अयोध्या: राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में ट्रस्ट के सदस्यों और कार्यदायी संस्था एल एंड टी के इंजीनियरों की बैठक शनिवार को समाप्त हो गई. बैठक में मंदिर निर्माण में उच्च तकनीक का प्रयोग करने के लिए टाटा कंसलटिंग कंपनी के इंजीनियरों से भी विचार विमर्श किया गया. उम्मीद जताई जा रही है कि अब मंदिर निर्माण में टाटा कंपनी भी अपना योगदान देगी. बैठक में नृपेंद्र मिश्र के अलावा राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज और सदस्य अनिल मिश्रा सहित एल एंड टी कंपनी के तकनीकी जानकार और टाटा कंसलटिंग कंपनी के इंजीनियर मौजूद रहे.
प्रजेंटेशन के जरिये इंजीनियरों ने पेश की कार्ययोजना
शनिवार को बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई, जिसमें दोनों ही कंपनियों के तकनीकी विशेषज्ञों ने वीडियो प्रेजेंटेशन के जरिए अपनी कार्ययोजना को प्रस्तुत किया. बैठक में नृपेंद्र मिश्र के अलावा ट्रस्ट के सदस्य और दोनों ही कंपनियों के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार मौजूद रहे, जहां सभी के सुझाव को नोट किया गया और राम मंदिर निर्माण के लिए आगे की कार्य योजना पर चर्चा की गई.
ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण को लेकर हर तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं. इसीलिए टाटा कंसलटिंग कंपनी के तकनीकी सलाहकारों को भी आमंत्रित किया गया है. उनसे भी सलाह ली जा रही है, जिससे अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भव्य हो और मंदिर की मजबूती से भी कोई समझौता न करना पड़े.
एल एंड टी से मांगी गई बुनियाद की मजबूती की एक हजार साल की गारंटी
मंदिर निर्माण को लेकर उस समय पेशोपेश की स्थिति पैदा हो गई. जब आईआईटी चेन्नई और रुड़की के इंजीनियरों ने निर्माण में प्रयोग आने वाले पत्थरों की आयु हजार वर्षों की मानकर बुनियाद की मजबूती भी हजार वर्ष होने का सवाल कार्यदायी संस्था एल एंड टी के अधिकारियों से पूछ लिया. इतना ही नहीं सूत्र तो यह भी कह रहे हैं कि ट्रस्ट ने एल एंड टी से 1000 वर्ष तक बुनियाद की मजबूती की गारंटी मांग ली है, जिसको लेकर काफी देर तक मंथन चला और इसी विषय को लेकर टाटा के तकनीकी सलाहकारों से भी बातचीत की गई है.
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