अयोध्या: अयोध्या में रामलला की सेवा में हर कोई अभिभूत है. अपने-अपने अंदाज में हर कोई प्रभु राम की सेवा कर रहा है. मगर आज हम आपको भगवान राम के उस सेवादार से मिलवाले जा रहे हैं, जिनकी चार पीढ़ियां न सिर्फ उनके चरणों में समर्पित है बल्कि उनके हाथों से तैयार वस्त्रों से प्रभु भी सुसज्जित होते हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं रामलला के पुश्तैनी दर्जी की जो सैकड़ों वर्षों से प्रभु के लिए चोला तैयार करते हैं. बड़ी बात ये है कि प्रभु राम का इनपर आशीर्वाद ऐसा है कि अब इनके पास लंदन, अमेरिका के साथ ही भारत के अलग-अलग राज्यों से भगवान राम के लिए वस्त्रों के ऑर्डर आ रहे हैं. इसके साथ ही प्राण प्रतिष्ठा के दिन भी प्रभु इनके द्वारा तैयार वस्त्र को धारण करेंगे. साथ ही इनका बनाया हुआ राम पताका भी लहराएगा.
भगवान रामलला अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. इनको टाट से ठाठ से आने में एक लंबा वक्त लगा है. इस दौर में उनके लिए पहनने के वस्त्र तैयार किए जाते थे. पहले तो साल में एक ही बार वस्त्र तैयार होता था. एक बार में सात वस्त्र सरकार के आदेश पर बनवाए जाते थे. इसके अलावा कोई वस्त्र रामलला को नहीं मिलता था. आज उनके लिए हर दिन के हिसाब से अलग-अलग रंग के कपड़े सिले जा रहे हैं. ये कपड़े सिलने का काम भगवत प्रसाद का परिवार कर रहा है. इनकी चार पीढ़ियां इस काम में लगी हुई हैं. इसके साथ ही इन्हें देश-विदेश से भी कई ऑर्डर रामलला के वस्त्र तैयार करने के लिए मिल रहे हैं. ऑर्डर इतने हैं कि मना करना पड़ रहा है.
चार पीढ़ियों से सिल रहे हैं भगवान के लिए कपड़े: भगवत प्रसाद बताते हैं, 'हम पिताजी के साथ ही कपड़ों की सिलाई करते थे. साल 1992 में उनका स्वर्गवास हो गया. इसके बाद फिर हम दोनों भाइयों ने इस काम को संभाला. इसके बाद हमारे तीनों बच्चे और बहू सभी परिवार सहित लगकर भगवान रामलला की सेवा करते हैं. रामलला की सेवा करने में हमें काफी खुशी मिलती है. हमें ये महसूस होता है कि हम भगवान का कपड़ा सिल रहे हैं. जब रामलला कटघरे में थे तब साल में सिर्फ एक ही वस्त्र बनता था. जब ताला खुला तो उसके बाद कुछ कपड़े बढ़े. जब गुंबद टूट गया और रामलला टाट में आ गए तब एक साल में एक दिन चैत रामनवमी में सात रंग के कपड़े बनते थे. वे कपड़े सरकार की तरफ से बनते थे.'
रामलला सात दिन में पहनते हैं सात रंग के वस्त्र: वे बताते हैं, 'जब रामलला टाट से ठाठ में आ गए तो रामलला के अनेक वस्त्र बनने लगे. भक्तों के जरिये भी बहुत से वस्त्र बन रहे हैं. रामलला बहुत ही सुशोभित हो रहे हैं. भगवान का भव्य मंदिर बन गया है और 22 जनवरी को रामलला मंदिर में विराजमान होंगे. वे उस दिन पीले रंग का ही कपड़ा पहनेंगे.' भगवत प्रसाद सभी दिनों के हिसाब से रंगों के बारे में बताते हुए कहते हैं, 'सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी रंग का वस्त्र रामलला पहनते हैं. सात दिन के सात रंग होते हैं.' वे बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन वे पीले रंग का ही कपड़ा पहनेंगे.
देश-विदेश से मिल रहे हैं वस्त्र सिलने के ऑर्डर: भगवत प्रसाद ने बताया कि, हमारे पास रामलला के लिए देश-विदेश से खूब ऑर्डर आ रहे हैं. रामलला के भक्त अपने कपड़े भेजकर भगवान के लिए वस्त्र सिलने के लिए कह रहे हैं. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होनी है. बड़ी मात्रा में ऑर्डर आ गए हैं. ऐसे में भक्तों को रोका रहा जा रहा है कि 22 को आपको वस्त्र बन जाएंगे, लेकिन पहनाए नहीं जा सकेंगे. ऐसे में सभी को रोक दिया गया है कि अभी ऑर्डर न दें. वे बताते हैं कि, शिमला, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, बैंगलुरु से ऑर्डर मिले हैं. इसके साथ ही लंदन, अमेरिका के रहने वालों ने भी रामलला के लिए वस्त्र सिलने के ऑर्डर दिए हैं. ये सब भगवान की कृपा है. अयोध्या भी अब काफी सुंदर हो गई है.
अयोध्या की अन्य मंदिरों में भी देते हैं सेवा: वे बताते हैं कि हम लोग रामलला के साथ ही अन्य मंदिरों के लिए वस्त्र (Ramlala's ancestral tailor Bhagwat Prasad in Ayodhya) तैयार करते हैं. घाट पर नागेश्वरनाथ मंदिर है. वहां का भी वस्त्र हम ही बनाते हैं. उनके बगल में ही कालेराम मंदिर है. वह भी विक्रमादित्य की रखवाई हुई मूर्ति है. रामलला से पहले ही वह मू्ति है. इसके साथ ही जानकी महल है, रामवल्लभाकुंज है. यहां पर मूर्तियां बड़ी विग्रह में हैं. मणिपर्वत मंदिर पर भी हम लोग सेवा देते हैं. अंबाला, शिमला और अन्य राज्यों के कई मंदिरों के लिए हमारे यहां से वस्त्र सिलकर जाते हैं. मुंबई में भी हम लोग कपड़े सिलकर भेजते हैं, 22 जनवरी के लिए 50 से अधिक कपड़ों के ऑर्डर मिले हैं. वहीं ट्रस्ट की तरफ से ऑर्डर मिला है. उसे भी तैयार किया गया है.