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नगर निगम की लापरवाही से अयोध्या का स्वर्ग द्वार बना नरक द्वार - ayodhya swarg dwar colony

प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी अयोध्या की तस्वीर नहीं बदल पा रही है. नगर निगम की लापरवाही के चलते राम नगरी के प्रमुख क्षेत्रों की हालत बेहद खराब है. सरयू तट के किनारे बसे स्वर्ग द्वार इलाके में सड़कों पर कूड़ा कचरा इकट्ठा हो गया है. सीवर के खुले मेनहोल से कॉलोनी के लोग काफी परेशान हैं.

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अयोध्या के स्वर्ग द्वार मोहल्ले का बुरा हाल.
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Published : Sep 10, 2020, 5:39 PM IST

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या को एक विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में प्रदर्शित करने के लिए केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. करोड़ों की विकास योजनाओं का पुलिंदा अयोध्या के नाम पर जारी किया गया है. जमीनी तौर पर कई बड़ी योजनाओं पर काम भी हो रहा है, लेकिन इस प्राचीन नगरी के ऐतिहासिक पौराणिक इलाकों में बिजली-पानी, साफ-सफाई समेत सड़क की व्यवस्था इतनी बदतर है कि स्थानीय लोगों का जीना मुहाल है.

मंदिर के महंत ने दी जानकारी
इलाके के रहने वाले महंत रामेश्वर दास बताते हैं कि अयोध्या में सरयू नदी के किनारे बसे स्वर्ग द्वार मोहल्ले का जिक्र इस प्राचीन नगरी के ऐतिहासिक ग्रंथों में भी है. इस पूरे इलाके में नागेश्वरनाथ महादेव के प्राचीन मंदिर के अलावा कई बड़े ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इस पूरे इलाके में यातायात व्यवस्था के लिए बनाई गई सड़कों की हालत बेहद खस्ता हाल है. जगह-जगह पर सीवर लाइन बिछाने के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए, लेकिन कार्यदायी संस्था के भ्रष्ट अधिकारियों ने आधे अधूरे काम को छोड़ दिया. सड़कों की हालत खस्ताहाल है. जगह-जगह सीवर के मेनहोल खुले हुए हैं. ऐसी स्थिति में इस इलाके में साफ-सफाई भी नहीं हो पा रही है. इलाके की जनता बेहद परेशान है.

पार्षद ने लगाया आरोप
क्षेत्र के पार्षद महेंद्र शुक्ला का आरोप है कि नगर निगम के महापौर से लेकर अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं. साफ-सफाई को लेकर कई बार लिखित और मौखिक शिकायत की गई है, लेकिन इलाके की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. क्षेत्र की जनता परेशान है. चलने के लिए सड़के नहीं हैं. साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है, जिससे दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को भी खासी असुविधा हो रही है, जिससे एक खराब संदेश पूरे देश में जा रहा है.

योजनाओं का बुरा हाल
वहीं जब इस पूरे मामले पर नगर निगम का पक्ष जानने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया. जाहिर तौर पर भले ही उच्च स्तर पर इस पौराणिक नगरी की पहचान को और बेहतर बनाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं तैयार की जाती रही हों, लेकिन जमीनी तौर पर इन योजनाओं का बेहद बुरा हाल है, जिसका खामियाजा इलाके की आम जनता भुगत रही है.

अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या को एक विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में प्रदर्शित करने के लिए केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. करोड़ों की विकास योजनाओं का पुलिंदा अयोध्या के नाम पर जारी किया गया है. जमीनी तौर पर कई बड़ी योजनाओं पर काम भी हो रहा है, लेकिन इस प्राचीन नगरी के ऐतिहासिक पौराणिक इलाकों में बिजली-पानी, साफ-सफाई समेत सड़क की व्यवस्था इतनी बदतर है कि स्थानीय लोगों का जीना मुहाल है.

मंदिर के महंत ने दी जानकारी
इलाके के रहने वाले महंत रामेश्वर दास बताते हैं कि अयोध्या में सरयू नदी के किनारे बसे स्वर्ग द्वार मोहल्ले का जिक्र इस प्राचीन नगरी के ऐतिहासिक ग्रंथों में भी है. इस पूरे इलाके में नागेश्वरनाथ महादेव के प्राचीन मंदिर के अलावा कई बड़े ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इस पूरे इलाके में यातायात व्यवस्था के लिए बनाई गई सड़कों की हालत बेहद खस्ता हाल है. जगह-जगह पर सीवर लाइन बिछाने के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए, लेकिन कार्यदायी संस्था के भ्रष्ट अधिकारियों ने आधे अधूरे काम को छोड़ दिया. सड़कों की हालत खस्ताहाल है. जगह-जगह सीवर के मेनहोल खुले हुए हैं. ऐसी स्थिति में इस इलाके में साफ-सफाई भी नहीं हो पा रही है. इलाके की जनता बेहद परेशान है.

पार्षद ने लगाया आरोप
क्षेत्र के पार्षद महेंद्र शुक्ला का आरोप है कि नगर निगम के महापौर से लेकर अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं. साफ-सफाई को लेकर कई बार लिखित और मौखिक शिकायत की गई है, लेकिन इलाके की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. क्षेत्र की जनता परेशान है. चलने के लिए सड़के नहीं हैं. साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है, जिससे दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को भी खासी असुविधा हो रही है, जिससे एक खराब संदेश पूरे देश में जा रहा है.

योजनाओं का बुरा हाल
वहीं जब इस पूरे मामले पर नगर निगम का पक्ष जानने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया. जाहिर तौर पर भले ही उच्च स्तर पर इस पौराणिक नगरी की पहचान को और बेहतर बनाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं तैयार की जाती रही हों, लेकिन जमीनी तौर पर इन योजनाओं का बेहद बुरा हाल है, जिसका खामियाजा इलाके की आम जनता भुगत रही है.

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