अयोध्या: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी. याचिका खारिज होने के बाद कई साधु-संतों ने प्रतिक्रिया दी है.
कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या के वरिष्ठ संत जगत गुरु परमहंस आचार्य की आंखों में आंशू निकल आए. परमहंस आचार्य ने भावुक होकर कहा कि संविधान और मानवता को तार-तार करने वाले लोग अपना कृत्य कर लेते हैं. उसके बाद कानून की ओट में छिप जाते हैं. आचार्य ने कोर्ट के फैसले पर दुख जताया है. परमहंस आचार्य ने कहा कि हमें ही नहीं देश के 100 करोड़ हिंदू समाज को इस बात का विश्वास था कि जब स्वयं बाबा विश्वनाथ ज्ञानवापी में प्रगट हो गए हैं. अब उस स्थान पर पूजा-अर्चना का अधिकार भी मिलेगा और एक भव्य मंदिर का निर्माण भी होगा. लेकिन जिस प्रकार से भगवान शिव के शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की याचिका खारिज की गई है, उससे बहुसंख्यक समाज को गहरी चोट पहुंची है.
मुस्लिम धर्मगुरु ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत
ज्ञानवापी प्रकरण में कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्मगुरु ने स्वागत किया है. कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम धर्मगुरु और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि सभी को इस बात का इल्म है कि 17 मई 2022 को माननीय सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश दिया हुआ है, कि वाजुखाने का इलाका पूरी तरह से सील रहेगा. लिहाजा, वहां पर किसी भी तरह कि कार्बन डेटिंग या फिर कोई भी एक्टिविटी नहीं की जा सकती है.
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि हम इस फैसले से यह उम्मीद करते है कि इस मसले को शांतिपूर्वक ढंग से जल्दी हल कर लिया जाए. उन्होंने कहा कि हम इस बात को भी फिर से बताना चाहते है कि प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 जिसको देश की संसद ने बनाया और अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट ने और मजबूती प्रदान की है. वह पूरे देश में और प्रचलित हो, मौलाना फरंगी महली ने कहा कि अब और कोई भी मंदिर मस्जिद का मुद्दा नहीं बनाया जाए. 353 वर्ष पूर्व बनी मस्जिद पर सवालिया निशान न खड़ा किया जाए. उन्होंने कहा कि हम यह समझते है कि यह सब चीजें हमारे मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है. सभी से यह अपील है कि ऐसे जितने भी मामले है, उन्हें जल्दी से जल्दी शांतिपूर्वक ढंग से हल कर लिया जाए.
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