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अयोध्याः दीपोत्सव की तैयारी अंतिम दौर में, जी जान से जुटे कलाकार

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Published : Oct 25, 2019, 3:05 PM IST

यूपी के अयोध्या में दीपोत्सव का आगाज होने में बस एक दिन शेष है. इसी क्रम में कई कलाकार देश और विदेश से अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति देने आए हुए हैं.

प्रस्तुति की तैयारी करते कलाकार

अयोध्याः दीपोत्सव की शुरुआत में अब सिर्फ एक दिन बचा है. वहीं देश के कोने-कोने से हजारों कलाकार लोगों को मंत्र मुग्ध करने अयोध्या पहुंच चुके हैं. ऐसे में आज ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ कलाकारों से बातचीत की, जिन्हें इस दीपोत्सव में क्षेत्रीय कला का प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी मिली है. हमने जाना कि क्षेत्रीय कलाकार गांवों में खेतों की मेड़ में और बगीचों में फरवाहि लोक कला की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
क्या है फरवाहि लोक कला
फरवाहि लोक नृत्य करने वाले कलाकारों ने बताया कि ये डांस वे काफी साल से करते हुए चले आ रहे है और यह अब उनके जीवन का एक हिस्सा है. टीम लीडर विजय यादव ने बताया कि किसान की फसल ही उसका सब कुछ होती है इसलिए वह अपनी धरती, अपनी मिट्टी की पूजा करता है. जब उसकी फसल अच्छे से कट जाती है, तो उस दिन को त्योहार की तरह मानते है. भगवान को इस दिन फसल के लिए धन्यवाद कहते हैं. विजय आगे कहते हैं कि पहले आमतौर पर फसल कट जाने के बाद लोग खुशियां मनाते हैं. हमारे ग्रुप में सभी का अपना-अलग अलग प्रोफेशन है, कोई ठेकेदार है, कोई नौकरी पेशा तो कोई छात्र है, लेकिन हम सभी इस कला को बेहतर तरीके से करते हुए युवा पीढ़ी को जोड़ने में लगे हैं, ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके.

अयोध्याः दीपोत्सव की शुरुआत में अब सिर्फ एक दिन बचा है. वहीं देश के कोने-कोने से हजारों कलाकार लोगों को मंत्र मुग्ध करने अयोध्या पहुंच चुके हैं. ऐसे में आज ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ कलाकारों से बातचीत की, जिन्हें इस दीपोत्सव में क्षेत्रीय कला का प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी मिली है. हमने जाना कि क्षेत्रीय कलाकार गांवों में खेतों की मेड़ में और बगीचों में फरवाहि लोक कला की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
क्या है फरवाहि लोक कला
फरवाहि लोक नृत्य करने वाले कलाकारों ने बताया कि ये डांस वे काफी साल से करते हुए चले आ रहे है और यह अब उनके जीवन का एक हिस्सा है. टीम लीडर विजय यादव ने बताया कि किसान की फसल ही उसका सब कुछ होती है इसलिए वह अपनी धरती, अपनी मिट्टी की पूजा करता है. जब उसकी फसल अच्छे से कट जाती है, तो उस दिन को त्योहार की तरह मानते है. भगवान को इस दिन फसल के लिए धन्यवाद कहते हैं. विजय आगे कहते हैं कि पहले आमतौर पर फसल कट जाने के बाद लोग खुशियां मनाते हैं. हमारे ग्रुप में सभी का अपना-अलग अलग प्रोफेशन है, कोई ठेकेदार है, कोई नौकरी पेशा तो कोई छात्र है, लेकिन हम सभी इस कला को बेहतर तरीके से करते हुए युवा पीढ़ी को जोड़ने में लगे हैं, ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके.
Intro:अयोध्या। 3तीसरी बार भव्य दीपोत्सव की शुरुआत में अब सिर्फ 2दिन बचे हैं। देश के कोने कोने से हजारों कलाकार अयोध्या के लोगो का मन मंत्र मुग्ध करने पहुँच चुकी है। ऐसे में आज ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ कलाकारों से बातचीत की, जिन्हें इस दीपोत्सव में क्षेत्रीय कला का प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी मिली।
हमने जाना कि क्षेत्रीय कलाकार गांवों में खेतों की मेड में, और बगीचों में भी प्रैक्टिस कर रहे हैं। फरवाहि लोक कला जिसकी प्रस्तुति देने की तैयारी में सभी रिहर्सल कर रहे हैं।


Body: ईटीवी भारत ने अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों से दीपोत्सव को सुंदर बनाने के लिए कर रहे प्रैक्टिस को कवर किया। कलाकारो से जानने की कोशिश की ये फरवाहि क्या है।
ईटीवी भारत से फरवाहि लोक नृत्य कलाकारों ने बात करते हुए बताया कि, ये डांस वो काफी साल से करते हुये चले आ रहे है और ये अब उनकी जीवन एक हिस्सा है।
टीम लीडर विजय यादव ने बात करते हुए कहा कि किसान की फसल ही उसका सब कुछ होती है इसलिए वो अपनी धरती, अपनी मिट्टी की पूजा करता है, और जब उसकी फसल अच्छे से कट जाती है तो उस दिन को त्योहार की तरह मानता है। और भगवान को इस दिन के लिए, फसल के लिए धन्यवाद कहता है।


Conclusion:विजय बताते हैं, कि पहले आम तौर पर फ़सल के बाद खुशियों में लोग मनाते थे, अब इसे हर प्रकार से दिखाया जाने लगा है। हमारे ग्रुप में सभी का अपना अलग अलग प्रफेशन है। कोई ठेकेदार है, कोई नौकरी पेशा है, तो कोई छात्र है, लेकिन हम सब इसे बेहतर तरीके से करते हुए युवा पीढ़ी को जोड़ने में लगे हैं। ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।


दिनेश मिश्रा
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