. वहीं, झूलन पर विराजमान रामलला सरकार को झूला भी जलाया जा रहा है. सावन झूला मेले में राम जन्मभूमि परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई है. इसलिए रामलला के दर्शन की अवधि को भी बढ़ाया गया है. वहीं, बड़ी संख्या में श्रद्धालु राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण कार्य को भी देख रहे हैं.

ट्रस्ट के मुताबिक लगभग 40 फीसदी निर्माण कार्य पूरा होने वाला है. वहीं, भगवान राम लला का मंदिर सिर्फ हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र नहीं बल्कि तमाम राष्ट्रवादी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर निर्माण में प्रयोग में लाए जाने वाले पत्थर बड़ी तादाद में मकराना से आ रहे हैं. मकराना की जिस फर्म को पत्थरों की डिलीवरी का जिम्मा मिला है. वह एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति की है और पत्थरों को तराशने का काम भी मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं, जो अपने आप में कौमी एकता की मिसाल है.


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अयोध्या: सावन के पवित्र महीने में देशभर में भगवान शिव के मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. वहीं, राम नगरी अयोध्या में सावन झूला मेले (sawan mela celebrated in ayodhya) की धूम मची हुई है. अयोध्या के करीब 6 हजार से अधिक मंदिरों में युगल सरकार को झूला झुलाने (Ramlala Sarkar Swung in silver cradle) के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई है.

जानकारी देते विश्व हिंदू परिषद प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा

मंदिरों में कजरी गीतों के माध्यम से भगवान राम और सीता मां को प्रसन्न करने का प्रयास श्रद्धालु लगातार कर रहे हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली राम जन्मभूमि परिसर में भी झूले पर विराजमान रामलला का नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. चांदी के पालने में विराजमान रामलला सरकार की सेवा में कजरी गीतों की भेंट अर्पित की जा रही है. राम लला की आरती में न सिर्फ उनके भक्तजन शामिल होते हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी भी हाथ जोड़े इस पुनीत अवसर पर ड्यूटी करने के साथ ही आस्था भी अर्जित कर रहे हैं.

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रामलला सरकार की सेवा के लिए मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास सेवा पूजा अर्चना नियमित रूप से कर रहे हैं. वहीं, झूलन पर विराजमान रामलला सरकार को झूला भी जलाया जा रहा है. सावन झूला मेले में राम जन्मभूमि परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई है. इसलिए रामलला के दर्शन की अवधि को भी बढ़ाया गया है. वहीं, बड़ी संख्या में श्रद्धालु राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण कार्य को भी देख रहे हैं.

ट्रस्ट के मुताबिक लगभग 40 फीसदी निर्माण कार्य पूरा होने वाला है. वहीं, भगवान राम लला का मंदिर सिर्फ हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र नहीं बल्कि तमाम राष्ट्रवादी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर निर्माण में प्रयोग में लाए जाने वाले पत्थर बड़ी तादाद में मकराना से आ रहे हैं. मकराना की जिस फर्म को पत्थरों की डिलीवरी का जिम्मा मिला है. वह एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति की है और पत्थरों को तराशने का काम भी मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं, जो अपने आप में कौमी एकता की मिसाल है.


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