अयोध्या: देश में सबकी निगाहें राम मंदिर निर्माण और उसको लेकर गठित होने वाले ट्रस्ट पर है. कुछ दिन पहले ट्रस्ट में शामिल होने को लेकर अयोध्या के कुछ महंतों के बीच कथित विवाद भी सामने आया था. वहीं अब अयोध्या के संत ट्रस्ट में अपनी संभावित भूमिका को लेकर संतुष्ट हैं. उनका कहना है कि वे अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर देखना चाहते हैं. ट्रस्ट में जो भी पद मिलेगा, उन्हें स्वीकार्य होगा.
राम नगरी में मुगल शासनकाल के दौरान और उसके बाद सांप्रदायिक ताकतों ने कई बार सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया. इसके बावजूद यहां सौहार्द कायम रहा. अयोध्या विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी का कहना है कि देश को 9 नवंबर 2019 की तारीख सबको याद रहेगी. यहां वर्षों पुराने विवाद पर निर्णय आने के बाद एक पत्ता भी नहीं हिला. लोगों का लोकतंत्र और भारत की न्याय प्रणाली में अटूट विश्वास है. उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संतुष्ट हैं. अब अयोध्या को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए.
क्या कहते हैं अयोध्या के महंत
निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. केंद्र जो भी निर्णय लेगा, वह उनके लिए ठीक है. उन्होंने कहा है कि ट्रस्ट में उन्हें जो भी पद मिलेगा, स्वीकर है. ट्रस्ट में भूमिका को लेकर कोई शिकायत नहीं रहेगी.
वहीं दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास का कहना है कि राम जन्मभूमि के आंदोलन में दिगंबर अखाड़ा प्रमुख रहा है. दिगंबर अखाड़ा के महंत रहे रामचंद्र दास परमहंस आगे रहे. वर्ष 1949 में उन्होंने ही राम जन्मभूमि पर उन्होंने ही रखा. राम मंदिर आंदोलन भी उन्होंने शुरू किया.
महंत सुरेश दास का कहना है कि उन्हें ट्रस्ट में कोई पद की आवश्यकता नहीं है. राम मंदिर आन्दोलन में जिन संतों की भूमिका रही है, उन्हें ट्रस्टमें शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि जिन्होंने इस आंदोलन में विशेष भूमिका निभाई है, उन्हें पद भी दिया जाना चाहिए.
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डॉ. वेदांती और परमहंस दास का कथित आडियो हुआ था वायरल
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर ट्रस्ट में पद को लेकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य डॉ. रामविलास दास वेदांती और तपसी छावनी के पीठाधीश्वर रहे परमहंस दास के बीच कथित बातचीत का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें श्री मणिराम दास छावनी के महंत व रामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को लेकर विवादित टिप्पणी की गई थी.
इसके बाद महंत नृत्य गोपाल दास के समर्थकों ने इसका कड़ा विरोध किया था. परमहंस पर मामले को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. असली विवाद तब शुरू हुआ था, जब महंत नृत्य गोपाल दास के समर्थकों ने 16 नवंबर को तपसी छावनी में तोड़फोड़ की थी.
इसके बाद परमहंस दास ने एक वीडियो जारी कर नृत्य गोपाल पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया था. बाद में परमहंस दास को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इस विवाद के बीच एक पत्र जारी कर तपसी छावनी के प्रमुख महंत सर्वेश्वर दास ने परमहंस को तपसी छावनी से निष्कासित कर दिया था.
इस घटनाक्रम के बाद ट्रस्ट में भूमिका को लेकर संतों में विवाद के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब स्थिति इसके उलट है. अयोध्या में ट्रस्ट के गठन से अधिक उत्सुकता मंदिर निर्माण को लेकर लेकर है. राम मंदिर ट्रस्ट में भूमिका को लेकर संतों में संतोष का भाव है. उनका कहना है कि अब शीघ्र राम मंदिर का निर्माण शुरू होने की प्रतीक्षा है.